एनआरसी के मद्देनजर पूरे असम में जबरदस्त सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं, वहीं असम के पड़ोसी राज्यों अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय और मणिपुर ने भी चौकसी बढ़ा दी है।
करीब तीन साल से एनआरसी को पूरा करने की प्रक्रिया चल रही थी। पहले एनआरसी के फाइनल मसौदे को 30 जून को प्रकाशित किया जाना था, लेकिन असम में प्राकृतिक आपदाओं के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में एक महीने का अतिरिक्त वक्स मिला था। एनआरसी के असम स्टेट कोआर्डिनेटर के बयान के मुताबिक यह मसौदा असम के सभी एनआरसी सेवा केंद्रों पर दोपहर तक प्रकाशित कर दिया जाएगा। इसमें आवेदक सूची में अपना नाम, पता और फोटो देख सकते हैं।
इस बीच केंद्र सरकार ने कहा है कि 30 जुलाई को प्रकाशित को सिर्फ फाइनल ड्राफ्ट या मसौदा प्रकाशित किया जा रहा है, इसके बाद सभी तरह के दावों और आपत्तियों पर विचार होगा और उसके बाद अंतिम एनआरसी प्रकाशित किया जाएगा।
मसौदे के प्रकाशन के मद्देनजर असम में जबरदस्त सुरक्षा बढ़ा दी गई है। केंद्र सरकार ने भी असम और आसपास के राज्यों में सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए अर्धसैनिक बलों की 220 कंपनियां भेजी हैं। साथ ही सीमाओं पर केंद्रीय बलों के अलावा इंडियन रिजर्व बटालियन (आईआरबी) की अतिरिक्त टुकड़ियां तैनात की जा रही हैं।
नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस -एनआरसी में जिन लोगों के नाम नहीं होंगे उन्हें अवैध नागरिक माना जाएगा। इसमें उन भारतीय नागरिकों के नामों को शामिल किया जा रहा है जो 25 मार्च 1971 से पहले असम में रह रहे हैं। उसके बाद राज्य में पहुंचने वालों को बांग्लादेश वापस भेज दिया जाएगा।
कई राजनीतिक दल और मुस्लिम संगठन एनआरसी का विरोध कर रहे हैं। उनका आरोप है कि सरकार अल्पसंख्यकों को देश से बाहर निकालने के लिए इसका सहारा ले रही है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश और उसकी निगरानी में एनआरसी को अपडेट किया जा रहा है। इससे पहले 31 दिसंबर 2017 को जारी पहली सूची में 3.29 करोड़ आवेदकों में 1.9 करोड़ लोगों के नाम ही शामिल थे।
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