पंजाब के एक कस्बे में किसानों की ओर से एक घर में परिवार के साथ बंधक बनाए गए बीजेपी नेताओं को पुलिस ने 12 घंटे से ज्यादा की कड़ी मशक्कत के बाद सोमवार तड़के सुरक्षित छुड़ा लिया। बंधक से छुड़ाए गए सभी बीजेपी नेताओं ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों का विरोध करने के बहाने किसानों पर गैरकानूनी काम करने का आरोप लगाया।
वहीं, किसानोंं ने बीजेपी नेताओं पर उनके साथ अभद्रता करने का आरोप लगाया है। किसान नेता प्रेम सिंह भंगू ने बीजेपी नेता भूपेश अग्रवाल पर अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर किसानों को भड़काने का आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि यह घटना तब भड़क गई, जब भूपेश अग्रवाल के अंगरक्षक ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पिस्तौल तान दी।
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यह घटना राज्य की राजधानी से करीब 40 किलोमीटर दूर राजपुरा कस्बे में हुई, जहां रविवार शाम बीजेपी प्रदेश महासचिव भूपेश अग्रवाल को एक घर में अन्य लोगों के साथ बंधक बना लिया गया। अग्रवाल ने मीडिया को बताया कि वह एक दिन पहले शहर में भारत विकास परिषद भवन में जिला स्तरीय पार्टी की बैठक के लिए एकत्र हुए थे। किसानों ने बैठक स्थल पर पहुंचकर हंगामा किया।
बाद में उन्होंने एक घर में बैठक करने का फैसला किया और वे वहीं इकट्ठे हो गए। किसानों ने वहां पहुंचकर पानी और बिजली आपूर्ति बाधित कर उन्हें बंधक बना लिया। घटना की सूचना मिलने पर उप महानिरीक्षक विक्रमजीत दुग्गल के नेतृत्व में एक पुलिस दल बंधक नेताओं को बचाने और सुरक्षित निकालने के लिए मौके पर पहुंचा। रात भर स्थिति तनावपूर्ण बनी रही।
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जब बंधक बनाए हुए नेताओं को पुलिस ने बचाया तो उन्होंने दावा किया कि किसानों ने उनका पीछा किया, दुर्व्यवहार किया और उन्हें पीटा। साथ ही उनके वाहनों पर पथराव भी किया गया। पार्टी नेताओं पर हमले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पंजाब बीजेपी अध्यक्ष अश्विनी शर्मा ने कहा कि यह लोकतंत्र पर हमला है। पंजाब में पूरी तरह से अराजकता है, क्योंकि पुलिस मूकदर्शक बन गई है। हालांकि, पुलिस ने उन पर हमला होने से इनकार किया है।
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इस बीच बीजेपी ने रविवार देर रात पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अपने नेताओं की सुरक्षा के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की। न्यायमूर्ति सुवीर सहगल ने राज्य को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि अवैध रूप से बंधक बनाए गए व्यक्तियों को पर्याप्त सुरक्षा के साथ सुरक्षित निकास प्रदान किया जाए और उनमें से किसी को कोई नुकसान न पहुंचे। न्यायमूर्ति सुवीर सहगल ने राज्य को 12 जुलाई को दोपहर 2 बजे रिपोर्ट देने को कहा है।
बता दें कि पंजाब और हरियाणा के किसान कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि ये कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली को खत्म करने का मार्ग प्रशस्त करेंगे और उन्हें बड़ी कॉरपोरेट संस्थाओं की दया पर छोड़ दिया जाएगा। इसी के खिलाफ वे बीजेपी नेताओं का भी बहिष्कार कर रहे हैं।
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