दपेगासस प्रोजेक्ट की अगली कड़ी में द वायर ने खुलासा किया है कि 23 अक्टूबर 2018 को जब आधी रात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आलोक वर्मा को सीबीआई प्रमुख के पद से हटाया था, उसके फौरन बाद ही किसी ऐसी भारतीय एजेंसी ने आलोक वर्मा और उनके परिवार के सदस्यों के फोन नंबर निगरानी सूची में डालने का आदेश दिया था, जिसके पास पेगासस सॉफ्टवेयर की पहुंच थी। पेगासस स्पाईवेयर ने आलोक वर्मा से संबंधित तीन फोन नंबरों को नोट किया था।
रोचक है कि कुछ घंटे पहले तक जो शख्स खुद किसी का भी फोन नंबर निगरानी सूची में डलवाता रहा हो, पद से हटते ही उसका खुद का फोन नंबर निगरानी सूची में पहुंच गया। ध्यान रहे कि आलोक वर्मा को उनके पद से आधी रात को जारी एक आदेश से हटा दिया गया था। जिस समय आलोक वर्मा को पद से हटाया गया, उस समय उनके कार्यकाल के तीन महीने बाकी थे।
द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक आलोक वर्मा को पद से हटाए जाने के बाद उनका और उनसे जुड़े कुछ लोगों के फोन नंबर निगरानी सूची में भेजे गए थे। कुल 10 लोगों के फोन नंबर भेजे गए थे जिनमें से 8 फोन की जांच एमनेस्टी लैब ने की और इनमें पेगासस स्पाईवेयर की मौजूदगी की पुष्टि हुई।
ध्यान रहे कि पेगासस सॉफ्टवेयर बनाने वाली इजरायली कंपनी का कहना है कि वह इस सॉफ्टवेयर को सिर्फ सरकारों को ही बेचती है, किसी व्यक्ति या अन्य एजेंसी को नहीं।
द वायर के मुताबिक जिन नंबरों को निगरानी सूची में डाला गया उनमें आलोक वर्मा की पत्नी का निजी फोन नंबर, उनकी बेटी और दामाद के फोन नंबर भी शामिल थे। इसके अलावा सीबीआई के दो अन्य अफसरों के नंबर भी निगरानी सूची में भेजे गए जिनमें राकेश अस्थाना और ए के शर्मा के नंबर हैं। राकेश अस्थाना को भी उसी रात सीबीआई से हटा दिया गया था।
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