किसान आंदोलन को लेकर AAP के नेता राघव चड्ढा ने कहा कि किसान दिल्ली में जहां कहीं भी विरोध प्रदर्शन करना चाहते हैं, उन्हें अनुमति दी जानी चाहिए
Published: 29 Nov 2020, 8:26 AM IST
किसानों के प्रदर्शन को लेकर बीजेपी अध्यक्ष के घर पर केंद्रीय मंत्रियों की बैठक
Published: 29 Nov 2020, 8:26 AM IST
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर किसानों ने कृषि कानूनों के खिलाफ अपना आंदोलन तेज कर दिया है। लेकिन गाजीपुर बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले आए उत्तर प्रदेश के किसानों के रवैये से अचानक राकेश टिकैत परेशान हो गए। दरअसल, गाजीपुर बॉर्डर पर आए किसान बार बार बेरिगेडिंग हटाने की कोशिश करने लगे। इतना ही नहीं कई बार बेरिगेड को सड़कों पर गिरा दिया। जिसके चलते पुलिस प्रशासन भी सख्त हो गया और उनके बढ़ते उधम को देख राकेश टिकैत को बीच बचाव करना पड़ा। टिकैत ने अपने साथियों पर इस बात को लेकर नाराजगी जाहिर की।
राकेश टिकैत ने बार बार उग्र हो रहे किसानों को देख पुलिसकर्मियों से कहा, इस बेरिगेड को खोल दो, और इन्हें बुराड़ी छुड़वा दो। उन्होंने गुस्से में अपने साथियों से कहा कि जिसको बुराड़ी जाना है, जा सकता है।
Published: 29 Nov 2020, 8:26 AM IST
सिंघु बॉर्डर पर किसान नेता ने कहा कि सरकार द्वारा बातचीत के लिए जो कंडीशन थी हम उसे किसान संगठनों का अपमान मानते हैं। अब हम बुराड़ी पार्क में बिलकुल नहीं जाएंगे। हमें पता चला है कि वो पार्क नहीं ओपन ज़ेल है। हम ओपन ज़ेल में जाने की बजाय 5 मेन मार्ग जाम कर दिल्ली की घेराबंदी करेंगे।
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किसान यूनियन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि सरकार की ओर से बुराड़ी में प्रदर्शन करने का प्रस्तव हम नामंजूर करते हैं। हम बिना शर्त सरकार से बातचीत चाहते हैं। बुराड़ी ओपन जेल की तरह है और वो आंदोलन की जगह नहीं है।
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हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा, “ये बॉर्डर सील नहीं होते अगर हरियाणा सरकार वॉटर कैनन से किसानों को रोकने की कोशिश न करती। सरकार को किसानों के लिए पहले ही जगह निर्धारित कर देनी चाहिए थी। हरियाणा सरकार ने सड़कें खुदवाकर किसान के अहम को चोट पहुंचाने का काम किया।”
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आगे कहा, “किसानों को शक है कि अगर वो बुराड़ी जाएंगे तो जो प्रेशर है वो कम हो जाएगा। उनका यह संदेह सही भी हो सकता और गलत भी। ऐसे में सरकार को अड़ियल रवैया नहीं अपनाना चाहिए। किसानों की मांगें जायज हैं। उनसे बात करके रास्ता निकालना चाहिए।”
Published: 29 Nov 2020, 8:26 AM IST
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि ये बॉर्डर सील नहीं होते अगर हरियाणा सरकार वॉटर कैनन से किसानों को रोकने की कोशिश न करती। सरकार को किसानों के लिए पहले ही जगह निर्धारित कर देनी चाहिए थी। हरियाणा सरकार ने सड़कें खुदवाकर किसान के अहम को चोट पहुंचाने का काम किया:
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गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने बैरिकेड तोड़ दिया। दरअसल ये किसान बैरिकेड क्रॉस करके दिल्ली की ओर आना चाह रहे थे। पुलिस ने जब इन्हें रोका तो किसान उग्र हो गए। इस दौरान यहां किसानों और पुलिस के बीच जमकर बहस हुई आखिरकार किसान अपनी वास्तविक स्थान पर चले गए।
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पंजाब के किसानों के 'दिल्ली चलो' आंदोलन को सुलझाने के लिए मोदी सरकार की तरफ से खुद गृहमंत्री अमित शाह ने कमान संभाली है। एक महीने में यह दूसरा मौका है, जब गृहमंत्री अमित शाह ने हस्तक्षेप कर किसानों के आंदोलन से जारी गतिरोध को दूर करने की कोशिश की है। गृहमंत्री अमित शाह ने बीते शनिवार को आंदोलनत किसानों से जल्द से जल्द बातचीत का ऑफर दिया था। उन्होंने किसानों को बुराड़ी में निर्धारित ग्राउंड में एकत्र होने की अपील की थी। यह अलग बात है कि फिलहाल किसानों ने यह ऑफर ठुकरा दिया है। नगर निगम चुनाव की कैंपेनिंग करने के लिए गृहमंत्री अमित शाह रविवार को हैदराबाद पहुंचे हैं। उनके हैदराबाद से नई दिल्ली वापस आते ही किसानों के आंदोलन को सुलझाने के लिए सरकार की तरफ से तेज गति से फैसले हो सकते हैं।
Published: 29 Nov 2020, 8:26 AM IST
सिंघु बॉर्डर पर हुई बैठक में किसानों बैठक में बड़ा फैसला लिया है। किसानों ने फैसला लिया है कि वह बॉर्डर पर ही डटे रहेंगे। किसान संगठनों ने गृह मंत्री अमित शाह के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को किसानों से अपील की थी कि किसान सिंधु बॉर्डर से हट जाएं और बुराड़ी के निरंकारी समागम मैदान में चले जाएं। शाह ने कहा था कि सरकार किसानों से वहां बात करने को तैयार है।
