रेप के आरोप में बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। चार साल पुराने रेप के आरोप में एफआईआर दर्ज करने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ उनकी याचिका को आज सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। साथ ही कोर्ट ने कहा कि मामले की सही ढंग से जांच होनी चाहिए। अगर आप सही होंगे तो बच जाएंगे। ऐसे में अब शाहनवाज हुसैन पर रेप का केस दर्ज होगा।
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शाहनवाज हुसैन का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और सिद्धार्थ लूथरा ने जस्टिस एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ के समक्ष कहा कि शिकायतकर्ता ने उनके मुवक्किल के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज कराई थीं और पुलिस ने जांच की, लेकिन कुछ भी नहीं मिला। इस पर पीठ ने कहा कि निष्पक्ष जांच होती है और अगर कुछ नहीं मिलता है, तो आपको बरी कर देंगे। शीर्ष अदालत ने कहा कि उसे मामले में दखल देने का कोई कारण नजर नहीं आता। पिछले साल अगस्त में, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में शहनवाज के खिलाफ सुनवाई पूरी होने तक केस दर्ज करने पर रोक लगा दी थी। अब 16 जनवरी 2023 को सुनवाई पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केस दर्ज करने की इजाजत दे दी है।
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जून 2018 में, दिल्ली की एक महिला ने हुसैन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 (बलात्कार), 120-बी (आपराधिक साजिश) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत अपराध करने का आरोप लगाते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। महिला का आरोप है कि बीजेपी नेता ने उसके साथ रेप किया और जान से मारने की धमकी भी दी। उसने अदालत से प्राथमिकी दर्ज करने के लिए दिल्ली पुलिस को निर्देश देने की मांग की थी।
इससे पहले 26 अप्रैल 2018 को महिला ने दिल्ली पुलिस को एक लिखित शिकायत दी। इसमें उसने आरोप लगाया कि बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन ने उसका रेप किया है। महिला ने शिकायत में लिखा था कि 12 अप्रैल 2018 को शाहनवाज हुसैन ने उसे छतरपुर के एक फार्म हाउस में बुलाया था। वहां धोखे से नशीला पदार्थ खिलाकर उसके साथ रेप किया। महिला ने महरौली थाने के एसएचओ को भी लिखित शिकायत दी, जिसे उन्होंने रिसीव नहीं किया। महिला का आरोप है कि उस पर इन शिकायतों को वापस लेने का दबाव था।
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पुलिस में सुनवाई नहीं होने पर महिला ने 21 जून 2018 को नई दिल्ली के साकेत कोर्ट की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में शाहनवाज हुसैन के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत शिकायत दर्ज कराई और पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का आदेश देने की अपील की। सुनवाई के बाद साकेत कोर्ट ने पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। इस फैसले के खिलाफ शाहनवाज ने साकेत कोर्ट के स्पेशल जज के पास रिवीजन पिटिशन दाखिल की, जिसे कोर्ट ने 12 जुलाई को खारिज कर दिया। इसके खिलाफ शाहनवाज दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे थे, जिसने 17 अगस्त 2022 को जारी आदेश में निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा था।
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