केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन को अब तीन महीने हो चुके हैं, ऐसे में किसानों के सामने चुनोतियां बढ़ने लगी हैं। पहले सर्दियों की ठिठुरती रात तो अब दोपहर में होने वाली गर्मी की तपिश से किसानों के सामने जब ये समस्या सामने आने लगी तो किसानों ने अपने मंच के आगे छांव की व्यवस्था कर ली है। गुरुवार को मंच के आगे टेंट लगकर तैयार हो गया। टेंट तैयार होने के बाद मंच के सामने किसानों की बैठकी भी बढ़ गई।
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दरअसल किसान नेताओं का कहना है कि लगातार मीडिया में इस तरह की खबरें चल रही थीं कि किसान आंदोलन स्थल से कहीं चले गए हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। मंच के सामने धूप तेज होने के कारण आंदोलनकारी छांव में चले जाते थे। वहीं जब मंच के सामने छांव की व्यवस्था हुई,तो फिर से आंदोलनकारियों की संख्या मंच के सामने नजर आने लगी है।
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हालांकि, टेंट के अलावा गाजीपुर बॉर्डर पर कूलर की व्यवस्था भी कर ली गई है, साथ ही टेंटों में पंखे लगाने की व्यवस्था भी की जा रही है, ताकि किसानों के आंदोलन में कोई रुकावट न आए। मंच के सामने आंदोलनकारियों के लिए टेंट लग जाने से वहां पर चहल-पहल काफी बढ़ गई है। सर पर टेंट और नीचे कूलर लग जाने से आंदोलन में आए किसान दिन में धूप की तपिश से काफी राहत महसूस कर रहे हैं।
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गौरतलब है कि केंद्र सरकार के तीन नए विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसान पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। गतिरोध को हल करने के लिए सरकार और किसान संगठनों के बीच अब तक 11 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन अभी तक मसले का कोई नतीजा नहीं निकल सका है। दूसरी ओर फिर से बातचीत शुरू हो इसके लिए किसान तैयार हैं और सरकार भी मीडिया में यही बात कह रही है, लेकिन अभी तक दोनों बातचीत की टेबल पर नहीं आ पाए हैं।
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