इस साल अप्रैल-मई में हरिद्वार में हुए कुंभ मेले में आए लगभग एक लाख भक्तों को यह पता लगाने के लिए फोन आने लगे हैं कि क्या नंबर का उपयोग करने वाला व्यक्ति कुंभ मेले में शामिल हुआ था। हरिद्वार कुंभ मेले में उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए थे।
Published: undefined
कानपुर के एक वृद्ध रुद्रदत्त चतुर्वेदी को ऐसा ही एक फोन आया है। उन्होंने आश्चर्य के साथ कहा, "मैं कुंभ मेले में नहीं गया था, लेकिन मेरे रिश्तेदारों गए थे। मुझे मेरी यात्रा के बारे में विवरण पूछने के लिए एक कॉल आया था। मुझे नहीं पता कि मेरे रिश्तेदारों ने मेरा नंबर दिया था या नहीं, लेकिन वे मेरा नंबर क्यों देंगे?"
कुंभ मेले के दौरान सामने आए आरटी-पीसीआर परीक्षण घोटाले की जांच करने वाली टीमें अब उन सभी मोबाइल फोन नंबरों पर कॉल कर रही हैं, जो लगभग 1 लाख आरटी-पीसीआर परीक्षणों के खिलाफ पंजीकृत थे, जो कथित तौर पर फर्जी हैं।
उत्तराखंड सरकार ने आठ सदस्यीय टीम का गठन किया है जो इन नंबरों को एक-एक करके डायल कर उनका सत्यापन कर रही है। उत्तराखंड सरकार ने ग्यारह निजी कंपनियों को मेले में शामिल होने वाले लोगों का आरटी-पीसीआर परीक्षण करने के लिए अधिकृत किया था। यह कोविड-19 मामलों का पता लगाने और कुंभ मेला क्षेत्र में वायरल संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए किया गया था।
Published: undefined
इन 11 कंपनियों में मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज थीं, जिन्होंने आरटी-पीसीआर परीक्षण करने के लिए नलवा लैब्स और डॉ. लालचंदानी लैब्स को काम पर रखा था। इन प्रयोगशालाओं द्वारा किए गए लगभग 1 लाख टेस्ट जांच के दायरे में हैं।
दिलचस्प बात यह है कि नलवा लैब्स ने काम को आगे डोलिफिया नामक कंपनी को आउटसोर्स किया, उसके पास आरटी-पीसीआर परीक्षण करने का लाइसेंस नहीं था। अब तक की जांच से पता चला है कि ये 1 लाख आरटी-पीसीआर परीक्षण केवल कागजों पर किए गए थे और वास्तव में कोई परीक्षण नहीं किया गया था। नतीजतन, कुंभ मेला, जाहिरा तौर पर, एक सुपर स्प्रेडर में बदल गया और कोविड के मामले बढ़ गए।
Published: undefined
हरिद्वार के जिला मजिस्ट्रेट सी. रविशंकर ने कहा कि आरटी-पीसीआर परीक्षण करने वाली प्रयोगशालाओं को अनिवार्य रूप से प्रत्येक व्यक्ति का विवरण दर्ज करना चाहिए, जिसके नमूने एकत्र किए जा रहे थे।
हालांकि, इसके बावजूद, निजी प्रयोगशालाओं ने मानदंडों की धज्जियां उड़ाईं और उनके द्वारा किए गए परीक्षणों की बढ़ी हुई संख्या को प्रदर्शित करने के लिए अवैध साधनों का सहारा लिया।
जिलाधिकारी ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन भी किया है और जांच जारी है।
Published: undefined
हरिद्वार कुंभ आरटी-पीसीआर परीक्षण घोटाला तब सामने आया, जब फरीदकोट (पंजाब में) निवासी विपिन मित्तल ने उत्तराखंड के स्वास्थ्य सचिव को पत्र लिखकर कहा कि वह कुंभ मेले में शामिल नहीं हुए, फिर भी हरिद्वार से आरटी-पीसीआर रिपोर्ट उसे पहुंचाई गई।
इसके बाद स्वास्थ्य सचिव ने हरिद्वार के जिलाधिकारी को इस मामले की जांच करने का आदेश दिया और शुरुआती जांच में पता चला कि एक लाख फर्जी आरटी-पीसीआर जांच महज कागज पर दिखाई गई थी।
हरिद्वार के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एस.के. झा, पुलिस ने 17 जून को मामला दर्ज किया, जिसमें तीन निजी फर्मों को आरोपी बनाया गया है।
निष्कर्षों के आधार पर, प्रयोगशालाओं को धारा 269 (जीवन के लिए खतरनाक बीमारी के संक्रमण को फैलाने की लापरवाही से कार्य करना), 420 (धोखाधड़ी और बेईमानी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (नकली दस्तावेज उपयोग करना) , 120 बी (आपराधिक साजिश) और 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा) भारतीय दंड संहिता के साथ-साथ आपदा प्रबंधन अधिनियम और महामारी अधिनियम की धाराओं के के तहत मामला दर्ज किया गया है।
Published: undefined
जांच के मुताबिक, 13 अप्रैल से 16 मई के बीच इन कंपनियों ने 1,04,796 सैंपल की एंट्री की। इनमें से 95,102 नमूनों का विवरण ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड किया गया था। यह आरोप लगाया गया है कि इन कंपनियों ने अपने मुनाफे को अधिकतम करने के लिए फर्जी परीक्षण रिपोर्ट तैयार की।
उदाहरण के लिए, इन कंपनियों ने हरिद्वार के नेपाली फार्म क्षेत्र में 3,925 नमूने एकत्र करने का दावा किया है। हालांकि, ये सभी नमूने एक ही मोबाइल फोन नंबर पर दर्ज किए गए थे।
इस बीच, मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज और डॉ. लालचंदानी लैब्स ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को चुनौती दी।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined