पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च के सिलसिले में दर्ज मामले में जमानत दिए जाने के बाद किसान कार्यकर्ता नवदीप सिंह अंबाला केंद्रीय कारागार से बाहर आ गए।
हरियाणा पुलिस ने सिंह को दंगा और हत्या के प्रयास सहित विभिन्न आरोपों में 28 मार्च को मोहाली से गिरफ्तार किया था। वह लगभग चार महीने बाद मंगलवार शाम को जेल से बाहर आये।
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इससे पहले, किसान नेताओं ने कहा था कि वे सिंह की गिरफ्तारी के विरोध में बुधवार और बृहस्पतिवार को अंबाला के पुलिस अधीक्षक के कार्यालय का घेराव करेंगे। हालांकि, उनकी रिहाई के बाद उन्होंने विरोध को टाल दिया है।
किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने बुधवार को दावा किया कि पुलिस ने कुछ किसान नेताओं को हिरासत में लिया है जो जेल से रिहा होने के बाद नवदीप सिंह को सम्मानित करने के लिए उसे शंभू सीमा पर लाने के लिए अंबाला गए थे।
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पंढेर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमारा कार्यक्रम उनको सम्मानित करने का था, लेकिन हरियाणा सरकार ने निर्देश जारी कर दिए हैं कि किसानों को अंबाला जिले में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा।
एक अन्य किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि किसानों ने अंबाला की अनाज मंडी में इकट्ठा होने और नवदीप सिंह जलबेरा को शंभू सीमा पर लाने तथा उनका सम्मान करने की योजना बनाई है।
उन्होंने कहा कि पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए किसान नेताओं में अमरजीत सिंह मोहरी (हरियाणा), जसविंदर सिंह लोंगोवाल (पंजाब) और रंजीत सिंह (राजस्थान) शामिल हैं।
अंबाला पुलिस ने कहा कि जिले में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है और किसी को भी जुलूस निकालने की इजाजत नहीं है।
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अंबाला के निकट जलबेरा गांव के मूल निवासी सिंह, नवंबर 2020 में कृषि कानून के खिलाफ किसानों के आंदोलन के दौरान पुलिस के वाटर कैनन पर चढ़ गए थे जिसके बाद वह ‘‘वाटर कैनन मैन’’ के नाम से लोक्रपिय हो गये।
पंजाब के किसानों ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित अपनी मांगों को लेकर दबाव बनाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के नेतृत्व में 13 फरवरी को दिल्ली की ओर कूच शुरू किया था।
लेकिन, हरियाणा पुलिस ने अंबाला-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर सीमेंट के अवरोधक सहित अन्य बैरिकेड्स लगाकर उन्हें रोक दिया।
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इस दौरान किसानों और पुलिसकर्मियों के बीच झड़प भी हुई और तब से किसान, पंजाब तथा हरियाणा की शंभू और खनौरी सीमा पर डेरा डाले हुए हैं।
उच्च न्यायालय ने 10 जुलाई को आदेश दिया था कि हरियाणा सरकार एक सप्ताह के भीतर शंभू सीमा से अवरोधक हटाए। इस आदेश को उच्चतम न्यायालय ने भी बरकरार रखा।
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