दिल्ली में मंकी पॉक्स का पहला मामला सामने है। मरीज को मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की है। मरीज एक 31 वर्षीय व्यक्ति हैस जिसका कोई यात्रा इतिहास नहीं है। मरीज को बुखार और त्वचा के घावों के साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया है। देश में इस मामले के साथ ही मंकी पॉक्स के कुल मामले बढ़कर तीन नहो गए हैं। दिल्ली से पहले केरल में मंकी पॉक्स के मामले सामने आए थे।
Published: 24 Jul 2022, 11:47 AM IST
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने शनिवार को मंकीपॉक्स को अंतरराष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (ग्लोबल इमर्जेसी ) घोषित किया। वैश्विक स्वास्थ्य निकाय ने कहा कि 70 से अधिक देशों मेंमंकीपॉक्स का प्रकोप एक 'असाधारण' स्थिति है जो अब वैश्विक आपातकाल के रूप में योग्य है।
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ट्रेडोस एडनॉम गेरब्रेयियस ने एक बयान में कहा, "डब्ल्यूएचओ का आकलन है कि मंकीपॉक्स का जोखिम विश्व स्तर पर और यूरोपीय क्षेत्र को छोड़कर सभी क्षेत्रों में मध्यम है, जहां हम जोखिम का आकलन करते हैं।"
बयान में आगे यह भी कहा गया है कि यह आगे अंतरराष्ट्रीय प्रसार का एक स्पष्ट जोखिम भी है, हालांकि अंतरराष्ट्रीय यातायात में हस्तक्षेप का जोखिम फिलहाल कम है। डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा "तो संक्षेप में, हमारे पास एक प्रकोप है जो दुनिया भर में तेजी से फैल गया है, संचरण के नए तरीकों के माध्यम से, जिसके बारे में हम बहुत कम समझते हैं, और जो अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियमों में मानदंडों को पूरा करता है।"
उन्होंने कहा, "इन सभी कारणों से, हमने फैसला किया है कि वैश्विक मंकीपॉक्स का प्रकोप अंतरराष्ट्रीय चिंता का एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल का प्रतिनिधित्व करता है।"
Published: 24 Jul 2022, 11:47 AM IST
WHO के मुताबिक मंकी पॉक्स संक्रमण का इनक्यूबेशन पीरियड (संक्रमण होने से लक्षणों की शुरुआत तक) आमतौर पर 6 से 13 दिनों का होता है, हालांकि कुछ लोगों में यह 5 से 21 दिनों तक भी हो सकता है।
संक्रमित व्यक्ति को बुखार, तेज सिरदर्द, लिम्फैडेनोपैथी (लिम्फ नोड्स की सूजन), पीठ और मांसपेशियों में दर्द के साथ गंभीर कमजोरी का अनुभव हो सकता है।
लिम्फ नोड्स की सूजन की समस्या को सबसे आम लक्षण माना जाता है। इसके अलावा रोगी के चेहरे और हाथ-पांव पर बड़े आकार के दाने हो सकते हैं। कुछ गंभीर संक्रमितों में यह दाने आंखों के कॉर्निया को भी प्रभावित कर सकते हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक मंकीपॉक्स से मौत के मामले 11 फीसदी तक हो सकते हैं। संक्रमण के छोटे बच्चों में मौत का खतरा अधिक रहता है।
मंकी पॉक्स का लक्षण दिखते ही डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत है।
मंकी पॉक्स के लक्षण जैसे स्कीन में रैशेज हो तो, दूसरों के संपर्क में आने से बचना चाहिए।
जिस व्यक्ति में मंकी पॉक्स के लक्षण दिख रहे हैं, उनकी चादर, तौलिया या कपड़ों जैसी पर्सनल चीजों का इंस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
बार-बार अपने हाथों को साबुन या फिर सैनिटाइजर से साफ करते रहें।
मंकी पॉक्स के लक्षण दिखते ही घर के एक कमरे में अकेले रहें।
अपने पालतू जानवरों से भी दूरी बनाकर रखने की जरूरत है।
Published: 24 Jul 2022, 11:47 AM IST
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, मंकी पॉक्स नामक वायरस के कारण यह संक्रमण होता है। यह वायरस ऑर्थोपॉक्सवायरस समूह से संबंधित है। इस समूह के अन्य सदस्य मनुष्यों में चेचक और काउपॉक्स जैसे संक्रमण का कारण बनते हैं।
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, मंकी पॉक्स के एक से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण के मामले बहुत ही कम हैं। संक्रमित व्यक्ति के छींकने-खांसने से निकलने वाली ड्रॉपलेट्स, संक्रमित व्यक्ति की त्वचा के घावों या संक्रमित के निकट संपर्क में आने के कारण दूसरे लोगों में भी संक्रमण होने की आशंका रहती है।
Published: 24 Jul 2022, 11:47 AM IST
विदेश से आए लोग बीमार लोगों के साथ निकट संपर्क में न आएं। खासकर त्वचा व जननांग में घाव वाले लोगों से दूर रहें।
बंदर, चूहे, छछुंदर, वानर प्रजाति के अन्य जीवों से दूर रहें।
मृत या जीवित जंगली जानवरों और अन्य लोगों के संपर्क में आने से भी बचे।
मंकीपॉक्स एक वायरल जूनोटिक बीमारी है। इसमें बुखार के साथ शरीर पर रेशेस आते हैं।
इसके लक्षण चेचक के समान होते हैं।
यह वायरस मुख्यतया मध्य और पश्चिम अफ्रीका में होता है। 2003 में मंकीपॉक्स का पहला केस सामने आया था।
जंगली जीवों का मांस नहीं खाने और अफ्रीका के जंगली जानवरों से प्राप्त उत्पाद जिनमें क्रीम, लोशन, पाउडर शामिल से नहीं करने की सलाह दी गई है।
बीमार लोगों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली दूषित सामग्री जैसे कपड़े, बिस्तर आदि के संपर्क में न आएं।
देश में आगमन के हर प्वाइंट पर संदिग्ध मरीजों की जांच, लक्षण वाले और बिना लक्षण के मरीजों की टेस्टिंग, ट्रेसिंग और सर्विलांस टीम का गठन किया जाए।
अस्पतालों में मेडिकल तय प्रोटोकॉल के तहत इलाज और क्लिनिकल मैनेजमेंट हो।
सभी संदिग्ध मामलों की टेस्टिंग और स्क्रीनिंग एंट्री प्वाइंट्स और कम्युनिटी में की जाएगी
आइसोलेशन में रखे गए मरीज के जब तक सभी घाव ठीक नहीं होते और पपड़ी पूरी तरह से गिर नहीं जाती है को छुट्टी न दी जाए।
मंकीपॉक्स के संदिग्ध मामलों के प्रबंधन के लिए चिन्हित अस्पतालों में पर्याप्त मानव संसाधन और रसद सहायता सुनिश्चित की जाए।
Published: 24 Jul 2022, 11:47 AM IST
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Published: 24 Jul 2022, 11:47 AM IST