एक बार फिर बिहार सुर्खियों में है। मामला कोरोना के डेटा के साथ हेराफेरी का है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, बिहार के जमुई में कोरोना जांच की संख्या को बढ़ाकर दिखाने के लिए फर्जी मोबाइल नंबर से लेकर फर्जी लोगों के नाम का इस्तेमाल किया गया है।
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खबरों के मुताबिक, जमुई के स्वास्थ्य केंद्र पर ऐसा भी गड़बड़झाला सामने आया है जहां पर जिन 26 लोगों की जांच हुई थी उनका मोबाइल नंबर एक ही है। बताया जा रहा है कि ये मोबाइल नंबर एक दिहाड़ी मजदूर का है जो कि बांका जिले में रहता है। चौंकाने वाली बात यह है कि जिस शख्स का नंबर है वो कभी कोरोना का जांच कराया ही नहीं है।
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इस मामले को लेकर नीतीश सरकार की किरकिरी हो रही है। दूसरी ओर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि मैंने पहले ही बिहार में कोरोना घोटाले की भविष्यवाणी की थी। जब हमने घोटाले का डेटा सार्वजनिक किया था तो सीएम ने हमेशा की तरह नकार दिया। इन्होंने अधिकारी बदल Anti-gen का वो “अमृत” मंथन किया कि 7 दिनों में प्रतिदिन टेस्ट का आंकड़ा 10 हज़ार से 1 लाख और 25 दिनों में 2 लाख पार करा दिया।
वहीं स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा है कि उन्हें कोरोना की संख्या में हेराफेरी के बारे में जानकारी नहीं है।
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