मंगलवार को विपक्ष की बैठक के बाद बेंगलुरु से लौट रहे कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और सोनिया गांधी के विमान की देर शाम मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के राजा भोज एयरपोर्ट पर इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी। यह इमरजेंसी लैंडिंग विमान में तकनीकी खराबी आने के कारण हुई। करीब डेढ़ घंटे एयरपोर्ट पर ही रुकने के बाद सोनिया और राहुल गांधी रात करीब 9:30 बजे इंडिगो की फ्लाइट से दिल्ली के लिए रवाना हो गए।
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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज उसी इमरजेंसी वाली परिस्थिति के दौरान फ्लाइट के भीतर की एक तस्वीर शेयर की है। ये तस्वीर सोनिया गांधी की है। जिसमें वो ऑक्सीजन मास्क लगाए दिख रहीं हैं। राहुल गांधी ने अपनी मां की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, "मां, दबाव में भी अनुग्रह का प्रतीक। यानी इससे ये साफ है कि उस दौरान काफी पैनिक सिचुएशन रही होगी। लेकिन सोनिया गांधी के चेहरे से साफ पता चल रहा है कै कि ऐसी परिस्थिति में भी वो घबराईं नहीं।
दरअसल, कल रात बेंगलुरु से दिल्ली लौटते समय सोनिया-राहुल के विमान में तकनीकी खराबी आई थी, राहुल गांधी ने तकनीकी खराबी के दौरान ही विमान में सोनिया गांधी की यह तस्वीर पोस्ट की है। इसमें दिख रहा है कि सोनिया गांधी ने ऑक्सीजन मास्क लगाया हुआ है, लेकिन बेहद शांत और सौम्य नजर आ रही हैं। आपको बता दें, विमान में यात्रा के दौरान यानी जब विमान हवा में होता है और हवा का दबाव कम होता है तो ऑक्सीजन मास्क खुद ब खुद नीचे आ जाते हैं और यात्रियों को सलाह दी जाती है कि वे इसका इस्तेमाल करें। यह बहुत ही पैनिक परिस्थिति होती है, लेकिन सोनिया गांधी इस परिस्थिति में भी शांत रहीं।
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जब भी किसी विमान में 14 हजार फीट या उससे अधिक ऊंचाई पर केबिन प्रेशर खत्म हो जाता है तब ऑक्सीजन मास्क सीलिंग से नीचे गिरता है। सामान्य जेट विमानों में सोडा कैन के आकार का ऑक्सीजन जनरेटर चार सीटों के लिए 12 मिनट तक हवा की सप्लाई कर सकता है।
जब आप मास्क खींचते हैं एक पिन निकलती है और जनरेटर बैग से ऑक्सीजन छोड़ने लगता है। जब आप सांस लेते हैं तो ताजी ऑक्सीजन मिश्रित हवा बैग के जरिये आती है। बाकी हवा केबिन से एक वॉल्व के माध्यम से आती है। जब आप सांस छोड़ते हैं तो वह वातावरण में चली जाती है।
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अधिक ऊंचाई पर उड़ान भरने पर न सिर्फ़ हमें सांस लेने में परेशानी होती है बल्कि हमारा दिमाग और शरीर ठीक से काम करना बंद कर देता है। हमारी स्वाद लेने और सूंघने की क्षमता 30 प्रतिशत तक घट जाती है। नमी कम होने की वजह से आपको प्यास ज़्यादा लगती है।
केबिन प्रेशर कम होने के कारण रक्त के बहाव में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ सकती है जोकि जोड़ों में दर्द, लकवा, यहां तक कि मौत का कारण भी बन सकती है।
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BBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक जैसे-जैसे हम ऊंचाई पर जाते हैं, हमें ऑक्सीजन की कमी महसूस होने लगती है। धरती से ऊपर बढ़ने पर हवा का दबाव भी कम होने लगता है। ऊपर हवा का दबाव कम होने पर ऑक्सीजन के कण बिखरने लगते हैं। समुद्र तल से 5.5 किलोमीटर ऊपर ऑक्सीजन की मात्रा क़रीब आधी हो जाती है। करीब सात किलोमीटर ऊपर ऑक्सीजन की मात्रा एक-तिहाई रह जाती है। समुद्र तल से करीब 2.5 किलोमीटर ऊपर उड़ान भरने पर इंसान को कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं, जैसे सिरदर्द, उल्टी और जी मचलाना। सभी विमान अंदर से प्रेशर को नियंत्रित रखते हैं ताकि लोग आराम से सांस ले सकें जबकि विमान के बाहर दबाव काफ़ी कम होता है।
आसमान में मौजूद ऑक्सीजन को विमान के अंदर इकट्ठा करने की कोशिश की जाती है। विमान के इंजन से जुड़े टरबाइन बाहर के ऑक्सीजन को कंप्रेस कर अंदर लाते हैं। इंजन से होकर गुज़रने की वजह से हवा का तापमान बहुत अधिक हो जाता है जिसकी वजह से इसे सांस ले पाना मुश्किल होता है। ऐसे में कूलिंग तकनीक से इसे ठंडा किया जाता है, जिसकी वजह से इसमें आर्द्रता कम होती है।अगर केबिन में किसी वजह से प्रेशर कम होता है तो सीट के ऊपर एक अतिरिक्त ऑक्सीजन मास्क की व्यवस्था होती है, जिसे ज़रूरत पड़ने पर यात्री इस्तेमाल कर सकते हैं।
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