हालात

पलायन कर रहे प्रवासियों में पिछले लॉकडाउन का खौफ, अब सरकारों पर नहीं हो रहा भरोसा

सोमवार को शाम के बाद दिल्ली से सटे आनंद विहार और कौशम्बी बस स्टैंड पर बेहद अफरातफरी जैसे हालात बन गए थे, एक के ऊपर एक चढ़कर लोग बस पकड़ने की कोशिश कर रहे थे। इतना ही नहीं, बसों में सीट नहीं मिलने पर बस की छतों पर बैठकर भी प्रवासी घर जाने पर मजबूर देखे गए।

फोटोः विपिन
फोटोः विपिन 

दिल्ली में लॉकडाउन की घोषणा होते ही प्रवासी मजदूरों का पलायन मानों इस तरह शुरू हुआ जैसे कि पूरे देश मे लॉकडाउन लग गया हो। आनंद विहार बस स्टैंड और गाजियाबाद स्थित कौशम्बी बस स्टैंड पर यूपी और बिहार जाने वाले प्रवासी मजदूरों की बाढ़ ही आ गई। हालांकि, सोमवार को बस स्टैंड पर घर जाने के लिए जिस तरह प्रवासी मजदूरों की अफरातफरी नजर आई, वैसी अफरातफरी मंगलवार को तो नहीं दिख रही। जिसका एक कारण बसों की संख्या बढ़ना भी बताया जा रहा है।

दिल्ली सरकार ने फिलहाल एक सप्ताह का लॉकडाउन किया है, लेकिन मजदूरों को भरोसा नहीं है कि एक सप्ताह बाद दिल्ली में सब कुछ सामान्य हो जाएगा, जिसकी वजह से प्रवासी मजदूर किसी तरह अपने गांव-घर पहुंच जाना चाहते हैं। बात करने पर पता चला कि मजदूरों में पिछले साल हुए लॉकडाउन का खौफ बैठा हुआ है। पिछले अनुभवों के कारण उनका सरकारों पर भरोसा नहीं हो रहा है।

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उधर, दिल्ली में काम करने वाले कुछ प्रवासी मजदूरों के मालिकों ने अब तक का सारा हिसाब कर दिया है, हालांकि कुछ मजदूर तो बिना पैसे लिए ही भाग रहे हैं। क्योंकि उनको डर है कि कहीं बस या ट्रेन फिर से बंद न हो जाएं। इसके अलावा बहुत सारे ऐसे प्रवासी भी हैं, जिन्हें इस बात का डर है कि एक हफ्ते के बजाए यदि लॉकडाउन आगे बढ़ गया तो हम क्या करेंगे और क्या खाएंगे?

आनंद विहार बस अड्डे पर खड़े सुनील कुमार ने बताया, "मैं अपने घर शाजहांपुर जा रहा हूं, अब ये लॉकडाउन लग गया, क्या पता ये आगे और कितना बढ़े? एक हफ्ते से बढ़ कर 15 दिन भी हो सकता है। पिछली बार लगे लॉकडाउन के वक्त पैदल गए थे। दो दिन के ही लॉकडाउन में भूखे मरने की स्थिति आ गई है।"

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कौशम्बी बस अड्डे पर खड़ी नसरीन भोपाल के एक सलून में कारीगरी का काम करती थीं, लेकिन काम बंद होने के कारण नसरीन अपने घर वापस जा रही हैं और कौशाम्बी बस अड्डे पर किसी बस में जगह मिल जाए इसकी कोशिश कर रही हैं। उनके मुताबिक भोपाल में किराए के मकान में रहते हैं, जब कमाएंगे ही नहीं तो घर का किराया कैसे देंगे।

दरअसल सोमवार रात दोनों ही बस अड्डो पर बेहद अफरातफरी जैसे हालात बन गए थे, एक के ऊपर एक लोग चढ़ बस पकड़ने की कोशिश कर रहे थे। इतना ही नहीं, बसों में सीट नहीं मिलने पर बस की छतों पर बैठकर प्रवासी घर जाने पर मजबूर देख गए।

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वहीं दिल्ली सरकार द्वारा लगाए गए लॉकडाउन पर राजनीति भी शुरू हो गई है। उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि "यूपी सरकार बसों का इंतजाम कर लोगों को घर पहुंचाने का काम कर रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने बिना तैयारी के आननफानन में लॉकडाउन लगा दिया।" हालांकि उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने सोमवार रात को ही 70 हजार बसों का इस्तेमाल कर करीब 1 लाख लोगों को उनके घर पहुंचाने का काम शुरू कर दिया है।

फिलहाल लोग पिछली बार की तरह पैदल न जाएं इसलिए बसों में बाहर लटक कर जाने पर मजबूर है, क्योंकि मकसद बस इतना है कि घर वापसी हो। हालांकि इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि प्रवासी मजदूरों की यह बेतहाशा भीड़ कहीं न कहीं कोरोना कैरियर साबित हो सकती है। लेकिन रोजी-रोटी के कारण लोगों को इस वक्त बीमारी दिखाई ही नहीं दे रही है।

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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