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महागठबंधन की पहली बैठक में विपक्षी दलों की ऐतिहासिक एकजुटता, मतभेद भुलाकर साझा रणनीति से भिड़ेंगे बीजेपी से

महागठबंधन की यह पहली बैठक इस कारण भी अहम है कि इसमें संसद के शीतकालीन सत्र में दोनों सदनों के भीतर मोदी सरकार का विरोध और राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन की संभावनाओं की दिशा में मजबूती से कदम बढ़ाए गए।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी विरोधी पार्टियों ने एक मंच पर आकर साझा रणनीति बनाने की ऐतिहासिक एकजुटता की नींव डाल दी। कांग्रेस, तृणमूल, टीडीपी, डीएमके, आम आदमी पार्टी, वाम दलों के साथ कुल 21 पार्टियों ने संसद के भीतर हाथ मिलाने और बीजेपी की देशहितों को नुकसान पहुंचाने वाली नीतियों के खिलाफ संघर्ष तेज करने का फैसला किया है।

महागठबंधन की यह पहली बैठक इस कारण भी अहम है कि इसमें संसद के शीतकालीन सत्र में दोनों सदनों के भीतर मोदी सरकार का विरोध और राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन की संभावनाओं की दिशा में मजबूती से कदम बढ़ाए गए। कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी और सोनिया गांधी समेत आठ वरिष्ठ नेता शामिल हुए। सबसे अहम बात है कि कई प्रदेशों में एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले दलों ने विरोध की बेड़ियों को तोड़ अभूतपूर्व एकजुटता दिखाने में परहेज नहीं किया।

महागठबंधन के नेताओं ने बैठक के दौरान देश की संवैधानिक संस्थाओं को नष्ट करने और आरबीआई, सीबीआई, ईडी आदि के राजनैतिक इस्तेमाल करने के भी आरोप मोदी सरकार पर लगाए।

अब विपक्षी दलों के एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भेंट करने का समय मांगा है। उन्हें एक ज्ञापन सौंपने की तैयारी है, जिसमें उन्हें संविधान के सरंक्षक होने के नाते आवश्यक हस्तक्षेप की अपील की जाएगी।

उत्तर प्रदेश में बीजेपी विरोधी दो बड़ी पार्टियां समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी साझा विपक्ष की इस बैठक से नदारद रहीं, लेकिन नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारुक अब्दुला ने इस संवाददाता से बातचीत में दावा किया कि एसपी-बीएसपी दोनों ही सौ प्रतिशत महागठबंधन के साथ हैं। यूपी से राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजित सिंह बैठक में शामिल हुए, जोकि एसपी-बीएसपी के प्रस्तावित गठजोड़ के सहयोगी हैं।

तीन घंटे से भी ज्यादा वक्त तक चली बैठक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि, "आरएसएस-बीजेपी देश की सभी सर्वोच्च संस्थाओं, रिजर्व बैंक, सीबीआई जैसी संस्थाओं को तहस-नहस कर रही है।“ उन्होंने कहा कि इस बैठक में हम सभी पार्टियों और नेताओं के बीच इस बात पर पूरी एकजुटता कायम हुई है कि आरएसएस और बीजेपी के खिलाफ मिल-जुलकर पूरी एकता के साथ लड़ाई लड़ी जाए। हम सभी पार्टियां एकता के साथ अगले चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए एकजुट रहेंगे।

राहुल गांधी ने कहा कि राफेल लड़ाकू विमान सौदे में मोदी सरकार के झूठ पर भी बैठक में चर्चा हुई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के झूठ से फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति होलांद ने खुद ही पर्दा उठाया दिया है कि अनिल अंबानी को सौदे में बिचौलिया रखने का दबाव पीएम मोदी का था।

बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर राजनैतिक बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाया और कहा कि देश में लोकतंत्र को बचाने के लिए सभी विपक्षी पार्टियों को आपसी मतभेद भुलाकर एक मंच पर आना वक्त की सबसे बड़ी मांग है।

