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देश में भयंकर बिजली संकट, दिखने लगा कोयले की कमी का असर, बिहार, यूपी, झारखंड समेत 12 राज्यों में भारी कटौती जारी

राहुल गांधी ने बिजली संकट की तुलना कोरोना काल से की है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल को याद कीजिए, जब मोदी सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग गई थी। राज्यों को ऑक्सीजन के लिए आत्मनिर्भर होना पड़ा था। ऐसा ही कोयला संकट में भी हो रहा है।

फाइल फोटोः सोशल मीडिया
फाइल फोटोः सोशल मीडिया 

कोयले की कमी के चलते देश भर में बिजली संकट गहराता जा रहा है। देश में पिछले हफ्ते 623 मिलियन यूनिट बिजली की कमी हुई है, जो पूरे मार्च महीने में हुई शॉर्टेज से ज्यादा है। भीषण गर्मी के बीच उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे 12 राज्यों को भयंकर बिजली संकट का सामना करना पड़ रहा है। इन राज्यों में 4 घंटे से लेकर 12 से 14 घंटे बिजली कटौती हो रही है।

दरअसल देश के थर्मल प्लांट कोयले की भयंकर कमी का सामना कर रहे हैं। देश में लगातार बढ़ती गर्मी के चलते बिजली की मांग भी बढ़ती जा रही है, ऐसे में थर्मल प्लांट पर बिजली के लिए दबाव बढ़ता जा रहा है। हालांकि, कुछ राज्यों द्वारा कोयला कंपनियों को भुगतान में देरी की वजह से भी कोयले की आपूर्ति प्रभावित हुई है, जिससे बिजली संकट गहरा गया है।बताया जा रहा है कि आने वाले समय में देश भर में बिजली संकट और गहरा सकता है।

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इस समय झारखंड सबसे ज्यादा बिजली संकट का सामना कर रहा है। झारखंड में कुल बिजली डिमांड में से 17.3% की शॉर्टेज हुई है। हालांकि केंद्र के अधिकारियों का कहना है कि झारखंड में कोयले की कमी के पीछे कोल कंपनियों के भुगतान में देरी बड़ी वजह है। वहीं, झारखंड के बाद जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बिजली की 11.6% शॉर्टेज रही। इनके अलावा राजस्थान में 9.6%, हरियाणा में 7.7%, उत्तराखंड में 7.6%, बिहार में 3.7% बिजली सप्लाई की कमी हुई है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी बिजली संकट पर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि देश बिजली संकट का सामना कर रहा है। ज्यादातर राज्यों में लोग 8 घंटे बिजली कटौती झेलने को मजबूर हैं। मैंने मोदी सरकार को चेतावनी दी थी कि कोयले के स्टॉक की कमी से देश को परेशानी होगी। क्योंकि बिजली की मांग चरम सीमा पर है। इस मुद्दे पर चर्चा के बजाय सरकार ने खंडन जारी कर दिया। लेकिन सच खुद बोलता है।

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राहुल गांधी ने आगे कहा कि कोयला स्टॉक के मामले में देश के 165 कोयला प्लांट में से 106 गंभीर स्थिति में पहुंच गए हैं। इनमें 25% से कम स्टॉक बचा है। हमारे पास सिर्फ 21.55 मिलियन टन कोयला स्टॉक में बचा है। जबकि कुल 66.32 मिलियन टन स्टॉक की जरूरत है। गुजरात, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब समेत अन्य राज्य बिजली की बढ़ती मांग को लेकर संकट का सामना कर रहे हैं। कुछ राज्यों को कोयला आयात करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

राहुल गांधी कोयला संकट की तुलना कोरोना काल से की है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल को याद कीजिए, जब भारत सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग गई थी। राज्यों को ऑक्सीजन के लिए आत्मनिर्भर होना पड़ा था। ऐसा ही कोयले के साथ भी हो रहा है।

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वहीं देश में बिजली संकट को नकारते हुए केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि कोल इंडिया को मिलाकर भारत के पास कुल 30 लाख टन का स्टॉक है। ये 70 से 80 दिन का स्टॉक है। हालांकि, वर्तमान स्थिति स्थिर है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में, 2.5 बिलियन यूनिट की दैनिक खपत के मुकाबले लगभग 3.5 बिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन होता है। हालांकि, पिछले दिनों में गर्मी के कारण बिजली की मांग भी बढ़ी है। हमारे पास 10-12 दिनों का कोयला स्टॉक है। हालांकि, उसके बाद भी पावर प्लांट बंद होने की कोई संभावना नहीं है।

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