होली से पहले मोदी सरकार ने कर्मचारियों को बड़ा झटका दिया है। एंप्लॉयी प्रोविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (EPFO) ने चालू वित्त वर्ष के लिए इंट्रेस्ट रेट घटाकर 8.1 फीसदी कर दिया है। यह पिछले चार दशक का न्यूनतम इंट्रेस्ट रेट है। वित्त वर्ष 2020-21 के लिए प्रोविडेंट फंड पर मिलने वाला इंट्रेस्ट रेट (Provident Fund interest rates) 8.5 फीसदी था।
पिछले दो सालों से इसमें किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया था। हालांकि, चालू वित्त वर्ष में इसें 40 बेसिस प्वाइंट्स से घटा दिया गया है। ईपीएफओ के फैसले का असर 7 करोड़ सब्सक्राइबर्स पर होगा। ईपीएफओ बोर्ड के फैसले पर वित्त मंत्रालय की मुहर लगाई जाएगी जिसके बाद इसे अमल में लाया जाएगा।
1977-78 में ईपीएफओ ने 8 फीसदी का ब्याज दिया था। उसके बाद से यह 8.25 फीसदी या उससे अधिक रही है। 11 मार्च, शुक्रवार को ही ईपीएफओ की दो दिवसीय बैठक शुरू हुई थी, जो आज खत्म हो गई है, जिसमें ईपीएफ की ब्याज दर घटाने का फैसला लिया गया है। मोदी सरकार के इस फैसले के देश के करीब 6 करोड़ कर्मचारियों को तगड़ा नुकसान झेलना पड़ेगा।
आपको बता दें, ईपीएफओ ने वित्त वर्ष 2020-21 और इससे पिछले वित्त वर्ष में 8.5 फीसदी ब्याज तय की थी। इससे पहले 2018-19 में ईपीएफओ पर 8.65 प्रतिशत का ब्याज दिया गया था। ईपीएफओ ने 2016-17 और 2017-18 में भी 8.65 प्रतिशत का ब्याज दिया था। वहीं, 2015-16 में ब्याज दर 8.8 फीसदी, 2013-14 और 2014-15 में भी 8.75 प्रतिशत थी।
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