मैं चश्मदीद गवाह हूं। मैंने देखा बझेड़ा गांव के लोगों ने कैसे पीट-पीटकर कासिम को मार डाला और मुझे भी पीट-पीट कर मरा हुआ मानकर ही छोड़ दिया था। वे सब झूठ बोल रहे थे कि कासिम गोकशी कर रहा था, न तो वहां से किसी को कोई गाय मिली, न ही मारने वाला कोई औजार। मुझ से आजतक पुलिस ने कोई बयान नहीं लिया। पुलिस ने झूठी एफआरआर दर्ज की है। मैंने आज इसे रद्द करके सीओ पवन कुमार सिंह पर कानूनी कार्रवाई करने और अपना बयान जुडिशियल मजिस्ट्रेट के आगे करवाने की मांग आईजी मेरठ राम कुमार से की है।
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यह कहना है समयदीन (64 साल) का जो हापुड़ में 18 जून 2018 को हुई लिंचिग की दर्दनाक घटना के अकेले चश्मदीद गवाह है। आज ही वह दिल्ली में अस्पताल से बरी हुए, जहां उनका इलाज चल रहा था। उनके दोनों हाथ टूटे हुए हैं, तीन पसलियों में फ्रैक्चर है, पैर टूटा हुआ है और सिर पर चोट है। शरीर का कोई हिस्सा ऐसा नहीं है, जहां की चमड़ी न उधड़ी हो। वह ऊपर वाले का शुक्र अदा करते हुए कहते हैं कि वह मौत के मुंह से वापस आए हैं, लिहाजा अब उन्हें सच बोलने से कोई रोक नहीं सकता। नवजीवन-नेशनल हेरॉल्ड और कौमी आवाज के पास आईजी मेरठ राम कुमार को भेजी गई दरख्वास्त की कॉपी है। गौरतलब है कि पिलुखवा पुलिस इसे रोड रेज का मामला बताकर रफा-दफा कर दिया है। इसी आधार पर कासिम की हत्या के मामले में आरोपी युधिष्टर की जमानत भी हापुड के सत्र न्यायालय ने कर दी। ऐसा तब किया जा रहा है जबकि लिंचिग के इस मामले के वीडियो (जो मारने वालों ने अपने फोन से लिये थे) सोशल मीडिया के साथ-साथ पुलिस के पास भी हैं। इन वीडियो में गिरफ्तार हुए आरोपी युधिष्टर सहित बाकी वे तमाम लोग दिखाई दे रहे हैं जिनका नाम समयदीन ले रहे हैं।
समयदीन ने बताया कि कासिम और उन पर हमला करने वाले बगल के गांव के थे और कुछ लोगों के उन्होंने नाम भी लिए, जिन्हें वह काफी दिनों से जानते थे। बाकी के बारे में उन्होंने कहा कि वह शक्ल से परिचित हैं और देख कर पहचान लेंगे।
हापुड़ लिंचिग मामले में समयदीन के साथ-साथ एक और अहम खुलासा हुआ। हिंजालपुर गांव, पिलखुवा थाने के दिनेश तोमर ने आज खुलकर कहा कि पुलिस ने इस मामले में दोषियों को बचाने के लिए दबाव बनाया और गलत एफआईआर लिखवाई। दिनेश तोमर ने सीधे-सीधे आरोप लगाया कि सीओ पी.के सिंह ने उनके सामने ही समयदीन के भाई यासीन से कहा कि जो मैं बोलूंगी वैसी ही रिपोर्ट लिखनी होगी, नहीं तो समयदीन के साथ तुम्हें और तुम्हारे परिवार के और आदमियों को गौकशी के मामले में फंसाकर जेल करा देंगे। दिनेश ने संवाददाता को बताया, `जिस तरह से सीओ पीके सिंह और पिलुखवा थाने की पुलिस ने कासिम की हत्या और समयदीन पर जानलेवा हमले को झूठा और गलत रिपोर्ट लिखवाकर एक मोटरसाइकिल टक्कर का रूप देने की कोशिश की, उसके बाद मुझे उस पर जरा भी विश्वास नहीं रह गया है। ’
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इसी तरह से समयदीन के भाई यासीन ने बताया कि उन्हें अपनी और अपने परिवार वालों की जान का खतरा है। पुलिस इस मामले में उनका पक्ष सुनने को तैयार नहीं है और लगातार उन्हें झूठे मामले में फंसाने की बात कह रही है। यासीन ने तो यहां तक कहां कि वापस गांव जाना बहुत मुश्किल है। यासीन ने बताया कि थाने में भी लोग कह रहे थे कि अब मोदी-योगी की सरकार है, तुम लोगों की कोई सुनवाई नहीं होगी। उन्होंने भी आईजी मेरठ राम कुमार को यह लिखित अर्जी दी है कि उनका बयान भी जुडिशियल मेजिस्ट्रेट के यहां रिकॉर्ड कराया जाए।
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इस पूरे मामले को इंसाफ दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर सामने आई हैं। उन्होंने पीड़ित पक्ष की कानूनी मदद करने का फैसला किया है। नवजीवन से बात करते हुए उन्होंने कहा कि पुलिस की भूमिका शर्मनाक है। हापुर लिंचिग का वीडियो हत्या करने वालों ने खुद ही डाला था, जिसमें मारने वाले गालियां देते हुए, पीटते हुए साफ दिख रहे हैं, फिर भी इसे रोड रेज का मामला बनाकर आरोपी को जमानत तक दे दी गई। इन तीनों लोगों की अर्जी उत्तर प्रदेश पुलिस के आला अधिकारियों को भेज दी गई है, अगर नहीं सुनेंगे तो हम ऊंची अदालत जाएंगे।
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