एक प्रेस कांफ्रेंस में पूर्व छात्रसंघ अध्यक्षों ने इस मामले में सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि यह समय देश की शिक्षा को बचाने का है। जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष और एनसीपी नेता डी पी त्रिपाठी ने कहा कि, “हमें यह मांग उठाने की जरूरत है कि हमारा पैसा हमारी शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और समाज के जरूरतमंद लोगों की मदद में खर्च हो। इस पैसे को नई पीढ़ी पर खर्च करना चाहिए क्योंकि यही देश का भविष्य हैं।”
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70 के दशक में तीन बार जेएनयू के अध्यक्ष रहे सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि जेएनयू के छात्रों पर हमला एक सोचे समझे एजेंडा का हिस्सा है। उन्होंने कहा, “छात्रों के साथ हमारी एकजुटता सिर्फ जेएनयू के छात्रों के फीस बढ़ोत्तरी विरोधी आंदोलन तक सीमित नहीं है। बल्कि हमारी एकजुटता जनशिक्षा और सरकारी पैसे से मुहैया कराई जाने वाली शिक्षा पद्धति को लेकर जारी संघर्ष के साथ है।”
येचुरी ने कहा कि, “जेएनयू छात्रों पर हमला मोदी सरकार की वैचारिक योजनाओं का हिस्सा है।” उन्होंन कहा कि, “देश में हिंदू राष्ट्र स्थापित करने के लिए वे तर्कों पर हमले कर रहे हैं, वे तर्कों के सामने कुतर्क पेश कर रहे हैं, उन्हें यही सब चाहिए। इसीलिए वे उच्च शिक्षा के केंद्रों को निशाना बना रहे हैं। यह बड़ा एजेंडा है जो आने वाले वक्त में भारत के लिए खतरनाक साबित होगा।”
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सीपीएम के पूर्व महासचिव और जेएनयू छात्र संघ में 1973 में रह चुके प्रकाश करात ने कहा कि बड़ा मुद्दा जन शिक्षा का है, जिस पर खतरा मंडरा रहा है। उन्होंन कहा कि इस सरकार के दौर में शिक्षा का व्यवसायीकरण और निजीकरण तेजी से बढ़ा है। उन्होंने कहा कि 70 के दशक में ऐसा लगा था कि जेएनयू शायद सिर्फ सक्षम और संभ्रांत वर्ग की शिक्षा का केंद्र न बन जाए, इसीलिए यहां ऐसी प्रवेश नीति बनाई गई जिसमें विभिन्न तबकों और पृष्ठभूमि से आने वाले छात्रों को पढ़ने का मौका मिल सके।
पिछले सत्र में जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष रहे एन साई बालाजी ने कहा कि छात्र सस्ती और अच्छी शिक्षा की मांग कर रहे हैं। उन्होंने जेएनयू कुलपित जगदीश कुमार पर झूठ फैलाने का आरोप लगाया। वहीं वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार एन आर मोहंती ने कहा कि जेएनयू के छात्र लोकतांत्रिक सिद्धांतों की रक्षा के लिए आंदोलन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि, “जेएनयू हमेशा तर्कों के पक्ष में खड़ा रहा है।”
इस मौके पर जारी संयुक्त बयान में जेएनयू छात्रों के समर्थन में देश भर में 27 नवंबर को देश व्यापी विरोध करने का भी ऐलान किया गया।
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