हरियाणा में बीजेपी की जनसभाओं में खाली कुर्सियां बहुत कुछ कह रही हैं। चुनाव से पहले आम मतदाताओं का रुझान आंकने के कुछ पैमाने होते हैं। उनमें से यह भी एक गंभीर संकेतक है। मुख्यमंत्री समेत दिग्गजों की मौजूदगी के बावजूद भारतीय जनता पार्टी की रैलियों को लेकर आम लोगों में उदासीनता केंद्र और राज्य की सत्ता में 10 साल से काबिज भगवा दल के लिए सामान्य बात नहीं है। यह किसी एक जनसभा में नहीं हो रहा है। लगातार हो रही बीजेपी की जनसभाओें में उसके नेताओं को सुनने की लोगों में उत्सुकता नहीं है। हरियाणा में यह सवाल उठ रहा है कि बीजेपी के 400 पार के दावे का हाल कहीं हरियाणा में 75 पार वाले जैसा न हो जाए। हरियाणा विधानसभा चुनाव में 75 पार का दावा कर बीजेपी 40 पर अटक गई थी। बीजेपी इसके लिए बहाने गिना रही है, लेकिन विपक्ष कह रहा है कि लोगों ने बदलाव का मन बना लिया है।
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भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव में अपने उम्मीदवारों के पक्ष में माहौल बनाने के लिए हरियाणा में हर विधानसभा क्षेत्र में जन संकल्प रैलियां कर रही है। इन रैलियों में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी समेत प्रदेश के दिग्गज मौजूद रहते हैं। यही विजय संकल्प रैलियां बीजेपी के लिए चिंता का सबब बन गई हैं। रैलियों में खाली कुर्सियां इस बात का संकेत कर रही हैं कि बीजेपी के लिए ''ऑल इज वेल'' नहीं है। रैलियों में वक्ता तो भरपूर हैं, लेकिन श्रोता नदारद हैं।
इन स्थितियों में यह रैलियां महज फोटो सेशन में तब्दील होकर रह गई हैं, जिससे बीजेपी परेशान है। बात एक दिन पहले यानि 28 अप्रैल रविवार से शुरू करते हैं। भारतीय जनता पार्टी की पंचकूला में विजय संकल्प रैली थी। सावधानी बरतते हुए सीएम नायब सिंह सैनी पंचकूला में आ जाने के बावजूद भीड़ जुटने के इंतजार में रैली स्थल पर विलंब से पहुंचे। बावजूद, इसके सीएम के संबोधन से पहले तक बसों में भरकर बमुश्किल जुटाई गई 70 फीसदी भीड़ जा चुकी थी। कुर्सियां खाली थीं। लोगों में बीजेपी के नेताओं को सुनने में कोई रुचि नहीं थी।
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28 अप्रैल को ही रोहतक में भी विजय संकल्प रैली थी, जिसमें सीएम नायब सैनी तो नहीं पहुंचे, लेकिन हरियाणा में चुनाव प्रचार का जिम्मा मुख्य तौर पर संभाल रहे पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के संबोधित करने के वक्त अधिकतर कुर्सियां खाली थीं। इससे पहले 26 अप्रैल को झज्जर में भी यही स्थिति थी। सीएम तो यहां भी नहीं पहुंचे, लेकिन पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर मौजूद थे। यह स्थिति तब थी जब रैली झज्जर शहर के बीच में स्थित पुराना बस स्टैंड परिसर में रखी गई थी। लोगों के बैठने के लिए लगाई गई अधिकतर कुर्सियां खाली थीं।
स्थिति को भांप 27 अप्रैल को महेंद्रगढ़ के अटेली में होने वाली विजय संकल्प रैली स्थगित कर दी गई। हालांकि, बीजेपी रैली स्थगित करने के पीछे कुछ और तर्क दे रही है। रैली के आयोजक और अटेली के बीजेपी विधायक सीताराम यादव ने इसकी वजह समय की कमी बताई है। वह कह रहे हैं कि रैली का समय बदलेंगे, ताकि तैयारी के लिए थोड़ा समय और मिल सके। सीताराम यादव का तर्क है कि पार्टी नेतृत्व ने उन्हें 27 अप्रैल की शाम 5 बजे रैली करवाने का समय दिया था, जबकि मैं चाहता था कि यह रैली सुबह 11 बजे कराई जाए।
