कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली मुहाने पर बीते करीब 40 दिनों से धरना दे रहे किसानों और केंद्र सरकार के बीच आज एक बार फिर बातचीत होनी है। बातचीत के इस दौर को काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि इसके जरिए सरकार हर हाल में समाधान तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। हालांकि किसानों ने साफ कर दिया है कि कृषि कानूनों की वापसी से कम पर कोई समझौता नहीं होगा, लेकिन पिछली बैठक में किसानों की मुख्य 4 मांगों में से दो पर सहमति बनने के बाद सोमवार की बैठक से काफी उम्मीदें बंधी हैं।
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रविवार को किसानों ने आंदोलन के अगले चरण की रूपरेखा सामने रख दी। किसान संगठनों ने ऐलान किया कि 13 जनवरी को कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर लोहड़ी का त्योहार मनाया जाएगा। साथ ही किसानों ने देशवासियों से अपील की कि वे 6 जनवरी से 20 जनवरी तक किसान आंदोलन के पक्ष में देश भर में धरने दें, मार्च निकालें, ट्रैक्टर रैलियां आदि निकालें। इसके अलावा 23 जनवरी को नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती को किसान दिवस के रूप में मनाने का भी ऐलान किया गया है।
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इस दौरान रविवार को कृषि मंत्रालय में उच्च स्तरीय बैठक हुई। कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर और रेल व वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने किसान संगठनों से वार्ता करने से पहले गृह मंत्री अमित शाह से उनके आवास पर चर्चा की। इस बीच किसानों ने यह भी ऐलान किया है कि अगर सोमवार की बैठक से कोई नतीजा नहीं निकला तो 26 जनवरी को पूरी ताकत से राजधानी दिल्ली में किसानों की परेड निकाली जाएगी।
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