कांग्रेस ने रविवार को मोदी सरकार पर चुनावी बॉण्ड योजना के माध्यम से बीजेपी के खातों में काला धन भेजने की साजिश रचने और अनुचित लाभ लेकर फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया।कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि चुनावी बॉण्ड घोटाले को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह जवाबदेह हैं।
लोकसभा चुनाव से पहले आयकर अधिकारियों द्वारा कांग्रेस के खातों पर रोक लगाए जाने के संदर्भ में जयराम रमेश ने बीजेपी पर कांग्रेस पर ‘‘सर्जिकल हमला’’ करने और ‘‘कर आतंकवाद’’ में शामिल होने का भी आरोप लगाया। रमेश ने यह उम्मीद जताई कि निर्वाचन आयोग चुनावों के दौरान ‘‘पूर्ण निष्पक्षता और तटस्थता’’ बनाए रखेगा और लोगों की अपेक्षा के अनुरूप अपने संवैधानिक कर्तव्यों पर खरा उतरेगा।
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जयराम रमेश ने कहा कि बीजेपी ने चुनावी बॉण्ड के माध्यम से लगभग 6,900 करोड़ रुपये कमाए, जबकि कांग्रेस को 1300 करोड़ रुपये से अधिक के बॉण्ड मिले। उन्होंने आरोप लगाया कि 2018 में शुरू की गई चुनावी बॉण्ड योजना सरकार द्वारा चलाया गया अब तक का ‘‘सबसे बड़ा जबरन वसूली गिरोह’’ है।
उन्होंने दावा किया कि 2018 में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत नियमों का उल्लंघन करने के लिए वित्त मंत्रालय द्वारा जिन 19 कंपनियों को ‘‘उच्च जोखिम’’ के रूप में चिह्नित किया गया था, उन्होंने सामूहिक रूप से 2,717 करोड़ रुपये के चुनावी बॉण्ड खरीदे।रमेश ने कहा, ‘‘चुनावी बॉण्ड खरीदने वाली इन 19 कंपनी में से 18 कंपनी ‘‘उच्च जोखिम’’ वाली कंपनी की बाद में जारी वार्षिक सूची में शामिल नहीं थी। क्या उन्हें सत्तारूढ़ पार्टी के खजाने में योगदान देने के कारण सूची से हटा दिया गया?’’
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उन्होंने गृह मंत्री के इस तर्क को खारिज कर दिया कि कांग्रेस को भी चंदा मिला था। उन्होंने कहा कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) या आयकर विभाग कांग्रेस के नियंत्रण में नहीं हैं और न ही उसके पास बंदरगाहों, राजमार्गों और बिजली परियोजनाओं जैसे बड़े अनुबंध देने का अधिकार है।
जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘प्रधानमंत्री ने विदेशों से काला धन वापस लाकर प्रत्येक भारतीय के खाते में 15-15 लाख रुपए जमा करने का वादा किया था लेकिन ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री ने इसके बदले पूरी राशि बीजेपी के खातों में जमा करने की साजिश रची है।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि बड़ी कंपनियों को बाद में बड़े अनुबंध पाने के बदले बीजेपी को भारी चंदा देने के लिए मजबूर किया गया, जबकि ईडी, आयकर और सीबीआई जैसी जांच एजेंसियों को कई कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए ढील देकर उन कंपनियों को चंदा देने के लिए ‘‘बाध्य’’ किया गया।
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उन्होंने हैदराबाद स्थित अरबिंदो फार्मास्यूटिकल्स का उदाहरण देते हुए दावा किया कि उसने अपने खिलाफ ईडी की जांच के बाद चुनावी बॉण्ड खरीदे। रमेश ने दावा किया कि कई मुखौटा कंपनियों ने अपनी कुल संपत्ति से कहीं अधिक मूल्य के चुनावी बॉण्ड खरीदे हैं। उन्होंने कहा कि 2018 के बाद से कम से कम 43 कंपनियों (जो 2018 में या उसके बाद बनीं) ने अपनी स्थापना के कुछ ही महीनों के भीतर चुनावी बॉण्ड खरीदे। इन सभी ने कुल मिलाकर 384.5 करोड़ रुपए का चंदा दिया। इनमें से अधिकांश संभावित रूप से फर्जी कंपनियां हैं, जिनकी स्थापना चुनावी बॉण्ड योजना के तहत चंदा देने या ऐसे ही अन्य गुप्त सौदे के उद्देश्य से की गई है।’
रमेश ने कहा कि आयकर विभाग द्वारा कांग्रेस के खातों पर रोक लगाए जाने के खिलाफ वे जल्द ही उच्चतम न्यायालय जाएंगे और उन्होंने पार्टी को राहत मिलने की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि ‘हमें वित्तीय रूप से निष्क्रिय कर दिया गया है। यह कर आतंकवाद या कांग्रेस के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक के अलावा कुछ नहीं है।
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लंबे चुनाव कार्यक्रम पर कांग्रेस नेता ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि प्रधानमंत्री को हर जगह प्रचार करने की सुविधा देने के लिए ऐसा किया गया है। रमेश ने वीवीपैट पर्चियों की शत-प्रतिशत गिनती की कांग्रेस और अन्य दलों की मांग को भी दोहराया ताकि मतदाताओं के संदेह दूर हो सकें।
रमेश ने 106 जिलों से गुजरने और 6,300 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के ‘‘सफल’’ समापन का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान 76 जिलों को कवर किया गया था और इन दोनों यात्राओं को मिलाकर राहुल गांधी कुल 181 जिलों से गुजरे और लाखों लोगों तक पहुंचे।
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