हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता का आज सुबह निधन हो गया।
वीरभद्र सिंह ने सुबह लगभग 3.40 बजे अंतिम सांस ली। वह 87 साल के थे। वीरभद्र सिंह 13 अप्रैल को कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे, जिसके बाद उन्हें मोहाली के मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। ठीक होने के बाद 23 अप्रैल को उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी। इसके कुछ दिन बाद ही उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगी, जिसके बाद आईजीएमसी में भर्ती कराया गया, जहां 11 जून को फिर कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। सोमवार को अचानक तबीयत खराब होने के बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था और इसके बाद में बेहोशी की हालत में चले गये। आज सुबह उनकी मौत हो गई।
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वीरभद्र सिंह का जन्म 23 जून 1937 को सराहन में तत्कालीन बुशहर रियासत के राजा पद्म सिंह के धर हुआ था। उन्होंने देहरादून के कर्नल ब्राउन कैम्ब्रिज स्कूल, शिमला के सेंट एडवर्ड और बिशप कॉटन स्कूल और रोहड़ू के अरहाल से स्कूली शिक्षा और दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से बीए आनर्स की डिग्री हासिल की।
राजनीतिक करियर की बात करें तो वीरभद्र सिंह का राजनीतिक करियर काफी लंबा रहा। वीरभद्र सिंह साल 1983 से 1990, 1993 से 1998, 1998 से 2003, 2003 से 2007 और 2012 से 2017 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। इसके अलावा यूपीए सरकार में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री भी रह चुके थे।
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1962 में पहली बार लोक सभा के लिए चुने गए वीरभद्र सिंह 5 बार संसद के सदस्य रहे थे। वह 9 बार विधान सभा के लिए भी चुने गए थे। वर्तमान में वह सोलन जिले के अरकी से विधायक थे। वीरभद्र सिंह अप्रैल 1983 में पहली बार सीएम बने और 1990 तक मुख्यमंत्री के पद रहे। इसके बाद 1993 और 1998 और 2003 में वह फिर से सीएम की कुर्सी पर काबिज हुए। 2012 में वे रिकॉर्ड छठी बार हिमाचल के सीएम चुने गए।
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