मध्य प्रदेश में इसी साल होने वाले चुनाव से पहले बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा जुटाई गई जमीनी फीडबैक ने राज्य सरकार और संगठन, दोनों की चिंताएं बढ़ा दी हैं, क्योंकि कई इलाकों के जमीनी कार्यकर्ता अपने क्षेत्र के विधायकों, नौकरशाहों और यहां तक पार्टी की सरकार से नाराज हैं।
बीजेपी के पास लंबे अरसे से जमीनी स्थितियां अच्छी नहीं होने की सूचनाएं आ रही हैं। संगठन ने अपने स्तर पर जो फीडबैक पहले मंगाया, वह भी पार्टी के लिए उत्साहजनक नहीं था। लगातार एक ही बात आ रही है कि जमीनी स्तर के कार्यकर्ता अपने निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से खुश नहीं हैं और उन्हें अपने दल की सत्ता होने के बावजूद महत्व नहीं मिल रहा है।
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पूर्व में आई जमीनी रिपोर्ट के बाद पार्टी ने 14 बड़े नेताओं को अलग-अलग जिलों में जाकर वास्तविक स्थिति का पता लगाने की जिम्मेदारी दी थी और इन नेताओं की भोपाल में जो बैठक हुई, उसमें खुलकर सारी बातें सामने आई हैं। इस बैठक में पार्टी के तमाम दिग्गज नेता केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, फग्गन सिंह कुलस्ते के अलावा राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, डॉ. सत्यनारायण जटिया, प्रभात झा सहित अन्य कई नेता मौजूद रहे।
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इन नेताओं ने बैठक में खुले तौर पर यह बताया कि प्रभारी मंत्रियों ने अपने-अपने क्षेत्र के न तो पर्याप्त दौरे किए हैं और न ही इन दौरों के दौरान उन्होंने स्थानीय कार्यकर्ताओं को महत्व दिया है। इतना ही नहीं, क्षेत्रीय विधायकों ने भी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की है और इसी का नतीजा है कि प्रशासनिक मशीनरी ने भी कार्यकर्ताओं को ज्यादा महत्व नहीं दिया।
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फीडबैक के अनुसार जिला स्तर के पदाधिकारी भी मंत्रियों और विधायकों के क्रियाकलापों से खुश नहीं हैं। कुल मिलाकर, पार्टी अब विधायकों पर भी नकेल कसने की तैयारी कर चुकी है तो वहीं प्रभारी मंत्रियों को हिदायत दी जाएगी कि वह कार्यकर्ता की भावनाओं का ख्याल रखें, क्योंकि पार्टी के लिए कार्यकर्ता से बड़ा कोई नहीं है।
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