नेशनल एलिजीबिलिटी कम इंट्रास टेस्ट (एनईईटी) से मात्र एक दिन पहले तमिलनाडु में तीन मेडिकल कॉलेज के उम्मीदवारों ने फेल हो जाने के डर से शनिवार को आत्महत्या कर ली। मदुरै में पुलिसकर्मी मुरुगसुंदरम की बेटी ज्योति श्रीदुर्गा ने शनिवार को अपने घर पर फांसी लगा ली।
इस आत्मघाती कदम को उठाने के कारण का जिक्र करते हुए श्रीदुर्गा ने सुसाइड नोट में कहा कि उसने परीक्षा के लिए अच्छी तैयारी की थी, लेकिन वह परिणाम से बहुत डरी हुई थी। हालांकि उसने इसके लिए किसी को दोषी नहीं ठहराने का अनुरोध किया और अपने फैसले के लिए अपने माता-पिता से माफी मांगी।
Published: 13 Sep 2020, 1:09 PM IST
आत्महत्या की दूसरी घटना धर्मपुरी में हुई, जहां आदित्य नाम के एक लड़के ने खुद की जान ले ली। वहीं नमक्कल जिले में भी मोतीलाल नामक एक अन्य लड़के ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इन घटनाओं के साथ ही पिछले कुछ दिनों में तमिलनाडु में मेडिकल कॉलेज के उम्मीदवारों की आत्महत्या की कुल संख्या चार हो गई।
इससे पहले बुधवार को ही मेडिकल के ईच्छुक छात्र विग्नेश ने एनईईटी के डर से आत्महत्या कर ली थी। उपमुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम ने ट्वीट में छात्रों की आत्महत्या पर अपना दुख व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि छात्रों को चुनौतियों का सामना करने की इच्छा शक्ति विकसित करनी चाहिए। पन्नीरसेल्वम ने यह भी कहा कि अभिभावकों को भी अपने बच्चों के प्रति समर्थन को बढ़ाना चाहिए।
Published: 13 Sep 2020, 1:09 PM IST
वहीं डीएमके अध्यक्ष एम के स्टालिन ने एक ट्वीट में कहा कि एनईईटी का छात्रों पर एक अस्थिर प्रभाव है, जिसे अनीता (एनईईटी के कारण आत्महत्या करने वाली पहली छात्रा) से लेकर श्रीदुर्गा की मौत से देखा जा सकता है।
स्टालिन ने कहा कि उन्हें यह जानकर धक्का लगा कि एनईईटी के डर से श्रीदुर्गा ने आत्महत्या कर ली और कहा कि मेडिकल कॉलेज की प्रवेश परीक्षा ही सब कुछ नहीं है और आत्महत्या इसका समाधान नहीं है। वहीं पीएमके संस्थापक एस रामदौस ने केंद्र सरकार से तमिलनाडु में परीक्षा रद्द करने का आग्रह किया।
Published: 13 Sep 2020, 1:09 PM IST
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Published: 13 Sep 2020, 1:09 PM IST