हरियाणा में जेजेपी के सहयोग से बनी बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार ने सौ दिन पूरे होने पर प्रदेश के ढाई करोड़ लोगों की तरफ से खुद ही उनकी संतुष्टि का सर्टीफिकेट दे दिया। जबकि 100 दिन बाद भी गठबंधन सरकार का कॉमन मिनिमम प्रोग्राम यानी न्यूनतम साझा कार्यक्रम तक नहीं बन पाया है। इन सौ दिनों में ही धान खरीद में घोटाला, अवैध खनन घोटाला और पोस्ट मैट्रिक छात्रों की स्कॉलरशिप में घोटाला सामने आने से सरकार का दामन दागदार हो चुका है। सरकार को समर्थन दे रहा एक निर्दलीय विधायक मुख्यमंत्री के चहेते पूर्व सहकारिता मंत्री पर सैकड़ों करोड़ के घोटाले का आरोप लगा रहा है। सहयोगी जननायक जनता पार्टी का सबसे वरिष्ठ विधायक बगावत कर चुका है। खट्टर सरकार के पहले सौ दिनों में सुर्खियां बटोरने वाली इस तरह की खबरों की लंबी फेहरिस्त है। फिर भी सरकार ने अपनी पीठ थपथपा डाली।
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हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर 7 फरवरी को चंडीगढ़ के हरियाणा निवास में अपनी सरकार की सौ दिनों की उपलब्धियों की लंबी लिस्ट के साथ मीडिया से रूबरू तो हुए, लेकिन अहम सवालों का उनके पास कोई जवाब नहीं था। गठबंधन सरकार के न्यूनतम साझा कार्यक्रम के सवाल पर तो उन्होंने कोई जवाब ही नहीं दिया। हालत यह है कि अभी तक जेजेपी और बीजेपी के चुनावी घोषणापत्रों के 422 वादों में से 33 पर ही महज सैद्धांतिक सहमति बन पाई है।
स्थिति यह है कि न्यूनतम साझा कार्यक्रम को लेकर दो बैठकें ही हो पाई हैं। मुख्यमंत्री ने दावा किया कि वर्तमान सरकार ने अपने 100 दिनों के कार्यकाल में प्रदेश हित में साफ-सुथरा, पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन उपलब्ध करवाकर लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने का काम किया है। अगले पांच वर्षों की योजनाओं का रोडमैप भी तैयार कर लिया है। सीएम ने खुद ही यह भी दावा कर दिया कि इस पहल से प्रदेश के 2.5 करोड़ लोग काफी हद तक उनसे संतुष्ट हैं।
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उद्योगों में हरियाणा के युवाओं को 75 प्रतिशत रोजगार देने के जेजेपी के सबसे बड़े चुनावी वादे पर सीएम ने अकुशल श्रमिकों को 75 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित करने का निर्णय लेने की बात तो कही, लेकिन जब वह सवालों से घिर गए तो उनके पास बताने के लिए कोई स्पष्ट रोडमैप ही नहीं था। सीएम ने जींद में 664 करोड़ रुपये की लागत से मेडिकल कॉलेज बनाने की स्वीकृति देने की बात कही, लेकिन यह तो बीजेपी का 2014 में किया गया चुनावी वादा था, जिसमें बात अभी महज स्वीकृति देने तक ही पहुंची है।
इसके अलावा 2014 में बीजेपी ने राज्य के हर जिले में मेडिकल कालेज बनाने का वादा किया था। सोनीपत-गोहाना-जींद रेलवे लाइन पर बड़वासनी में 200 करोड़ रुपये की लागत से आरओबी बनाने और बहादुरगढ़ में 124.33 करोड़ रुपये की लागत से बाई पास की स्वीकृत देने का ऐलान भी सीएम ने किया। साथ ही 282 करोड़ रुपये की लागत से 11 आरओबी, आरयूबी और पुलों का निर्माण कार्य अलाट करने और कुरुक्षेत्र में 5 एकड़ जमीन में गुरु रविदास धाम बनाने की घोषणा भी की।
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मुख्यमंत्री ने परिवार समृद्घि योजना के क्रियान्वयन का शुभारंभ किया। वृद्धावस्था सम्मान भत्ता व अन्य सामाजिक सुरक्षा पेंशन 2000 रुपये मासिक से बढ़ाकर 2250 रुपये मासिक करने का निर्णय बताया, लेकिन बुजुर्गों को 51 सौ रुपये पेंशन देने के चुनावी वादे पर चर्चा तक नहीं की। विधायकों को अपने क्षेत्रों में विकास के लिए पांच करोड़ तक देने के निर्णय का उल्लेख किया, लेकिन जब अभी सरकार में ही घमासान मचा हुआ है तो यह विकास कार्य कब होंगे, इसी पर प्रश्न चिन्ह है।
