कांग्रेस ने देश की अर्थव्यवस्था को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोला है। पार्टी ने भारतीय रिजर्व बैंक के बुलेटिन का हवाला देते हुए बुधवार को आरोप लगाया कि मोदी सरकार के कुप्रबंधन के कारण देश की अर्थव्यवस्था बदहाल है और अधिकतर भारतीय परेशान हैं। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान जारी कर कहा कि सरकार आंकड़ों को छिपाने और जनता को गुमराह करने का पूरा प्रयास कर रही है, लेकिन तथ्य झूठ नहीं बोल सकते। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘अक्टूबर, 2023 का आरबीआई बुलेटिन बेहद चिंताजनक आर्थिक चलन को दिखाता है। मोदी सरकार ने भारत की अर्थव्यवस्था का जिस तरह से लगातार कुप्रबंधन किया है वो इस बुलेटिन में स्पष्ट रूप से दिख रहा है।’’
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उन्होंने कहा, ‘‘याद कीजिए कि सितंबर 2023 के बुलेटिन में कई नकारात्मक सूचकांक सामने आए थे। उनमें घरेलू बचत का 47 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंचना, निजी क्षेत्र के लिए घरेलू ऋण में स्थिरता और श्रम-बल भागीदारी में ठहराव आदि शामिल थे। ये रुझान या तो वैसे ही बने हुए हैं, या और भी ज़्यादा बिगड़ गए हैं।’’ उनका कहना था, ‘‘शुद्ध घरेलू बचत में कमी आने का एक प्रमुख कारण यह है कि घरेलू देनदारियों में भारी बढ़ोतरी हुई है। वित्त मंत्रलय ने गुमराह करने के लिए दावा किया था कि यह बढ़ोतरी गृह और वाहन ऋण के कारण है जबकि आरबीआई के सितंबर के बुलेटिन ने स्पष्ट रूप से दिखाया था कि सोने के बदले कर्ज में 23 प्रतिशत और व्यक्तिगत ऋण में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। आरबीआई का अक्टूबर का बुलेटिन इसकी पुष्टि करता है।’’
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कांग्रेस सांसद ने दावा किया कि अगस्त, 2023 में बैंक से लिए गए कुल लोन में सबसे ज़्यादा व्यक्तिगत ऋण लिए गए। उन्होंने कहा, ‘‘इस बीच, औद्योगिक क्षेत्र की ऋण वृद्धि, जो निवेश और आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है, धीमी हो रही है। अगस्त 2023 में यह केवल 6.1 प्रतिशत थी। यह पिछले वर्ष की तुलना में लगभग आधी और 2013 की सिर्फ एक-तिहाई है। इस बीच, उद्योग के लिए बैंक ऋण का हिस्सा मोदी सरकार द्वारा आधा कर दिया गया है – 2013 में गैर-खाद्य ऋण 46 प्रतिशत था जो 2023 में केवल 24 प्रतिशत रह गया।’’ कांग्रेस नेता ने कहा कि महंगाई दर 6.8 प्रतिशत के साथ नियंत्रण से बाहर है जो यह रिजर्व बैंक के चार प्रतिशत के लक्ष्य से काफी ऊपर है।
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जयराम रमेश ने दावा किया, ‘‘एक तरफ प्रधानमंत्री दूसरों को ‘रेवड़ी’ और राजकोषीय जिम्मेदारियों को लेकर प्रवचन देते हैं। दूसरी तरफ़, मोदी सरकार का ही राजकोषीय घाटा तेजी से बढ़ता जा रहा है। पिछले वर्ष यह लगभग 20 प्रतिशत बढ़ा है। 2023-24 की पहली तिमाही में यह बढकर 6.4 लाख करोड़ रू से ज़्यादा हो गया।’’ उन्होंने कहा, "मोदी सरकार पर कर्ज़ बढ़ता ही जा रहा है। इससे भविष्य में भारत पर बोझ पड़ेगा। घाटा कम दिखाने के लिए मोदी सरकार राज्यों को कम कर ट्रांसफर करके संघवाद के सभी सिद्धांतों का उल्लंघन कर रही है।"
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कांग्रेस नेता ने आगे कहा, “ 'मेक इन इंडिया' का बूरी तरह से विफल होना और पीएलआई योजनाओं के प्रभावी न होना साफ़ है - इस तिमाही में 4% से भी कम निर्यात वृद्धि थी। निर्यात में मंदी से सबसे ज्यादा प्रभावित MSMEs हैं, क्योंकि उन्हें मुनाफा कम हो रहा है लेकिन लागत ज्यादा लग रही है। यह कोई नया ट्रेंड नहीं है - 2004-2014 तक निर्यात प्रति वर्ष औसतन 14% की दर से बढ़ा लेकिन मोदी सरकार में निर्यात वृद्धि आधे से भी कम होकर सिर्फ 6% रह गई है।“
जयराम रमेश ने कहा, “हर महीने जारी होने वाले आरबीआई बुलेटिन को मोदी सरकार के लिए एक रिमाइंडर के रूप में काम करना चाहिए कि वह चाहे जितना डेटा को छिपाने और जनता को गुमराह करने की कोशिश करे, बेसिक तथ्य झूठ नहीं बोलते हैं - अर्थव्यवस्था पूरी तरह से बदहाल है और अधिकांश भारतीय पीड़ित हैं।“
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