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बदले की राजनीति छोड़कर अर्थशास्त्रियों की सुने मोदी सरकार, तभी उबरेगा देश मंदी से: मनमोहन सिंह

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश की आर्थिक स्थिति पर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि यह स्थिति मानव निर्मित है जो मोदी सरकार की नीतियों से पैदा हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार को बदले की राजनीतिक छोड़कर अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए बुद्धिमान  लोगों की बात सुननी चाहिए।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

देश की अर्थव्यवस्था इस समय बेहद चिंताजनक दौर में है। पिछली तिमाही में विकास दर का 5 फीसदी रहना इस बात का संकेत है कि देश एक भयावह मंदी की तरफ जा रहा है। भारत कहीं अधिक तेज़ी से विकास करने की क्षमता रखता है, लेकिन मोदी सरकार के चौतरफा कुप्रबंध ने देश को मंदी में झोंक दिया है।

खास तौर से सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में आई सुस्ती है जिसकी विकास दर सिर्फ 0.6 फीसदी पर पहुंच गई है। इससे साफ हो जाता है कि नोटबंदी और बेहद खराब तरीके से लागू जीएसटी जैसी मानव निर्मित गलतियों से अभी तक नहीं उबर पाई है।

Published: 01 Sep 2019, 10:41 AM IST

घरेलू मांग बेहद कम हो गई है और उपभोग यानी कंजम्पशन 18 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया है। नॉमिनल ग्रोथ रेट तो 15 साल के निचले स्तर पर है। करों से मिलने वाले राजस्व में जबरदस्त गिरावट है। कर पालन बेहद निराशाजनक है क्योंकि छोटे-बड़े सभी कारोबारी कर आतंकवाद का शिकार हो रहे हैं। निवेशकों का भरोसा डिग चुका है। किसी भी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए यह बेहद कमजोर बुनियाद के संकेत हैं।

मोदी सरकार की नीतियों से बड़े पैमाने पर नौकरियां जा रही हैं और हम बिना रोजगार वाली अर्थव्यवस्था बनते जा रहे हैं। अकेले ऑटोमोबाइल सेक्टर में करीब साढ़े तीन लाख नौकरियां जा चुकी हैं। अनौपचारिक क्षेत्र में भी ऐसी ही स्थिति है, जिसका असर सीधे तौर पर कामगारों और मजदूरों पर पड़ रह है।

Published: 01 Sep 2019, 10:41 AM IST

ग्रामीण भारत बेहद खराब स्थिति में है। किसानों को वाजिब दाम नहीं मिल पा रहा है और ग्रामीण आमदनी में लगातार कमी आ रही है। महंगाई की कम दर जिसे मोदी सरकार गाजे बाजे के साथ पेश करती है, उसका खामियाजा किसानों और उनकी घटती आमदनी को भुगतना पड़ा है, इससे देश की करीब आधी आबादी का जीवन मुसीबतों भरा हो गया है।

सभी संस्थाओं पर हमले हो रहे हैं और उनकी स्वायत्तता खत्म की जा रही है। आरबीआई की स्थिति भी बेहद चिंताजनक हो गई है खासतौर से अपने खजाने से 1.76 लाख करोड़ मोदी सरकार को देने के बाद। इतना ही नहीं सरकार इस पैसे का क्या करेगी, उसका रोडमैप तक अभी उसके पास नहीं है।

Published: 01 Sep 2019, 10:41 AM IST

इसके अलावा, मौजूदा सरकार के दौर में भारत के आंकड़ों की साथ पर सवालिया निशान लगे हुए है। बजट में किए गए ऐलान और फिर उन्हें वापस लेने की घोषणाओं ने अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का भरोसा हिला दिया है। विश्व स्तर पर भौगोलिक-राजनीतिक बदलावों के बाद भारत को अपने निर्यात क्षेत्र में जो फायदा उठाना चाहिए था, भारत उससे चूक गया है। मोदी सरकार के दौर में यह स्थिति हो गई है देश की अर्थव्यवस्था की।

हमारे युवा, खेतिहर मजदूर, उद्यमी और हाशिए वाला तबका इस सबसे कहीं बेहतक का हकदार है। गिरते विकास के मौजूदा दौर से देश का नुकसान हो रहा है। ऐसे में मैं मेरी सरका से अपील है कि बदले की राजनीति छोड़कर, वह समझदार और बुद्धिमान लोगों की आवाज़ें सुने ताकि मानव निर्मित देश की अर्थव्यवस्था को इस संकट से उबारा जा सके।

Published: 01 Sep 2019, 10:41 AM IST

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Published: 01 Sep 2019, 10:41 AM IST