देश में बेरोजगारी का संकट लगातार गहराता जा रहा है। बीते अगस्त महीने में संगठित क्षेत्र में नौकरियों में कटौती और ग्रामीण क्षेत्र में खेती के काम में कमी आने की वजह से बेरोजगारी दर में और तेजी से इजाफा हुआ और अगस्त में देश में बेरोजगारी दर 8.35 फीसदी पहुंच गई, जो कि जुलाई में 7.43 फीसद थी। कोरोना संकट के चलते लॉकडाउन में छूट के बाद भी अर्थव्यस्था नहीं संभल पा रही है और मंदी जारी है, जिसके चलते बेरोजगारी में इजाफा हो रहा है।
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यह दावा सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईई) ने 1 सितंबर को जारी आंकड़ों के आधार पर किया है। आंकड़ों के अनुसार देश के शहरों में बेरोजगारी का आंकड़ा 9.83% प्रतिशत पहुंच चुका है, जिससे साफ है कि शहरों में लगभग हर 10वें आदमी के पास नौकरी नहीं है। वहीं इन आंकड़ों में गांवों की बेरोजगारी दर 7.65 प्रतिशत दर्ज की गई है। जबकि इससे पहले जुलाई में शहरों में बेरोजगारी दर 9.15 फीसद और गांवों में 6.66 फीसद थी। साफ है दोनों ही क्षेत्रों में अगस्त महीने में बेरोजगारों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है।
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देश में जारी आर्थिक बदहाली के कारण बेरोजगारी का सबसे ज्यादा असर हरियाणा पर पड़ा है, जहां अगस्त में बेरोजगारी दर 33.5 फीसदी रही। इसका अर्थ हुआ कि राज्य का हर तीसरा आदमी बेरोजगार है। खास बात ये है कि हरियाणा एक कृषि प्रधान राज्य है और ऐसे में बेरोजगारी दर में इतनी बढ़ोतरी गांवों में बढ़ती बेरोजगारी की ओर इशारा कर रही है। हरियाणा के बाद सबसे बुरा असर त्रिपुरा पर पड़ा है, जहां 27.9 फीसदी लोग बेरोजगार है। वहीं आंकड़ों के मुताबिक कर्नाटक में सबसे कम बेरोजगारी है, जहां सिर्फ 0.5% लोग बेरोजगार हैं।
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गौरतलब है कि अगस्त की बेरोजगारी का यह आंकड़ा मार्च के मुकाबले थोड़ा ही कम है, जब कोरोना संकट से निपटने के नाम पर मोदी सरकार ने देश भऱ में पूर्ण लॉकडाउन लगा दिया था। उस समय देश में बेरोजगारी की दर 8.75 फीसद थी, जबकि शहरों में यह आंकड़ा 9.41 फीसदी और गांवों में 8.44 फीसदी दर्ज किया गया था। साफ है कि इस समय शहरी बेरोजगारी पूर्ण लॉकडाउन के दौर से भी कहीं ज्यादा हो गई है।
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इतना ही नहीं अगस्त की बेरोजगारी दर देश में कोरोना संकट आने के पहले के महीनों यानी जनवरी और फरवरी से भी बहुत ज्यादा है। जनवरी में देश में बेरोजगारी 7.76 फीसदी और फरवरी में 7.22 फीसदी रही थी। हालांकि, राहत की बात है कि कुल बेरोजगारी दर में पिछले कुछ महीनों के मुकाबले कमी आई है। देश में लॉकडाउन के दौरान अप्रैल में बेरोजगारी दर 23.52 फीसदी पहुंच गई थी।
ऐसे में सीएमआईई के ताजा आंकड़ों को अर्थशास्त्री और विशेषज्ञ चिंताजनक बता रहे हैं। उनका कहना है कि बेरोजगारी के ये आंकड़े उस समय आए हैं, जब लॉकडाउन की बंदी के बाद लगभग सभी आर्थिक गतिविधियां फिर से शुरू हो चुकी हैं। कमजोर आर्थिक माहौल में नौकरियों में लगातार कटौती देश में बेरोजगारी को गंभीर रूप से बढ़ा रहा है।
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