नए कृषि कानूनों पर बैठक के लिए दिल्ली बुलाए गए 29 किसान संगठनों के नेताओं ने बैठक का बहिष्कार कर दिया। सभी किसान नेता बैठक से बाहर आ गए और कृषि कानूनों की कॉपियां फाड़कर अपना विरोध जाहिर किया। ये सभी किसान नेता मोदी सरकार द्वारा बातचीत के लिए बुलाए जाने के बावजूद बैठक में कृषि मंत्री के नहीं होने पर नाराज हो गए। इन नेताओं का कहना है कि मोदी सरकार ने बैठक के लिए बुलाकर धोखा दिया है। किसान नेताओं ने कहा कि चंडीगढ़ में मीटिंग के बाद अगली रणनीति तय की जाएगी।
Published: 14 Oct 2020, 4:25 PM IST
इससे पहले देश भर में कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान संगठनों को मोदी सरकार ने मुद्दे के समाधान के लिए बातचीत का न्यौता दिया था। जिसके बाद विभिन्न राज्यों से करीब 29 किसान संगठनों के नेता आज बैठक में शामिल होने कृषि भवन पहुंचे थे। बैठक में जाने के बाद पता चला कि केंद्रीय कृषि मंत्री की बजाय कृषि सचिव के साथ बैठक होगी और वही अध्यक्षता करेंगे।
इस पर नाराजगी जताते हुए सभी 29 किसान संगठनों के नेता बैठक से वॉकआउट कर गए। उन्होंने बाहर आकर अपने गुस्से का इजहार किया और कृषि भवन के बाहर कृषि कानूनों की कॉपियां फाड़ दीं। अलग-अलग किसान संगठनों के नेताओं का कहना है कि इस मीटिंग में कृषि मंत्री या किसी अन्य मंत्री ने शिरकत नहीं की, इसलिए बैठक का कोई महत्व नहीं रह गया था।
Published: 14 Oct 2020, 4:25 PM IST
किसान नेताओं ने मोदी सरकार पर बैठक के जरिए धोखा देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह बैठक सिर्फ दिखावे के लिए बुलाई गई थी और वहां कोई हमारी मांगें सुनने के लिए भी तैयार नहीं था। उन्होंने आरोप लगाया कि मांगें सुनने की बजाय कृषि सचिव हमें पाठ पढ़ाने लगे। एक किसान नेता ने कहा, 'हम इस बैठक से संतुष्ट नहीं थे, इसलिए निकल गए। वहीं एक अन्य नेता ने कहा, 'हम इसलिए निकल गए क्योंकि मीटिंग में एक भी मंत्री नहीं थे। हमारी मांग है कि ये कानून वापस लिए जाएं।'
वहीं, खबर है कि बैठक के दौरान कृषि सचिव और किसान नेताओं के बीच बहस तक की नौबत आ गई थी। गुस्साए किसान नेताओं ने कहा कि अब वो इस मुद्दे पर कभी भी बैठक के लिए दिल्ली नहीं आएंगे। किसान नेताओं ने कहा कि अगर सरकार बात करना चाहती है तो कृषि मंत्री को पंजाब आना होगा। किसान नेताओं ने बीजेपी पर भी धमकी देने का आरोप लगाया।
Published: 14 Oct 2020, 4:25 PM IST
बता दें कि केंद्र सरकार ने संसद के मॉनसून सत्र में तीन नए कृषि विधेयकों को पारित करवाया है, जिनका सड़कों पर भारी विरोध हो रहा है। बाद में राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से ये विधेयक कानून बन गए। किसान संगठनों का आरोप है कि केंद्र सरकार इन कानूनों के जरिये न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था को भी धीरे-धीरे खत्म कर देगी। साथ ही किसानों का आरोप है कि सरकार ने नए कृषि कानून में कृषि उत्पादों को खुले बाजार में बेचने की छूट देकर कृषि मंडियों के खात्मे का पिछला दरवाजा खोल दिया है।
Published: 14 Oct 2020, 4:25 PM IST
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Published: 14 Oct 2020, 4:25 PM IST