विवादित कृषि कानूनों की तरह ही एमएसपी का मुद्दा भी अब लटकता दिखाई दे रहा है। इस पर बातचीत के लिए पांच लोगों की कमेटी बनाने के बावजूद किसानों को सरकार की तरफ से अब तक कोई संदेश नहीं आया है। ऐसे में सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्च ने अहम बैठक आयोजित की है, जिसमें अब आगे की रणनीति बनाई जाएगी।
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आज की बैठक से ठीक पहले संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा बनाई गई 5 सदस्यीय समिति की भी बैठक हुई। हालांकि बैठक के बाद बताया गया कि, सरकार की तरफ से उन्हें कोई संदेश नहीं आया है और न ही किसी प्रतिनिधि से बात हुई है। एसकेएम ने लंबित मुद्दों पर सरकार के साथ बातचीत करने के लिए अशोक धवले, बलबीर सिंह राजेवाल, गुरनाम सिंह चढूनी, शिव कुमार कक्काजी और युद्धवीर सिंह की पांच सदस्यीय समिति का गठन किया था।
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दरअसल एसकेएम प्रधानमंत्री को अपनी मांगों के साथ भेजे गए पत्र को लेकर अभी तक इंतजार कर रहा है। जबकि सरकार की तरफ से संदेश न आने के बाद इस बैठक में आंदोलन तेज करने की रूप रेखा बनाई जा रही है। कृषि कानून की वापसी के बाद एसकेएम ने एमएसपी की कानूनी गारंटी, बिजली संशोधन बिल की वापसी, वायु प्रदूषण बिल से किसानों के जुर्माने की धारा को हटाना, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की गिरफ्तारी और बर्खास्तगी, किसानों पर लगाए गए फर्जी मुकदमों की वापसी और शहीद परिवारों का पुनर्वास और शहीद स्मारक आदि जैसे मुद्दे को भी शामिल कर लिया है।
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इसके अलावा किसानों ने साफ कर दिया है कि इन मांगों के पूरे होने तक आंदोलन इसी तरह चलता रहेगा। वहीं सिंघु बॉर्डर पर एसकेएम की बैठक खत्म होने के बाद किसान नेता मीडिया से बात करेंगे और आगे के कार्यक्रमों की घोषणा करेंगे।
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