केंद्र सरकार की ओर से संसद में पारित कृषि विधेयकों के खिलाफ शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के किसान सड़क पर उतरकर चक्का जाम कर रहे हैं। विशेष तौर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में विधेयकों के विरोध को लेकर सक्रियता तेज है। हालात को देखते हुए तमाम राजनीतिक दलों की सक्रियता भी बढ़ गई है। प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस इस मसले पर सरकार को घेरने की जुगत में है। किसानों के चक्का जाम के समर्थन में समाजवादी पार्टी भी सभी जिलों में धरना-प्रदर्शन कर रही है। वहीं, कांग्रेस 28 सितंबर को विधानभवन का घेराव करेगी और शुक्रवार से 31 अक्टूबर तक किसानों को जागरूक करने का महाभियान चलाएगी।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि नये कृषि कानून के खिलाफ 25 सितम्बर से 31 अक्टूबर तक व्यापक जनान्दोलन चलाया जाएगा। सोशल मीडिया के माध्यम से खेती-किसानी पर हुए इस हमले के खिलाफ कैम्पेन चलाया जाएगा। 28 सितम्बर को कांग्रेसजन विधानसभा का घेराव करेंगे। 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी और लालबहादुर शास्त्री जी की जयन्ती पर इस काले कानून के खिलाफ ब्लाक मुख्यालयों पर सत्याग्रह करेगी। इसके उपरान्त 31 अक्टूबर तक लगातार कांग्रेस जनों द्वारा इस मुद्दे को लेकर केन्द्र और प्रदेश की बीजेपी सरकार के द्वारा बनाये गये किसान विरोधी कानून के खिलाफ आम जनता के बीच जाकर जनजागरण अभियान जायेगा।
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भारतीय किसान यूनियन के सदस्यों ने दिल्ली बॉर्डर के पास सड़क जाम किया। प्रदर्शकारी कृषि विधेयकों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
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बिहार में भी किसानों का प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। केंद्र सरकार द्वारा पिछले दिनों संसद से पास कराए गए कृषि विधेयक के खिलाफ शुक्रवार को देशभर में किसान संगठन और विपक्षी दल विरोध प्रदर्शन के लिए सड़क पर उतरे हैं। इस बीच, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के कार्यकर्ता अपने नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व में पटना की सड़कों पर उतरे। तेजस्वी ने पटना की सड़कों पर ट्रैक्टर चलाया। राजद ने कृषि बिल को किसान विरोधी बताते हुए शुक्रवार को राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है।
तेजस्वी ने केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इस बिल के कारण किसान हताश, निराश और लाचार हैं। उन्होंने कहा कि इस बिल ने अन्नदाताओं को तोड़ दिया है। इस बिल की वजह से किसान और गरीब होता जाएगा। इसे हर हाल में सरकार को वापस लेना चाहिए। तेजस्वी अपने आवास से निकलकर पार्टी कार्यालय पहुंचे। इसके बाद उनका आयकर गोलंबर, डाकबंगला चौराहा होते हुए जिला मुख्यालय तक जाने का कार्यक्रम है।
तेजस्वी ने कहा कि किसानों का सुरक्षा कवच न्यूनतम समर्थन मूल्य समाप्त हो गया है। उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि केंद्र सरकार किसानों की आय को दोगुना करने की बात करती थी, लेकिन अब कृषि क्षेत्र का भी निजीकरण, ठेका प्रथा और कॉरपोरेटाइजेशन करने को आतुर है।
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कृषि बिल के खिलाफ पंजाब और हरियाणा में भी किसानों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए दोनों राज्यों में भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है।
यहां तक कि दोनों राज्यों के अधिकांश प्रमुख शहरों के दुकानदारों ने किसानों के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए अपनी दुकानें बंद रखी हैं।
पहली बार इतने बड़े पैमाने पर एकजुटता का उदाहरण देते हुए पंजाब के 31 किसान संगठनों ने संयुक्त विरोध की घोषणा की। किसानों द्वारा बिल के खिलाफ तीन दिवसीय 'रेल रोको' अभियान शुरू करने के बाद से ही गुरुवार से कई ट्रेनों के परिचालन को निलंबित कर दिया गया है।
रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि फिरोजपुर रेलवे डिवीजन ने यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनजर 26 सितंबर तक विशेष ट्रेनों के परिचालन को निलंबित करने का फैसला किया है। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सभी राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे 'छोटे विचारों' से ऊपर उठकर राज्य के किसानों को नष्ट करने वाले 'विश्वासघाती' बिल के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने के लिए एक मंच पर आएं।
अमरिंदर सिंह ने कहा, "भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार इन विधेयकों को लाकर नए निम्नस्तर पर पहुंच गई है और वह भी बहुत ही अलोकतांत्रिक और असंसदीय तरीके से पारित किया गया है।" इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस राज्य इकाई द्वारा समर्थित उनकी सरकार न सिर्फ किसानों और राज्य के लिए, बल्कि पूरे देश के हित में पुरजोर विरोध करेगी। उन्होंने किसानों से कानून और व्यवस्था को कड़ाई से बनाए रखने और सभी कोविड-19 सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करने की अपील की है। बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) ने विरोध के मद्देनजर राज्यव्यापी 'चक्का जाम' की घोषणा की है।
एसएडी सत्तारूढ़ भाजपा की लंबे समय से सहयोगी रही है। हालांकि एसएडी की लोकसभा सांसद और सुखबीर बादल की पत्नी हरसिमरत कौर बादल ने 17 सितंबर को अपनी पार्टी द्वारा तीनों विधेयकों के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था।
दिलचस्प बात यह है कि कई पंजाबी गायकों ने किसानों द्वारा बुलाए गए 'बंद' का समर्थन किया है। लोकप्रिय पंजाबी गायक और अभिनेता हरभजन मान ने एक ट्वीट में कहा कि वह कई अन्य कलाकारों के साथ विरोध प्रदर्शन में भाग लेंगे।
हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन के कार्यकतार्ओं ने बर्खास्त शारीरिक प्रशिक्षण प्रशिक्षकों के साथ सोनीपत जिले के मुदलाना गांव में गुरुवार को कृषि मंत्री जेपीदलाल को काले झंडे दिखाए। वहीं फार्म बिल को एक 'क्रांतिकारी कदम' बताते हुए हरियाणा भाजपा के राज्य प्रमुख ओपी धनखड़ ने कहा कि इससे किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए कई विकल्प खुलेंगे।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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