केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन विवादित कृषि कानूनों को खिलाफ देश के किसान बीते करीब 200 दिन से आंदोलन कर रहे हैं। दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसानों के आंदोलन के दौरान करीब 500 किसानों की जान भी गई है। ऐसे में मोदी सरकार ने खरीफ फसलों की एमएसपी का ऐलान किया है। लेकिन 40 किसान यूनियनों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार की इस घोषणा को खारिज कर दिया है। किसान मोर्चा ने इसे सरकार का किसान विरोधी रवैया बताते हुए जुमला करार दिया है।
एक संयुक्त बयान में किसानों नेताओं ने कहा कि, “सरकार ने फसलों की लागत यानी सी-2 में 50 फीसदी जोड़ने के बजाय अपनी पुरानी तिकड़म के तहत फसलों पर खर्च लागत और परिवार के श्रम को जोड़ कर एमएसपी का ऐलान किया है।”
ध्यान रहे कि स्वामीनाथन आयोग ने सी-2 मूल्य फार्मूल सुझाया था जिसके तहत एमएसपी का निर्धारण फसल उत्पाद की कुल लागत में 50 फीसदी जोड़कर किया जाना था। लेकिन 2014 की स्वामीनाथन रिपोर्ट पर सरकार अमल करने से बचती रही है।
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गौरतलब है कि सरकार ने 2021-22 के लिए धान की एमएसपी में 72 रुपए प्रति कुंतल की बढ़ोत्तरी कर 1,940 रुपए का ऐलान किया है। पिछले साल धान की एमएसपी 1,868 रुपए प्रति कुंतल थी। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर जो एमएसपी घोषित की हैं उसमें सर्वाधिक बढ़ोत्तरी तिल के दाम में 452 रुपए प्रति कुंतल और तूर की एमएसपी में 300 रुपए प्रति कुंतल की बढ़ोत्तरी की गई है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने कृषि मंत्रालय और नीति आयोग के रुख में विरोधाभास की तरफ इशारा करते हुए कहा कि एक तरफ नीति आयोग कहता है कि सरकार किसानों से तभी बात करेगी जब किसान कृषि कानूनों में खामियों को स्पष्ट बताएंगे, जबकि कृषि मंत्री कहते हैं कि बात तब होगी जब किसान किसी वैकल्पिक प्रस्ताव पेश करेंगे।
किसान नेताओं ने कहा कि, “ऐसा लगता है कि नीति आयोग में सलाहकार के तौर पर काम करने वाले रमेश चंद्र को पता नहीं है कि किसानों और सरकार के बीच 11 दौर की बातचीत हो चुकी है। इन सभी बातचीत के दौरान किसानों ने कृषि कानूनों में बुनियादी खामियों को ही सरकार के सामने रखा है।”
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किसान नेताओं ने कहा कि सरकार का किसान विरोध रवैया एकदम स्पष्ट है ऐसे में सरकार को तीन कृषि कानून रद्द कर एमएसपी का कानून बनना चाहिए।
कांग्रेस सासंद और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस मसले पर ट्वीट कर कहा कि किसान सिर्फ खेत ही नहीं देश की रक्षा करते हुए भी अपने प्राण न्योछावर कर रहे हैं।
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इस बीच किसान आंदोलन तेज हुआ है और हजारों किसान आंदोलन से जुड़ रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि उत्तराखंड के उद्धमसिंह नगर से हजारों की तादाद में किसान गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे हैं।
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