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हरियाणा रोडवेज के बेड़े में किमी स्कीम के तहत बसें चलाने के निर्णय पर सरकार ने अडिग होने का ऐलान किया, जिस पर भारी विवाद है और विभाग अब तक की सबसे बड़ी हड़ताल का सामना कर चुका है। अवैध खनन पर कड़ी निगरानी रखने के लिए ई-रवाना योजना शुरू करने और 700 से अधिक वाहनों को जब्त करने करने की उपलब्धि तो बताई, लेकिन कैग रिपोर्ट में बताए गए 15 सौ करोड़ के घोटाले का जिक्र तक नहीं किया। फसलों की भावान्तर भरपाई योजना में सब्जी व फलों की 10 और फसलों को शामिल करने का ऐलान हुआ, लेकिन धान और गेहूं जैसी प्रमुख फसलों को इसमें शामिल किए बिना यह बेमानी है।
सरकार की सौ दिनों की उपलब्धियों की फेहरिस्त जितनी लंबी है, उस पर सवाल उतने ही ज्यादा हैं। सौ दिन का रिपोर्ट कार्ड पेश करने आए मुख्यमंत्री के साथ उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला और जेजेपी के दूसरे मंत्री अनूप धानक भी मौजूद थे। सीएम के साथ बीजेपी का कोई दिग्गज मंत्री इस अवसर पर मौजूद न होना भी चर्चा का विषय रहा। जबकि जेजेपी के दोनों मंत्री मौजूद थे।
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हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद कुमारी सैलजा ने सरकार के सौ दिनों के रिपोर्ट कार्ड को जुमला कार्ड बताया है। उनका कहना है कि सौ दिनों में प्रदेशवासियों के साथ केवल मजाक किया गया है। सौ दिन की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि इस सरकार में घोटाले पर घोटाले हुए हैं। कुमारी सैलजा ने कहा कि, “इस सरकार में भागीदार लोग ही सरकार पर उंगली उठा रहे हैं। अगले 5 साल में भी इस सरकार के मंत्री और विधायक ड्रामा रचते रहेंगे, ताकि असल मुद्दों से जनता का ध्यान भटका रहे। इस सरकार के आते ही सबसे पहले प्रदेश में किसानों के धान की खरीद में बड़ा घोटाला हुआ, लेकिन सरकार इस पर पर्दा डालने में लगी है।“
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उन्होंने बताया कि, “प्रदेश में 2 लाख 25 हजार 145 किसानों ने लगभग 9 लाख 10 हजार 700 एकड़ धान का पंजीकरण करवाया था। प्रदेश की मंडियों में धान की 4 लाख 34 हजार 783 मीट्रिक टन सरकारी और 64 लाख 68 हजार 576 मीट्रिक टन प्राइवेट खरीद हुई, जिसकी औसतन पैदावार 75 क्विंटल होती है। इतनी पैदावार प्रति एकड़ होना संभव ही नहीं है। इससे पता चलता है कि किस तरह से प्रदेश में बड़ा धान घोटाला हुआ। आज मुख्यमंत्री जी कहते हैं कि प्रदेश में कोई घोटाला नहीं हुआ है।“
सैलजा ने कहा कि गठबंधन सरकार में शामिल दलों ने किसानों की कर्ज माफी, बुजुर्ग पेंशन 51 सौ करने जैसे कई वायदे किए थे, जो आज तक पूरे नहीं हुए हैं। उनका कहना है कि, “इस सरकार ने सत्ता संभालते ही साजिश के तहत पूरे प्रदेश में प्रदूषण के नाम पर हजारों फैक्ट्रियों पर ताला लटकवा दिया है। हजारों कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं। आज हरियाणा प्रदेश की बेरोजगारी पूरे देश में सबसे अधिक हो गई है। सीएमआईई के आंकडों के अनुसार वर्ष 2019 के अंत में दिसंबर महीने में बेरोजगारी दर बढ़कर 30% तक पहुंच गई है।“ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि यह हम नहीं बल्कि आंकड़े बोल रहे हैं कि यह सरकार हर मोर्चे पर नाकाम साबित हुई है। इस सरकार की विफलताओं की लंबी लिस्ट है।
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