उत्तरी सिक्किम में ल्होनक झील के ऊपर 3 अक्टूबर को बादल फटने से तीस्ता नदी में आई बाढ़ से चारों तरफ तबाही का मंजर है। भीषण तबाही मची है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुताबिक, अब तक 26 लोगों की मौत हो चुकी है, इनमें सेना के 7 जवान भी शामिल हैं। फिलहाल 142 लोग लापता हैं। लापता लोगों में सेना के जवान भी शामिल हैं। लापता लोगों को ढूंढने के लिए बड़े स्तर पर सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है।
शुक्रवार को सेना के 6 जवानों के शव बरामद किए गए थे। बंगाल आपदा विभाग ने बताया कि ये शव मुख्य रूप से जलपाईगुड़ी जिले में उफनती तीस्ता नदी से बरामद किए गए। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के शुरुआती अनुमान के अनुसार बरामद किए गए 22 शवों में से कम से कम छह सिक्किम में तैनात भारतीय सेना के जवानों के हैं, जो अचानक आई बाढ़ के बाद लापता हो गए थे।
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बरामद किए गए शवों को जलपाईगुड़ी जिले के मालबाजार, मयनागुड़ी, जलपाईगुड़ी टाउन के चार अलग-अलग अस्पतालों और निकटवर्ती दार्जिलिंग जिले के सिलीगुड़ी में उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में रखा गया है।
बाढ़ से चारों तरफ तबाही का मंजर है। उत्तरी सिक्किम में 16 हजार फीट की ऊंचाई पर बाढ़ की वजह से 68 लोग तीन दिन से फंसे हुए थे। ITBP ने रस्सी की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया और सभी 68 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया।
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हजारों लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है। अभी भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। तबाही के 3 दिन बाद भी सड़कों पर कीचड़ ही कीचड़ नजर आ रहा है। आलम यह है कि मलबा जमा होने के की वजह से लोगों के घरों के दरवाजे भी जाम हो गए हैं। घरों में पानी घुस गया है। फंसे हुए लोगों को निकाला जा रहा है। लापता लोगों की तलाश और सड़कों से मलबा हटाने के लिए JCB मशीनों का सहारा लिया जा रहा है। रेस्क्यू ऑपरेशन में खोजी कुत्तों की भी मदद ली जा रही है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सिक्किम में हुए नुकसान के आंकलन के लिए एक कमेटी बनाने का फैसला किया है। केंद्र ने 44 करोड़ रुपये की फौरी मदद की मंजूरी दी है। नुकसान काफी ज्यादा हुआ है, जिसका आकलन किया जा रहा है।
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