मोदी सरकार की वादाखिलाफी से ठगे महसूस कर रहे किसानों ने अंतत: एक बार फिर दिल्ली कूच का ऐलान कर दिया है। गन्ने के भाव से लेकर फसलों के एमएसपी तक की लड़ाई दिल्ली में ही लड़ने के फैसले पर मोहर किसानों ने लगा दी है। काफी वक्त से किसानों में एक बड़े आंदोलन की आहट साफ सुनाई दे रही थी। किसान इस बात को शिद्दत से महसूस कर रहा था कि मोदी सरकार ने उनके साथ किया गया कोई वादा पूरा नहीं किया। यहां तक कि पिछले एक वर्ष में कभी भी मोदी सरकार ने उनसे बात करना तक मुनासिब नहीं समझा।
26 जनवरी को जब पूरा देश गणतंत्र दिवस का जश्न मना रहा था उस वक्त कई राज्यों से आए हजारों किसान हरियाणा के जींद में मोदी सरकार की वादाखिलाफी का दर्द बयां कर रहे थे। वह कह रहे थे कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन खत्म करवाते वक्त मोदी सरकार ने उनसे किए गए वादों पर पिछले एक साल में चर्चा तक करना मुनासिब नहीं समझा। सरकार ने उन्हें ठगा है। लिहाजा, अब वक्त आरपार की लड़ाई का है।
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पिछले एक वर्ष में किसानों से किए गए वादों को लेकर मोदी सरकार की उदासीनता पर किसान इस बात को बार-बार कह रहे थे कि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर आंदोलन ही उनके पास अंतिम विकल्प है। सरकार को जगाने के लिए एक वर्ष में कई बार किसान सड़क पर भी उतरे, लेकिन बीजेपी सरकार के कानों पर जूं नहीं रेंगी। लिहाजा, जींद से किसानों ने ऐलान कर दिया है कि अब दिल्ली कूच किए बिना बात बनने वाली नहीं है।
संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले जींद की नई अनाज मंडी में जुटे हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के किसानों ने 15 से 22 मार्च के बीच दिल्ली में होने वाले प्रदर्शन पर मोहर लगा दी है, जिसके लिए फाइनल तारीख का ऐलान 9 फरवरी को कुरुक्षेत्र की मीटिंग में होगा। बीकेयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि अगर किसानों को अपनी नसल और फसल बचानी है तो अपने ट्रैक्टरों को तैयार रखना होगा। कभी भी कॉल हो सकती है।
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वह जींद की ही धरती है, जहां से निकले किसानों ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर दम तोड़ रहे आंदोलन में जान फूंक दी थी। राकेश टिकैत ने कहा कि सभी किसान संगठनों के लोग हरियाणा की तरफ देखते रहते हैं। यहां गन्ने के भाव की लड़ाई चली हुई है। सरकार ने केवल 10 रुपए बढ़ाए हैं। पंजाब में यहां से गन्ने के दाम ज्यादा हैं। गन्ने के रेट को बढ़ाने के लिए आंदोलन और तेज करना पड़ेगा। पिछले आंदोलन के सबक भी महापंचायत में साझा किए गए। किसान नेताओं ने कहा कि सरकार खाप पंचायतों को टारगेट बनाकर आपस में लड़ाने की कोशिश कर रही है। खाप पंचायतों ने ही पिछले किसान आंदोलन की अलख गांव-गांव जलाई थी।
पंजाब से आए किसान नेता जोगिंद्र सिंह उग्राहा ने कहा कि आज के ही दिन केंद्र की बीजेपी सरकार ने चाल चलकर आंदोलन को तोड़ने की कोशिश की थी। सरकार 26 जनवरी 2022 के आंदोलन को हिंसक बनाना चाहती थी। हमें खालिस्तानी कहा गया। पाकिस्तानी व तालिबानी कहा गया। लेकिन इस अहंकारी मोदी सरकार को किसान आंदोलन ने ही झुकाने का काम किया। यही वजह है कि आज भी किसान आंदोलन इनकी आंखों में खटक रहा है। सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा को भी तोड़ने का काम किया। किसान नेता युद्वीर सिंह ने कहा कि यह सरकार तब तक नहीं सुनती जब तक इसके कान में धमाका नहीं किया जाता। हम सरकार से बचा हुआ इंसाफ लेंगे। 13 महीने के संघर्ष की जो थकान थी, वह उतार ली है। इस बार दिल्ली का मोर्चा आर-पार का मोर्चा होगा।
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पंजाब के किसान नेता डॉ दर्शन पाल ने कहा कि एमएसपी गारंटी कानून, स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करवाना है और किसानों को कर्जा मुक्त करवाना है। अजय मिश्रा टेनी को उसके पद से बर्खास्त करवाने के साथ ही उसे कड़ी सजा दिलवानी है। संयुक्त किसान मोर्चा 2023 में मोदी सरकार को झुकाएगा और अपनी मांगे मनवाएगा। मार्च में दिल्ली में होने वाला प्रदर्शन बहुत बड़ा होगा।सरकार के लिए मुसीबत इसलिए और बड़ी है कि भारतीय किसान यूनियन के चढ़ूनी गुट ने भी संयुक्त किसान मोर्चा के समर्थन का ऐलान कर दिया है। गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा है कि वह संयुक्त मोर्चा के फैसले के साथ हैं।
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