केरल विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दौरे के कई महीने बाद भी वायनाड में भूस्खलन के पीड़ितों के पुनर्वास के लिए कोई वित्तीय सहायता उपलब्ध नहीं कराने को लेकर केन्द्र सरकार की आलोचना की। एलडीएफ और यूडीएफ ने एकजुट होकर प्रधानमंत्री पर निशाना साधा।
वायनाड के भूस्खलन में जीवित बचे लोगों के पुनर्वास पर स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) नीत वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) और विपक्षी संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने एकजुट होकर प्रधानमंत्री पर निशाना साधा। प्रस्ताव पेश करने वाले यूडीएफ ने जहां मोदी पर “फोटो शूट” के लिए आपदा प्रभावित क्षेत्र का दौरा करने का आरोप लगाया, वहीं एलडीएफ ने कहा कि संघीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में ऐसी आपदा के समय पुनर्वास के लिए धन उपलब्ध कराना केंद्र सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है।
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स्थगन प्रस्ताव पेश करते हुए कांग्रेस के के. टी. सिद्दीकी ने याद दिलाया कि प्रधानमंत्री मोदी ने वायनाड के भूस्खलन प्रभावित गांवों का दौरा किया था, जीवित बचे लोगों से मुलाकात की थी और अस्पताल में घायलों से मिले थे। विधायक ने कहा कि प्रधानमंत्री ने वायनाड में निर्धारित समय से डेढ़ घंटा अधिक समय बिताया और उच्च स्तरीय बैठक के दौरान आश्वासन दिया कि पुनर्वास पहल में केंद्र राज्य के साथ रहेगा।
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विधानसभा में वायनाड के कलपेट्टा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सिद्दीकी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री के दौरे के महीनों बाद भी, केंद्र ने वायनाड के पुनर्वास के लिए आज तक एक पैसा नहीं दिया। उन्होंने कहा कि 30 जुलाई को चूरलमाला और मुंडक्कई गांवों में हुए भीषण भूस्खलन से वायनाड को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ। विधायक ने कहा, “पुनर्वास के लिए हमें कम से कम 2000 करोड़ रुपये की जरूरत है। अब भूस्खलन से बचे लोग पूछ रहे हैं कि क्या प्रधानमंत्री मोदी फोटो शूट के लिए वायनाड आए थे?”
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उन्होंने इस बात को “दुखद” बताया कि केंद्र सरकार वायनाड के लोगों की कठिनाइयों और तकलीफों के बावजूद वहां की उपेक्षा कर रही है। सिद्दीकी ने सटीक वर्षा पूर्वानुमान उपलब्ध कराने, पीड़ितों के ऋण माफ करने और पुनर्वास पहल के लिए भूमि अधिग्रहण का काम जल्द से जल्द पूरा करने में राज्य सरकार और इसके विभिन्न विभागों के बीच समन्वित हस्तक्षेप की भी मांग की।
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पूर्व स्वास्थ्य मंत्री के.के शैलजा ने वायनाड के प्रति केंद्र की निरंतर उपेक्षा के खिलाफ सदन के अंदर और बाहर एकजुट आंदोलन शुरू करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री मोदी ने वायनाड का दौरा किया और वहां प्रभावित लोगों से मुलाकात की तो मन को राहत मिली थी। शैलजा ने कहा, “ उनके दौरे को मीडिया में खूब कवरेज मिली। लेकिन हमें क्या मिला? केंद्र ने वायनाड को अब तक एक पैसा भी नहीं दिया। करोड़ों रुपये की बर्बादी हुई। यह छोटा सा राज्य इन सब (खर्चों) को कैसे वहन कर सकता है?”
पूर्व मंत्री ने कहा कि संघीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में, प्राकृतिक आपदाओं के समय प्रत्येक राज्य को सहायता प्रदान करना तथा पुनर्वास के लिए धनराशि प्रदान करना केंद्र सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा, लेकिन, केंद्र ने त्रासदी के बाद इतने महीनों के दौरान वायनाड के लिए तत्काल राहत भी नहीं दी।
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