भारत में कोरोना का धर्म तय हो गया है और अब इसके रुझान यहां की गलियों में मिलने लगे हैं।ताजा मामला उत्तर प्रदेश के मेरठ का है। जहां एक मुहल्ले से बिना मुंह ढंके गुजर रहे एक शख्स के बार-बार छींकने पर जब उसे मुंह ढंकने के लिए टोका गया, तो उसने पलटकर जवाब दिया कि वह हिंदू है, मुसलमान नहीं।
घटना मेरठ के शास्त्रीनगर में रहने वाले समाजवादी पार्टी की सरकार में मंत्री रहे कुलदीप उज्जवल के घर के बाहर की है। आज सुबह वहां से गुजर रहा एक व्यक्ति लगातार छींक रहा था। इस पर कुलदीप और उनकी प्रोफेसर पत्नी ने सामाजिक जिम्मेदारी समझते हुए उस व्यक्ति को मुंह ढंक कर रखने के लिए कहा। उनका इतना कहना था कि शख्स ने पलटकर जवाब दिया- “मैं मजदूर हूं, काम करने जा रहा हूं और मैं हिन्दू हूं, मुसलमान नहीं।”
कुलदीप और उनकी पत्नी अंशु ने जैसे ही यह सुना वो अचंभित रह गए। बाद में उस व्यक्ति को मुंह पर कपड़ा बंधवाकर कॉलोनी से बाहर भेज दिया गया। राजनीतिक विज्ञान के प्रोफेसर कुलदीप उज्ज्वल कहते हैं, “घटना के घंटों बाद भी मेरे घर में इसी पर चर्चा हो रही है। मेरी पत्नी बार-बार पूछ रही है कि यह क्या हो गया है। कोई बीमारी मजहब देखकर तो नहीं आती है। लोगों के अंदर यह कैसा जहर भर गया है। यह कौन सी मानसिकता है! देश में तुरंत नफरत परोसने वाले टीवी चैनलों पर रोक लगनी चाहिए। जहालत एक तरफ नहीं है, दोनों तरफ के अज्ञानी लोगों का विरोध होना चाहिए।”
हालांकि, यह कोई पहली घटना नहीं है। आश्चर्यजनक रूप से हिंदू बहुल इलाकों में मुस्लिम सब्जी- रेहड़ी वालों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। कई जगह मारपीट की घटनाएं हुई हैं। गली में प्रवेश से पहले आधार कार्ड चेक किए जा रहे हैं। हिंदू बहुल इलाकों से मुस्लिम किरायदारों को घर छोड़ने के लिए कहा जा रहा है। हिंदू बहुल इलाकों में गलियों में रेढी लेकर आने वाले सब्जी और फल विक्रेता भगवा झंडा लगाकर आ रहे हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस तरह की सबसे अधिक घटना दिल्ली के करीब मेरठ शहर से आ रही है। हालात सभी जगह ऐसे ही हैं।
कुलदीप उज्जवल बताते हैं कि उनके आसपास के इलाकों में भी यही हो रहा है। अब अगर किसी सब्जी वाले से भाव पूछते हैं तो वो पहले जेब मे हाथ डालकर आधार कार्ड निकाल लेता है। उसे आदत हो गई है कि पहले आधार कार्ड से अपना धर्म बताना है। कुलदीप कहते हैं, “मैं जिस संस्कृति और खानदान से आता हूं, वहां अन्याय का कड़ा प्रतिरोध किया जाता है। धर्म के आधार पर किसी भी तरह की नफरत मेरा परिवार बर्दाश्त नहीं कर सकता है। मुझे गर्व है कि मेरी पत्नी को यह बात मुझसे से अधिक बुरी लगी। उसने तुरंत प्रतिक्रिया दी और उस व्यक्ति से कहा कि उसे शर्म आनी चाहिए। महामारी को धर्म से नहीं जोड़ा जा सकता है।"
कुलदीप उज्जवल की पत्नी अंशु के मुताबिक, मैं अब तक यह सब अपने दिमाग से निकाल नहीं पा रही हूं। मैं अंग्रेजी की प्रोफेसर हूं। हजारों बच्चों को पढ़ा चुकी हूं। कभी किसी के साथ जातीय और धार्मिक भेदभाव के बारे में सोचा भी नहीं है। हमारा देश अनेकता में एकता के लिए प्रसिद्ध है। मैं बेहद दुख के साथ कह रही हूं कि हमने अपनी महान पहचान को दांव पर लगा दिया है।”
बागपत के आशीष तोमर भी इसी तरह की एक घटना के बारे में बताते हैं। वो कहते हैं कि यहां एक सब्जी वाला आया था। उसने मास्क नहीं लगाया था। वो सैनिटाइजर भी नहीं ले रहा था। मैंने उससे रिक्वेस्ट किया कि उसे इन सब सावधानियों का ख्याल रखना चाहिए। इस पर सब्जी वाले ने कहा- “साहब मैं तो हिन्दू हूं, मुसलमान नहीं।” युवा आशीष बताते हैं कि एक बार तो मुझे गुस्सा आया।मगर फिर उस पर तरस आ गया, क्योंकि उसका दिमाग हैक कर लिया गया है। निश्चित तौर पर यह देश के लिए अच्छी बात नहीं है।
उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री कुलदीप उज्जवल के मुताबिक सरकार ने ऐसा अपनी नाकामयाबी छुपाने के लिए किया है। वो अपनी गलतियों को एक समुदाय के सिर थोपकर साफ बच निकलना चाहती है। इस तरह की घटनाएं राष्ट्र की अस्मिता के लिए समस्या है।
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