किसान आंदोलन बीते साल 26 नवंबर से जारी है। इस दौरान सरकार के साथ कई दौर की बातचीच बेनतीजा रही। किसान केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों की वापसी की मांग कर रहे हैं और इससे कम पर तैयार नहीं हैं। इसके चलते बीते करीब दो माह से सरकार और किसानों के बीच किसी किस्म का संवाद नहीं हो रहा था।
इस दौरान किसानों ने अपना आंदोलन एक बार फिर तेज कर दिया है। किसानों ने शनिवार को केएमपी एक्सप्रेसवे 24 घंटे के लिए बंद कर दिया। आंदोलन तेज होते ही सरकार की तरफ से बयान आया है कि सरकार किसानों के साथ बातचीत के लिए तैयार है।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने फिर कहा है कि सरकार आंदोलनकारी किसान संगठनों से बातचीत के लिए तैयार है। कृषि मंत्री का यह बयान शनिवार को तब आया जब केंद्रीय कृषि कानून के खिलाफ किसानों ने केएमपी हाइवे को अगले 24 घंटे के लिए बंद कर दिया। किसान आंदोलन से लोगों को हो रही कठिनाई पर चिंता जाहिर करते हुए केंद्रीय मंत्री तोमर ने किसान यूनियनों से आंदोलन की राह छोड़ वार्ता के लिए आने की अपील की है। हालांकि उनका यह भी कहना है कि नये कृषि कानूनों का देशभर में स्वागत हो रहा है और देशभर के किसानों नये कृषि सुधार को लेकर कोई असंतोष नहीं है।
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उन्होंने एक बयान में कहा, "देश के हजारों किसान संगठन, अर्थशास्त्री और समाज के विभिन्न वर्ग कृषि सुधार बिलों का स्वागत कर रहे हैं।" केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कुछ ही लोग नये कृषि काूननों का विरोध कर रहे हैं, फिर भी सरकार ने आंदोलनकारी किसान संगठनों के साथ 11 दौर की वार्ता की ताकि किसानों की अगर कोई समस्या है तो उसका समाधान हो। उन्होंने कहा कि किसान यूनियनों के साथ बातचीत के दौरान जो मसले समाने आए उनके समाधान के लिए सरकार ने उन्हें प्रस्ताव भी दिया, लेकिन उन प्रस्तावों को नकारने के लिए सरकार ने एक समिति बनाकर न्यूनतम समर्थन मूल्य समेत तमाम मसलों पर विचार करने का प्रस्ताव देते हुए कहा कि इस विचार-विमर्श के दौरान 18 महीने तक नये कानूनों के अमल पर रोक लगी रहेगी।
केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल लाए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर पिछले साल 26 नवंबर से आंदोलन चला रहे किसान संगठनों का संघ संयुक्त किसान मोर्चा ने शनिवार को सुबह आठ बजे केएमपी हाइवे को अगले 24 घंटे के लिए बंद कर दिया।
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