केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए 3 विवादित कृषि कानूनों के विरोध में सिंघु बॉर्डर पर चले रहे प्रदर्शन का नजारा 8 मार्च को खासा बदला हुआ नजर आ सकता है। क्योंकि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर इन विवादास्पद कानूनों के विरोध की कमान महिलाएं संभालेंगी। उस दिन मंच सहित पूरा आंदोलन महिलाओं के हाथ में होगा।
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दिल्ली-हरियाणा के बीच सिंघु बॉर्डर पर पिछले 100 दिनों से धरने पर बैठे पंजाब के किसान संघ के लोगों ने बताया कि उन्होंने प्रदर्शन स्थल पर महिला दिवस मनाने की तैयारी की है। आगामी 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर विरोध प्रदर्शन का नेतृत्च महिलाएं करेंगी और पूरे दिन वही मंच का प्रभार भी संभालेंगी।
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किसान मजदूर संघर्ष समिति (गुरदासपुर) के सदस्य हरिचरण सिंह ने कहा, "8 मार्च को महिला दिवस के दिन मंच पर केवल महिलाएं होंगी। वे पूरे दिन विरोध-प्रदर्शन का नेतृत्व करेंगी। साथ ही वे पंजाब-हरियाणा की स्थानीय लोककला और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों का भी प्रदर्शन करेंगी।"
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उन्होंने आगे कहा, "हरियाणा और पंजाब दोनों जगहों से लगभग 500 ट्रॉलियां 6 मार्च की शाम तक सिंघु बॉर्डर पर पहुंच जाएंगी। चूंकि 3 महीने से चल रहे प्रदर्शन के दौरान गांवों में हर परिवार के पुरुष सदस्य विरोध प्रदर्शन में शामिल होते रहे हैं और इस दौरान महिलाएं खेतों और परिवारों की देखभाल कर रही हैं। अब महिला दिवस के मौके पर हजारों महिलाएं यहां आएंगी।"
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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