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विपक्ष के लिए ही नियम कानून क्यों? कांग्रेस पर FIR, बीजेपी 'पाक' साफ! EC की निष्पक्षता पर भी उठे सवाल

नोएडा से कांग्रेस प्रत्याशी पंखुड़ी पाठक के लिए चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल के खिलाफ सेक्टर 113 थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। लेकिन जब दूसरी तरफ भाजपा के विधायक सैकड़ों समर्थकों के साथ जुलूस निकाल रहे हैं तो चुनाव आय़ोग मौन है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया  

कोरोना काल के बीच एक बार फिर देश के पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर में अगले महीने यानी 10 फरवरी से चुनाव की शुरूआत हो जाएगी, जिसके नतीजे 10 मार्च को घोषित होंगे। इन राज्यों में चुनाव आयोग ने पहले ही तारीखों का ऐलान कर दिया है, लेकिन अब उसी चुनाव आयोग की निष्पक्षता और कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं, यही नहीं केंद्र और यूपी की डबल इंजन की सरकार पर की ओछी राजनीति भी साफ दिखने लगी है। ऐसा इसलिए क्योंकि बीजेपी को छोड़ अन्य दल अगर चुनाव प्रचार मैदान में करने उतर रहे हैं तो उनके खिलाफ FIR कर दी जा रही है। इसमें मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी शामिल हैं।

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लखनऊ में सपा की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद अब योगी सरकार को कांग्रेस का डोर टू डोर अभियान भी रास नहीं आ रहा है। ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस को मिल रहे जन समर्थन से सरकार परेशान है। तभी तो जहां 5 लोग प्रचार कर रहे हैं उनपर कार्रवाई की जा रही है लेकिन वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के तमाद दिग्गजों की ऐसी तस्वीरें सामने आई रही है। जिनमें वो खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाते दिख रहे हैं, लेकिन उन सब पर कार्रवाई करने की बजाय चुनाव आयोग मौन है।

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दरअसल, मामला उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले का है। जहां नोएडा विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी पंखुड़ी पाठक के प्रचार प्रसार के लिए आए छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल के खिलाफ कोरोना नियम तोड़ने का आरोप लगाकर FIR दर्ज कर दी जाती है। जबकि वो नियमों का पालन कर डोर टू डोर अभियान कर रहे थे, एक सीएम होने के चलते उनके साथ सुरक्षा होना भी लाजमी है और अगर किसी दूसरे राज्यों में चुनाव प्रचार के लिए आए हैं तो यूपी पुलिस द्वारा सुरक्षा भी होनी ही थी, लेकिन ऐसा लग रहा है कि चुनाव आय़ोग ने इन तमाम सुरक्षा कर्मियों को भी चुनाव प्रचार का हिस्सा समझ लिया है। इस मामले पर खुद सीएम बघेल ने चुनाव आयोग और सरकार को कटघरे में खड़ा किया है।

सीएम भूपेश बघेल का कहना है कि एफआईआर सिर्फ मेरे खिलाफ ही क्यों? ऐसे कैसे चलेगा चुनाव प्रचार? उन्होंने सवाल किया है कि अमरोहा में बीजेपी के चुनाव प्रचार के खिलाफ एफआईआर क्यों नहीं हुई? चुनाव आयोग का पक्षपात शुरू में ही नजर आता है। मैं फिर जाऊंगा यूपी, प्रचार नहीं करेंगे तो क्या करेंगे? सीएम भूपेश बघेल ने आगे कहा कि चुनाव आयोग को चुनाव प्रचार कैसे करना है, इसका डेमो देना चाहिए। हम इसे बिल्कुल वैसा ही करेंगे। अमरोहा में 5 दिन से घर-घर प्रचार कर रही है बीजेपी, उस पर कार्रवाई क्यों नहीं? भूपेश बघेल ने कहा कि चुनाव आयोग को निष्पक्ष होना चाहिए।

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दरअसल, अमरोहा के भाजपा विधायक महेंद्र खडगवंशी का जुलूस निकालते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है। इसमें विधायक बड़ी संख्या में अपने समर्थकों के साथ चुनाव प्रचार करते नजर आ रहे हैं। भाजपा विधायक द्वारा आचार संहिता और कोरोना गाइडलाइन को ताक पर रखकर नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है, लेकिन खुद को निष्पक्ष बताने वाले चुनाव आयोग इन तस्वीरों को अनदेखा कर रहा है। वीडियो वायरल होते ही चुनाव आयोग से इस मामले में कार्रवाई की मांग की जा रही है। लेकिन अब तक किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई है।

ऐसा ही हाल नोएडा के बाकी जिलों का भी है। जहां भाजपा के प्रत्याशी ढोल नगाड़ों के साथ जुलूस निकाल रहे हैं और कोई कार्रवाई नहीं हो रही है, लेकिन जब उसी नोएडा में विपक्ष लोगों के बीच पहुंच रहा है तो उनपर FIR दर्ज की जा रही है। अब ऐसे में यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या सारे नियम कानून केवल विपक्ष के लिए ही हैं? बाकी की पार्टियां के लिए ये नियम लागू ही नहीं होते हैं।

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इससे पहले हाल ही में समाजवादी पार्टी मुख्यालय पर आयोजित वर्चुअल रैली के मामले में चुनाव आयोग ने नोटिस जारी 24 घंटे के अंदर जवाब मांगा है। बता दें, कि लखनऊ पुलिस द्वारा सपा के करीब 2500 कार्यकर्ताओं पर एफआईआर दर्ज की गई थी।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में चुनाव आयोग ने रैली पर रोक लगा रखी है। आयोग ने राज्यों को कोविड और आदर्श आचार संहिता का सख्ती से पालन कराने का निर्देश भी दिया है। आयोग ने राजनीतिक दलों को इंडोर मीटिंग के लिए 300 लोग अधिकतम या हाल की 50 प्रतिशत कैपिसिटी तक छूट दी है। इससे पहले डोर टू डोर के लिए चुनाव आयोग ने 5 लोगों की अनुमति दी थी। जिसका कांग्रेस पूरी तरह से पालन कर रहा है लेकिन इसके बावजूद चुनाव आयोग की एक तरफा कार्रवाई कई तरह के सवाल खड़े कर रही है।

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