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडु ने कहा, "बीजेपी विरोधी सभी पार्टियों के एक साथ आने से विपक्षी पार्टियों की बैठक एक राष्ट्रीय आवाज बनकर सामने आयी है। मोदी सरकार जिस तरह से देश की सभी संस्थाओं को समाप्त करना चाहती है, उससे देश के लोकतंत्र पर सबसे ज्यादा खतरा बढ़ गया है।“ उन्होंने कहा कि लोकतंत्र पर मंडरा रहे खतरे के कारण लोकतांत्रिक संस्थाओं पर बड़ा संकट आ चुका है। इसलिए यह एकता संसद के भीतर बाहर दोनों स्तरों पर होनी है।

नायडु ने कहा कि भले ही राज्यों में कुछ हमारी सहयोगी पार्टियों में कुछ मतभेद हैं लेकिन सभी पार्टियों ने दलगत भिन्नता व मनमुटाव के बावजूद इस बात को शिद्दत से महसूस किया है कि अलग-अलग विचारों के बावजूद वे सब के सब बीजेपी को सत्ता से हटाने के लिए एकजुट हों।

सबसे अहम बात आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल के बैठक में शामिल होना है। पहली बार संसद भवन में महागठबंधन की पहली बैठक में उन्होंने शिरकत की। पार्टी के लोकसभा सांसद भगवंत मान व राज्यसभा सदस्य संजय सिंह दोनों ही बैठक में मौजूद थे।

तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष व बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बैठक में सबसे पहले रिजर्व बैंक के गर्वनर उर्जित पटेल के इस्तीफे की जानकारी दी। संसद सत्र के एक दिन पहले पटेल का इस्तीफा मोदी सरकार पर करारा तमाचा माना गया। ज्ञात रहे कि पिछले कई सप्ताह से भारत के इस केंद्रीय बैंक की स्वायत्ता को लेकर मोदी सरकार व रिजर्व बैंक बीच रस्साकस्सी चल रही थी। पटेल के इस्तीफे की खबर आने के बाद विपक्षी पार्टियों की बैठक का एजेंडा और बढ़ गया।

कांग्रेस के जो प्रमुख नेता बैठक में थे उनमें राज्यसभा में पार्टी के नेता गुलाम नबी आजाद, लोकसभा में विपक्ष के नेता व कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे, मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजे वाला व महासचिव अशोक गहलोत भी शामिल थे।

चंद्रबाबू नायडु जोकि पिछले कुछ महीनों से गैर बीजेपी विपक्षी पार्टियों को एक मंच पर लाने के प्रयासों में जुटे थे, ने बैठक के आयोजन में अहम भूमिका निभाई। वे इस माह के आरंभ में दिल्ली में बैठक बुलाने की योजना पर काम कर रहे थे, लेकिन एसपी-बीएसपी के दबाव के कारण उन्होंने महागठबंधन दलों की बैठक की तारीख आगे।

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बैठक में ईवीएम मशीनों का मामला भी उठा। हालांकि पार्टियों में इस बात पर एक राय नहीं थी कि आगामी लोकसभा चुनावों में ईवीएम के बायकाट के बारे में कोई रणनीति बने या नहीं। बैठक में तृणमूल कांग्रेस से गंभीर मतभेदों के बावजूद सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी और ममता बनर्जी मौजूद रहे। जबकि दिल्ली व पंजाब में कांग्रेस की प्रमुख प्रतिद्वंदी पार्टी होने के बाद भी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पूरी बैठक में आखिर तक जमे रहे।

जो दूसरे प्रमुख विपक्षी नेता बैठक में शामिल हुए उनमें पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह, एचडी देवेगौड़ा, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, लोकतांत्रिक जनतादल के अध्यक्ष शरद यादव, भाकपा महासचिव एस सुधाकर रेड्डी, आरजेडी के नेता व बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, जेएमएम के हेमंत सारेन, झारखंड विकास पार्टी के बाबूलाल मरांडी, आईयूडीएफ के बदरुद्दीन अहमद व आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन, डीएमके के एम के स्टालिन व कनीमोझी समेत करीब 40 नेता व सांसद शामिल थे।

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