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कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक बयान जारी कर कहा, “खेती हड़पने के 3 काले कानून को सही बता किसानों के साथ षड्यंत्र कर रहे हैं पीएम। मोदी सरकार बना रही ईस्ट इंडिया कंपनी, खेती को गुलामी की जंजीरों मे जकड़ने का षड्यंत्र अन्नदाता को आतंकी बता,एफआईआर दर्ज कर,लाठी-अश्रु गैस चला दमन करने के बीजेपी षड्यंत्र को विफल करेंगे किसान और कांग्रेस।”
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दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि किसानों के साथ बातचीत के लिए कोई शर्त नहीं होनी चाहिए। वार्ता तत्काल आयोजित की जानी चाहिए। वे हमारे देश के किसान हैं। उन्हें अपना विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति दी जानी चाहिए जहां वे चाहते हैं।
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दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर किसानों की एक अहम बैठक चल रही है। इस बैठक में आगे की रणनीति तय की जाएगी। बैठक के बाद अपनी आगे की रणनीति के बारे में किसान ऐलान कर सकते हैं।
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बिहार में बीजेपी की सहयोगी पार्टी जेडीयू के नेता केसी त्यागी ने कहा, “विपक्षी दलों द्वारा किसानों के बीच भ्रम पैदा किया जा रहा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था खत्म हो जाएगी और किसानों को भारी नुकसान होगा, जबकि यह सच नहीं है। नए कृषि कानूनों में किसानों के लिए नए मौके खुले हैं और तभी एनडीए के सहयोगी के तौर पर हमने इन कानूनों को पारित करने में सरकार का सहयोग किया था। हम पीएम मोदी की घोषणा का स्वागत करते हैं और हमें विश्वास है कि एमएसपी व्यवस्था खत्म नहीं की जाएगी।”
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बीजेपी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा, “किसानों की चिंता हम करते हैं और करते रहेंगे। किसान हमारे दिल में बसते हैं, किसानों को भड़काने का काम कोई न करें। हम जो फैसला लेते हैं वो किसानों के हित में होता है। लोगों के बीच गलतफहमी पैदा की जा रही है। हमारी अपील है कि वो गलतफहमी के शिकार न हों।”
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उत्तर दिल्ली के संयुक्त सीपी सुरेंद्र यादव ने कहा, “आंदोलनकारी किसान शांतिपूर्ण ढंग से बैठे हैं और अब तक सहयोग कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य कानून और व्यवस्था बनाए रखना है और यह सुनिश्चित करना है कि व्यवस्था उनके आंदोलन को सुविधाजनक बनाने के लिए हो।”
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कृषि कानूनों के खिलाफ टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसान डटे हुए हैं। किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए बॉर्डर पर बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती गई है।
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बीएसपी प्रमुख मायावती ने प्रदर्शन कर रहे किसानों का समर्थन किया है। उन्होंने कहा है कि केन्द्र सरकार द्वारा कृषि से संबंधित हाल में लागू किए गए तीन कानूनों को लेकर अपनी असहमति जताते हुए पूरे देश में किसान काफी आक्रोशित और आन्दोलित भी हैं। इसके मद्देनजर, किसानों की आम सहमति के बिना बनाए गए, इन कानूनों पर केन्द्र सरकार अगर पुनर्विचार कर ले तो बेहतर।
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नए कृषि कानूनों के खिलाफ टिकरी बॉर्डर पर किसान डटे हुए हैं। प्रदर्शनकारियों का विरोध प्रदर्शन जारी है। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “पंजाब से 7 लाख आदमी आए हैं। हम यहीं रहेंगे, सारी सड़कें ब्लॉक कर देंगे। हम 6 महीने का राशन लेकर आए हैं।”
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कृषि कानूनों के विरोध में किसान प्रदर्शनकारी दिल्ल के गाजीपुर बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, “रामलीला मैदान में विरोध प्रदर्शन किया जाता है, फिर हमें निरंकारी भवन में क्यों जाएं? हम आज यहीं रहेंगे।”
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कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन आज भी जारी है। प्रदर्शनकारी किसान सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर डटे हुए हैं। किसान आंदोलन का आगे क्या रुख होगा, इसको लेकर सुबह 11 बजे एक बैठक होगी। बैठक में तय होगा कि किसान बॉर्डर पर डटे रहेंगे या सुरक्षित इलाके में जाएंगे।
Published: 29 Nov 2020, 8:26 AM IST
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