दिल्ली के कई शिक्षक संगठनों ने दिल्ली विश्वविद्यालय के उस सर्कुलर का विरोध किया है, जिसमें कहा गया है कि 16 अगस्त से सांइस स्ट्रीम के ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों के लिए कॉलेज खोले जा रहे हैं। विश्वविद्यालय के इस सकरुलर के मुताबिक विज्ञान पाठ्यक्रम वाले दिल्ली विश्वविद्यालय के सभी कॉलेज अपने विज्ञान संकाय की कक्षा और लैब को फिजिकल मोड़ में खोलेंगे।
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शिक्षक संगठनों ने इस सर्कुलर को छात्र अहित में बताया। उनका कहना है कि कोरोना वायरस की तीसरी लहर आने वाली है जो कि बहुत ही खतरनाक बताई जा रही है। इसलिए डीयू प्रशासन को कॉलेजों को खोलने से पहले इस पर विचार करना चाहिए। क्या डीयू ने अपने कॉलेज व लैब को फिजिकल मोड़ में खोलने की तैयारी की हुई है।
दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) के अध्यक्ष डॉ हंसराज सुमन ने बताया है कि जनवरी 2021 में भी दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसी तरह का सकरुलर कॉलेजों को खोलने से संबंधित भेजा था। उसके बाद अप्रैल, मई में कोरोना कि भयावह स्थिति हुई। कोरोना महामारी की चपेट में आने से लगभग 60 शिक्षकों की मौत हुई और न जाने कितने ही परिवार बेसहारा हो गए।
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डॉ. सुमन ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि क्या अभी भी हमारे कर्मचारियों ने जो लैब को खोलेंगे , प्रेक्टिकल कराएंगे उन्होंने वैक्सिनेशन करा लिया है और कॉलेज में पढ़ने वाले या विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय के सभी छात्रों ने अपना वैक्सिनेशन करा लिया है।
डीटीए का कहना है कि कोरोना संक्रमण के इस दौर में दिल्ली में आज भी 44 कोरोना बीमारी के मामले सामने आए हैं जबकि इससे 5 लोगों की मौत हुई है। कुल 512 से ज्यादा ऐक्टिव मामले हैं यानी अभी भी स्थिति सामान्य नहीं हुई है। दिल्ली में कोरोना संक्रमण का खतरा बरकरार है।
डॉ. सुमन का कहना है कि देश की स्थिति का यदि आकलन किया जाए तो प्रतिदिन लगभग 45,000 के आसपास कोरोना के मामले आ रहे हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय में देश-विदेश से छात्र पढ़ने आते है। दिल्ली विश्वविद्यालय के शैक्षिक माहौल की विश्व स्तरीय पहचान है।
उनका कहना है कि 5 अगस्त 2021 को दिल्ली विश्वविद्यालय ने जो सकरुलर जारी कर यह निर्देश दिया है कि 6 अगस्त से विश्वविद्यालय, कॉलेजों में शिक्षक और कर्मचारियों की उपस्थिति अनिवार्य है। 16 अगस्त से विज्ञान विषय के स्नातक एवं परास्नातक छात्रों की उपस्थिति भी अनिवार्य रहेगी। इसका डीटीए पूर्णत विरोध करता है ।
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