महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए मतदान में अब महज चंद रोज रह गए हैं। इसके लिए राजनीतिक दलों का चुनाव प्रचार अपने चरम पर है। सभी दल, खासकर सत्ताधारी बीजेपी-शिवसेना इस चुनाव में फिर बड़े वादे कर रहे हैं। इसमे किसानों को लेकर भी कई लुभावनी बातें कही जा रही हैं। लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि बीते 5 साल से बीजेपी के शासन में राज्य में किसानों द्वारा खुदकुशी के मामले दोगुने से भी ज्यादा बढ़ गए हैं। सिर्फ पिछले साल राज्य में हर रोज 7 किसानों ने मौत को लगे लगा लिया। सबसे दुखद ये है कि इस दौरान किसानों को दिए जाने वाले मुआवजे की संख्या घटी है।
Published: 18 Oct 2019, 10:18 PM IST
यह पूरी जानकारी सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत राज्य सरकार से मिली है। जनसत्ता की खबर के अनुसार आरटीआई कार्यकर्ता शकील अहमद द्वारा दायर आरटीआई के जवाब में महाराष्ट्र सरकार ने बताया है कि राज्य में 2015 से 2018 के बीच 12,021 किसानों ने खुदकुशी की। जानकारी के मुताबिक 2013 में 1296 किसानों की खुदकशी के मामले सामने आए थे, जबकि 2018 में यह संख्या 2761 हो गई। आंकड़े बताते हैं कि 2013 के मुकाबले 2018 में किसानों की खुदकुशी की संख्या दोगुनी से ज्यादा हो गई।
Published: 18 Oct 2019, 10:18 PM IST
आरटीआई में यह भी सामने आया है कि राज्य में पिछले साल हर दिन 7 किसानों ने अपनी जान दी। आंकड़ों की बात करें तो साल 2015 में कुल 3,263 किसानों ने महाराष्ट्र में खुद को खत्म कर लिया। इसके अगले साल 3,080 थी और फिर 2017 में कुल 2,917 किसानों ने खुद को मौत के हवाले कर दिया। जबकि पिथले साल यानि 2018 में राज्य में 2,761 किसानों ने आत्महत्या कर लिया। आंकड़े बताते हैं कि राज्य में पिछले 4 साल में हर दिन औसतन 8 किसानों ने आत्महत्या की है। जबकि पिछले साल हर रोज 7 किसानों ने अपनी जान दे दी।
इस पूरे मामले में सबसे दुखद ये है कि मिली जानकारी के अनुसार पिछले 5 साल में सरकार ने राज्य सरकार ने किसानों को दिए जाने वाले मुआवजे की संख्या को घटा दिया है। साल 2014 में सरकार की ओर से जहां 1358 किसानो को मुआवजे दिए गए, वहीं 2018 में महज 1316 मुआवजे जारी किए गए।
Published: 18 Oct 2019, 10:18 PM IST
साल 2019 की बात करें तो इस साल 1 जनवरी से 28 फरवरी के बीच राज्य में कुल 396 किसानों की खुदकुशी की बात सरकार ने बताई है। इसका औसत निकालें तो साफ पता चलता है कि इस साल के शुरुआती दो महीनों में हर दिन औसतन 6 किसानों ने अपनी जिंदगी खत्म कर ली। हालांकि, आरटीआई के तहत मिली जानकारी में यह भी सामने आया है कि महाराष्ट्र में 2015 के बाद से किसानों की आत्महत्या के मामलों गिरावट आई है। जहां साल 2015 में 3263 आत्महत्या के मामले बताए जा रहे हैं, वहीं 2018 में यह आंकड़ा घटकर 2761 रह गया है। लेकिन इसके कई कारण हो सकते हैं। पुलिस और प्रशासन द्वारा किसानों की आत्महत्या को आत्महत्या ना मानना भी इस संख्या के घटने का प्रमुख कारण है।
Published: 18 Oct 2019, 10:18 PM IST
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Published: 18 Oct 2019, 10:18 PM IST