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सांप्रदायिक बयान के लिए प्रधानमंत्री के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहा चुनाव आयोग, कानूनी विकल्प तलाशेंगे: कांग्रेस

कांग्रेस ने सोमवार को राजस्थान में एक चुनावी रैली में मुसलमानों पर टिप्पणी के लिए मोदी के खिलाफ उचित कार्रवाई की मांग करते हुए चुनाव आयोग का रुख किया और आरोप लगाया कि टिप्पणियां विभाजनकारी, दुर्भावनापूर्ण थीं और एक विशेष धार्मिक समुदाय को लक्षित करती थीं।

कांग्रेस का आरोप- सांप्रदायिक बयान के लिए प्रधानमंत्री के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहा चुनाव आयोग
कांग्रेस का आरोप- सांप्रदायिक बयान के लिए प्रधानमंत्री के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहा चुनाव आयोग फोटोः सोशल मीडिया

कांग्रेस ने चुनाव आयोग पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजस्थान में मुसलमानों का जिक्र कर दिए सांप्रदायिक बयान के खिलाफ दी गई शिकायत पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि आयोग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है, ऐसे में पार्टी कानूनी उपाय तलाश रही है।

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सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि निर्वाचन आयोग जैसी संस्थाओं पर लोगों का पूरा विश्वास होना चाहिए और अगर भरोसा हिल गया है तो उन्हें उसे बहाल करने के लिए काम करना चाहिए। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजस्थान में नफरती भाषण दिए। मेरे सहयोगियों ने सोमवार को निर्वाचन आयोग से मुलाकात की और हमने उनके खिलाफ शिकायत दी। क्योंकि वे हमारी शिकायत पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं, हम कानूनी उपायों पर विचार कर रहे हैं।”

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कांग्रेस ने सोमवार को राजस्थान में एक चुनावी रैली में ‘संपत्ति के पुनर्वितरण’ वाली टिप्पणी के लिए मोदी के खिलाफ ‘उचित कार्रवाई’ की मांग करते हुए निर्वाचन आयोग का रुख किया और आरोप लगाया कि मोदी की टिप्पणियां ‘विभाजनकारी’, ‘दुर्भावनापूर्ण’ थीं और एक विशेष धार्मिक समुदाय को लक्षित करती थीं।

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रविवार को, प्रधानमंत्री ने यह दावा करके एक राजनीतिक विवाद पैदा कर दिया था कि कांग्रेस के घोषणापत्र में सर्वेक्षण करने के बाद संपत्ति के “पुनर्वितरण” का वादा किया गया है। श्रीनेत ने कहा, “हमें उम्मीद है कि यह स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव होगा। लेकिन हमें इसके बहुत कम सबूत मिलते हैं।” उन्होंने कहा कि बीजेपी के खिलाफ निर्वाचन आयोग की कार्रवाई के बारे में जितना कम कहा जाए, उतना बेहतर है।

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ईवीएम के उचित कामकाज पर श्रीनेत ने कहा, “भले ही एक व्यक्ति कहे कि उसका वोट उसे नहीं मिला जिसे देने का उसका इरादा था, लोगों का विश्वास बहाल करना निर्वाचन आयोग जैसी संस्थाओं का दायित्व है।” उन्होंने बताया कि विपक्षी दल 100 प्रतिशत वीवीपैट गणना के लिए दबाव डाल रहे हैं, लेकिन निर्वाचन आयोग ने इसे स्वीकार नहीं किया है।

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