इसी सप्ताह मंगलवार को सरिता विहार की बस्ती राजस्थानी कैंप में रहने वाली 69 वर्षीय शकुंतला दोपहर के वक्त अचानक अपने घर के नजदीक ही बेहोश होकर गिर पड़ीं। उसे तुरंत अपोलो अस्पताल ले जाया गया, क्योंकि वही सबसे नजदीकी अस्पताल था। राजस्थानी कैंप के प्रधान अरुण ने बताया कि, “हमें लगता है कि अस्पताल ले जाते हुए रास्ते में ही उनकी मृत्यु हो गई थी, लेकिन फिर भी अस्पताल में डॉक्टरों ने उन्हें चेक किया और उनके खून का सैंपल लिया। बुधवार को सैंपल की रिपोर्ट आई है कि शकुंतला कोरोना वायरस से संक्रमित थीं।”
लोग बताते हैं कि शकुंतला अपनी कॉलोनी से सिर्फ तभी निकलती थीं जब उन्हें डाबिटीज की दवा चाहिए होती थी। इस पूरे महीने भर वह शायद ही घर से निकलीं हों। उनका पति शीशपाल भी ज्यादातर समय कॉलोनी में ही रहता है। अरुण ने बताया कि, “दोनों ही इस समय कहीं काम नहीं कर रहे थे। उनके दो बेटे और तीन बेटियां हैं। उनकी एक बेटी घर का किराया और दूसरे खर्च उठाती है। उनका कोई भी बच्चा कॉलोनी में नहीं रहता है। उनकी बेटियां वैसे तो सप्ताह में एक बार आती थीं, लेकिन लॉकडाउन के बाद से नहीं आई हैं।”
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शकुंतला की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आने के बाद पूरी बस्ती में भय का माहौल है। बुधवार को कॉलोनी का कोई भी व्यक्ति डर के मारे वह खाना लेने भी बाहर नहीं आया जो उनके लिए भेजा गया था। अरुण बताते हैं कि, “हमें ऐसा नहीं करना चाहिए था, लेकिन लोग डरे हुए हैं इसलिए हमने खाना वापस भेज दिया। आज तो खाना आया भी नहीं, ऐसे में या तो वायरस से मरेंगे या भूख से।” उनका कहना है कि कॉलानो वाले डरे हुए हैं क्योंकि पूरी बस्ती कॉमन बाथरूम इस्तेमाल करती थी इसलिए आशंका है कि कई लोग संक्रमित हो सकते हैं।
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अस्पताल ने इस बारे में पुलिस को सूचना दे दी थी, किन बुधवार तक कोई भी नहीं आया। गुरुवार को दोपहर के वक्त सरिता विहार थाने के दो कांस्टेबिल पहुंचे। सरिता विहार थाने के एसएचओ अजब सिह ने बताया, “हमें अस्पताल ने बताया था और हम गुरुवार को बस्ती में गए थे। हमने शकुंतला के परिवार के लोगों के नाम ले लिए हैं। और उनके नाम भी लिखें हैं जो उनके तुरंत संपर्क में आए थे। हमने लोगों से घरों में ही रहने की पील की है और सारी जानकारी एसडीएम को दे दी है, अब वह इस इलाके को कंटेनमेंट जोन घोषित कनके के आदेश जारी कर सकते हैं।”
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उधर सरिता विहार के एसडीएम पी आर कौशिक ने कहा कि वह इस मामले में टिप्पणी नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि इस बारे में अधिकारिक व्यक्ति से ही बात करें। उन्होंने कहा, “आप पत्रकार हैं, तो आपको पता होगा कि कौन इस मामले में बोलने के लिए अधिकृत है।” कौशिक ने इसके आगे किसी भी बात का जवाब नहीं दिया।
इस दौरान बस्ती के लोग चिंतित हैं क्योंकि अभी तक कोई भी मेडिकल टीम कैंप में नहीं पहुंची है और न ही किसी किस्म का सैनिटाइजेशन ड्राइव या मास्क बांटने का काम हुआ है। इंटरनेशनल फेडरेशन ट्रेड यूनियन के दिल्ली चैप्टर के अध्यक्ष डॉ अनिमेश दास ने बताया कि, “यहां सरकारी लापरवाही एकदम साफ दिखती है। अभी तक कोई सैनिटाइजेशन ड्राइव नहीं चलाया गया और न ही कोई अधिकाकी यहां पहुंचा जो लोगों को बता सके कि क्या एहतियात बरतनी है। त्रासदी यह है कि पुलिस तो पहुंच गई जबकि यहां पहले मेडिकल टीम को आना चाहिए था।”
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हाल ही में स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से प्रतिदिन ब्रीफिंग करने वाले संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कोरोना वायरस के सामुदायिक फैलाव से इनकार किया था। उन्होंने उस सवाल के जवाब में यह कहा था जब पूछा गया था कि सांस की तकलीफ वाले रोगियों की रैंडम सैंपलिंग करने पर कई लोग कोरोना पॉजिटिव केस पाए गए थे जबकि उनका विदेश यात्रा का कोई इतिहास नहीं था।
ध्यान रहे कि इस महीने की शुरात में एम्स के प्रमुख डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा था कि देश के कुछ हॉस्पॉट में स्थानीय स्तर पर सामुदायिक प्रसार की आशंका है। लेकिन साथ ही यह भी कहा था कि इसे शुरुआती स्तर पर ही रोक लिया गया था और चिंता की कोई बात नहीं है। लेकिन प्रोग्रेसिव मेडिकोज एंड साइंटिफिक फोरम के अध्यक्ष डॉ हरजीत भाटी ने कहा था कि, “आईसीएमआर कोरोना के सामुदायिक प्रसार को रोकने के लिए टेस्ट के मनमाने मापदंड अपना रही है। पहले उन्होंने कहा कि अलग-अलग जगहों से लिए गए सैंपल निगेटिव आ रहे हैं, इसके बाद उन्होंने कहा कि हर किसी की सैंपलिंग हो रही है उनके कांटेक्ट ट्रेस किए जा रहे हैं। इसके बाद कहा कि जिन लोगों के कांटेक्ट नहीं मिल रहे हैं उनके बारे में नहीं पता चल रहा कि संक्रमण कहां से हुआ है।” उन्होंने कहा कि आईसएमआर को अपने रुख में पारदर्शिता अपनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब किसी व्यक्ति में संक्रमण का स्रोत नहीं पता चल रहा है तो इसका यही अर्थ है कि कोरोना वायरस का सामुयादियक प्रसार शुरु हो चुका है।
गौरतलब है कि देश की राजधानी में अब तक कोरोना के 2178 पाजिटिव केस सामने आ चुके हैं और 90 लोगों की मौत हो चुकी है। 22 अप्रैल को ही दिल्ली में 75 नए केस सामने आए, इनमें जहांगीरपुरी थाने के 6 पुलिस वाले भी शामिल थे।
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