दो दिनों के संघर्ष के बाद दिल्ली में प्रदर्शन की अनुमति मिलने के बाद भी आंदोलनकारी किसान बुराड़ी में ही डटे हुए हैं। किसानों का कहना है कि वह अपने शीर्ष नेतृत्व के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार कई किसानों का मानना है कि बुराड़ी जाकर उनका आंदोलन कमजोर पड़ सकता है, इसलिए वह अपना प्रदर्शन वहीं जारी रखना चाहते हैं। हालांकि किसानों के नेता सिंघु बॉर्डर से कुछ दूरी पर आगे की रणनीति को लेकर बैठक कर रहे हैं, जिसमें तय होगा कि निरंकारी जाना है या यहीं डटे रहना है।
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दरअसल प्रदर्शन में कई संगठनों के कार्यकर्ता शामिल हैं, जिनमें से कई चाहते हैं कि बुराड़ी चला जाए और कई वहां नहीं जाना चाहते। इसको लेकर सभी किसान नेताओं ने भी अभी अपना रुख साफ नहीं किया है। बुराड़ी जाने के फैसले पर किसान नेताओं के बीच अभी मंथन जारी है। यही कारण है कि किसान अभी तक हरियाणा-दिल्ली के बीच सिंघु बॉर्डर पर ही डटे हुए हैं।
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ऐसे में दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर किसान अभी भी डटे हुए हैं और उनका प्रदर्शन लगातार जारी है। सिंघु बॉर्डर पर आज दिन में पुलिस कार्रवाई के बाद फिलहाल शांति बनी हुई है। किसान अलग-अलग जत्थों में वहां बैठे हुए हैं। रात होने के कारण वहीं पर किसानों ने रात के खाने की तैयारी भी शुरू कर दी है। इस बीच किसानों ने मीडिया से बात करना भी बंद कर दिया है। क्योंकि उनका आरोप है कि मीडिया उन्हें गलत दिखाने की कोशिश कर रहा है।
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इससे पहले आज पिछले दो दिनों से दिल्ली में घुसने के लिए संघर्ष कर रहे किसानों के आगे झुकते हुए मोदी सरकार उन्हें राजधानी में प्रदर्शन की इजाजत दे दी थी। दिल्ली पुलिस ने किसानों को बुराड़ी के निरंकारी मैदान में प्रदर्शन करने की इजाजत दी। दिल्ली पुलिस ने यह भी कहा कि बॉर्डर से सभी किसानों को बुराड़ी के निरंकारी मैदान में ले जाने की व्यवस्था पुलिस ही करेगी।
वहीं, आज सुबह दिल्ली-हरियाणा सीमा पर आंदोलनकारी किसानों की पुलिस के साथ जमकर झड़प हुई, जिसमें पुलिस ने किसानों पर बल प्रयोग कर उन्हें तितर-बितर करने की कोशिश की। सिंघु और टिकरी सीमाओं से किसानों को खदेड़ने के लिए उन पर पानी की बौछारें की गई और आंसू गैस के गोले दागे गए। इस दौरान कई बार लाठीचार्ज भी किया गया। इसके बावजूद किसान सीमा से टस से मस नहीं हुए। विरोध के चलते सिंघू सीमा, टिकरी सीमा और दिल्ली-गुरुग्राम सीमा पर बड़े पैमाने पर ट्रैफिक जाम लग गया।
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गौरतलब है कि मोदी सरकार द्वारा लागू तीन विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे किसान संगठनों ने 26-27 नवंबर को दिल्ली चलो का आह्वान किया था, जहां विशाल प्रदर्शन करने की योजना थी। देश भर के करीब 500 किसान संगठन केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में लागू तीनों कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। किसानों की मांग है कि सरकार इन कानूनों को निरस्त करे और एमएसपी की गारंटी दे। फिलहाल किसानों का कहना है कि मोदी सरकार किसान विरोधी सरकार है और नए कानूनों से किसान बर्बाद हो जाएगा।
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