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…‘खाना तो मिल जाएगा साहब, एक पुरानी चप्पल दे दो’, प्रवासी मजदूर की भावुक अपील से छलक जाएंगे आपके आंसू 

पैदल अपने घर जा रहे प्रवासी मजदूरों ने कहा कि उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश करने से पहले ही उनकी चप्पलों ने उनका साथ छोड़ दिया था। उन्होंने कहा कि मैं नंगे पैर चल रहा हूं और मेरे फोड़े से भी खून बह रहा है। मुझे अभी भी 300 किलो मीटर से ज्यादा चलना है।

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फोटो: Getty Images प्रतीकात्मक फोटो

‘खाना तो मिल जाएगा, साहब एक पुरानी चप्पल दे दो’,ये भावुक मांग है त्रिलोकी कुमार की है जो अपने पैरों पर फोड़े और जख्म को दिखाते हुए चप्पल मांग रहा है। त्रिलोकी उन हजारों लोगों में से एक है जो गुजरात और अन्य राज्यों से अपने घरों को जा रहे हैं। गोरखपुर के पिपराइच के निवासी त्रिलोकी ने बताया कि वो सूरत में एक कपड़ा मिल में काम करते थे और ट्रेन से नहीं जा पाने के बाद उन्होंने पैदल ही घर की ओर निकलने का फैसला किया।

उन्होंने कहा कि, “मैंने खुद को श्रमिक ट्रेन के लिए पंजीकृत किया और एक सप्ताह तक इंतजार किया। किसी ने फोन नहीं किया और आखिरकार हमने घर वापस जाने का फैसला किया। किसी अनजान जगह पर मरने की बजाय घर पर मरना बेहतर है।”

Published: 15 May 2020, 12:50 PM IST

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश करने से पहले ही उनकी चप्पलों ने उनका साथ छोड़ दिया था। उन्होंने कहा, “मैं नंगे पैर चल रहा हूं और मेरे फोड़े से भी खून बह रहा है। मुझे अभी भी 300 किलो मीटरसे ज्यादा चलना है।” समूह के एक अन्य प्रवासी ठाकुर ने कहा कि लोग उन्हें रास्ते में भोजन और पानी की पेशकश कर रहे हैं लेकिन उनके लिए जूते अब एक बड़ी समस्या बन गए हैं।

उन्होंने कहा, “मेरे जूते का सोल निकल रहा था इसलिए मैंने उसके ऊपर कपड़े का एक टुकड़ा बांध दिया है। हम एक या दो दिन भोजन के बिना चल सकते हैं, लेकिन इस स्थिति में बिना जूतों के चलना असंभव है।” त्रिलोकी और ठाकुर दोनों ने ही पैसे लेने से मना कर दिया और कहा कि हम चप्पल कहां से खरीदेंगे?

Published: 15 May 2020, 12:50 PM IST

इन प्रवासियों की दुर्दशा को देखते हुए जिनमें से कई नंगे पैर भी चल रहे थे, लखनऊ के बाहरी इलाके उराटिया में एकजूते की दुकान के मालिक ने 60 रुपये प्रति जोड़ी की कीमत पर चप्पल बेचने का फैसला किया। वरिष्ठ नागरिकों के एक समूह ने अपने नाम बताने से इनकार करते हुए कहा कि हम इस मुद्दे पर प्रचार नहीं चाहते हैं, उन्होंने एक स्थानीय दुकान से चप्पलें खरीदीं और उन्हें लखनऊ-बाराबंकी सड़क पर प्रवासी श्रमिकों को बांट रहे हैं।

Published: 15 May 2020, 12:50 PM IST

व्यवसायी और सामाजिक कार्यकर्ता नवीन तिवारी लखनऊ-फैजाबाद राजमार्ग पर प्रवासियों को भोजन और पानी वितरित करते रहे हैं। उन्होंने अब थोक में चप्पल खरीदी हैं और कहा कि शुक्रवार से उन्हें वितरित किया जाएगा।

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Published: 15 May 2020, 12:50 PM IST

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Published: 15 May 2020, 12:50 PM IST