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23 अप्रैल को नारनौल में हुई विजय संकल्प रैली में भी कुर्सियां खाली थीं। भिवानी-महेंद्रगढ़ से बीजेपी प्रत्याशी चौधरी धर्मबीर सिंह के पक्ष में यह रैली थी। नारनौल के बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री ओमप्रकाश यादव इसके आयोजक थे। इसमें मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और केंद्रीय राज्यमंत्री और गुरुग्राम से बीजेपी उम्मीदवार राव इंद्रजीत सिंह समेत पार्टी के तमाम दिग्गज मौजूद थे। अहीरवाल के दिग्गज कहे जाने वाले राव इंद्र जीत सिंह की मौजूदगी के बावजूद आम लोगों की बीजेपी रैली को लेकर उदासीनता गंभीर मानी जा रही है।
कुर्सियां खाली होने के लिए तर्क भी मजेदार हैं। महेंद्रगढ़ जिला बीजेपी इकाई के अध्यक्ष दयाराम यादव ने खाली कुर्सियों की वजह हनुमान जयंती को बताया। यादव ने कहा कि इसके अलावा जब भी रैली के आखिर में जब कोई नेता बोलते हैं तो लोग खड़े हो ही जाते हैं, इसलिए कुर्सियां कुछ खाली दिखाई देती हैं। जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) से बीजेपी में शामिल हुई नगर परिषद चेयरमैन कमलेश सैनी और बीजेपी महिला मोर्चा की महेंद्रगढ़ जिला इकाई की प्रधान भारती सैनी भी इसमें मौजूद थीं। कहा जाता है कि दोनों महिला नेताओं की सैनी समाज पर अच्छी पकड़ है। इसके बावजूद जब सीएम सैनी का भाषण शुरू हुआ तब तक आधे से ज्यादा भीड़ जा चुकी थी। इस रैली में पूर्व मंत्री रामबिलास शर्मा ने राव इंद्रजीत को सीएम कहकर संबोधित कर डाला। हाशिये पर डाल दिए गए इस बीजेपी दिग्गज के राव इंद्रजीत को सीएम संबोधित करने के भी मायने निकाले जा रहे हैं।
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इसी तरह 21 अप्रैल को नांगल चौधरी रैली में भी मुख्य वक्ता सीएम नायब सिंह सैनी थे। हजारों की भीड़ आने का दावा किया गया था, लेकिन कहा जा रहा है कि 1 हजार लोग भी वहां नहीं थे। रैली के आयोजक विधायक और हरियाणा सरकार में सिंचाई मंत्री डॉ. अभय सिंह यादव थे। बीजेपी इन हालात से परेशान है। मनोहर लाल खट्टर को सीएम पद से इस्तीफा दिलवाने के बाद नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाते वक्त यह कहा गया कि बीजेपी ने ओबीसी कार्ड चल दिया है, लेकिन सवाल यह है कि ये ओबीसी कार्ड भी फेल तो नहीं हो गया है। हालात तो यही संकेत दे रहे हैं कि बीजेपी के 400 पार के दावे पर हरियाणा पलीता लगाता दिख रहा है। यह हरियाणा में 75 पार के दावे के बाद 40 पर अटकी बीजेपी के हाल जैसा दिख रहा है।
विपक्ष इस पर हमला बोल रहा है। साढ़े चार साल तक हरियाणा की सत्ता में बीजेपी की साझीदार रही जेजेपी का कहना है कि देश-प्रदेश की जनता बीजेपी की जुमला सरकार से उब चुकी है। बीजेपी ने चुनाव से पहले जनता को बड़े-बड़े वादे करके लुभाया था, लेकिन वादे पूरे करने में नाकामयाब रही। बीजेपी के बड़े-बड़े धुरंधर नेता भी भीड़ जुटाने में कामयाब नहीं हो पा रहे। बीजेपी की झूठ बोलने की राजनीति जनता समझ चुकी है। यही वजह है कि लोगों ने बीजेपी और उसके कार्यक्रमों से दूरी बना ली है। ऐसे में बीजेपी नए-नए बहाने बनाने को मजबूर है।
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