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बजट 2018: आर्थिक सर्वे की वह बातें जिनसे है मोदी सरकार परेशान

मोदी सरकार गुरुवार को अपना आखिरी पूर्ण बजट पेश करेगी। इससे पहले सोमवार को आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया गया। इस सर्वेक्षण में कुछ ऐसी बातें भी हैं,जिनसे मोदी सरकार परेशान है। 

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

दोगुनी होना तो दूर, 25 फीसदी तक घट जाएगी किसानों की आमदनी

मोदी सरकार का नारा था कि उसके शासन में किसानों के अच्छे दिन आएंगे और उनकी आमदनी दोगुनी हो जाएगी। प्रधानमंत्री मोदी कई जनसभाओं में स्वाइल हेल्थ कार्ड यानी मिट्टी की गुणवत्ता की बात करते दिखे और हर बार कहा कि किसानों की आमदनी में इजाफा होगा। लेकिन आर्थिक सर्वेक्षण ने उनके इस दावे की हवा निकाल दी है। सर्वे में साफ कहा गया है कि मौसम में हो रहे बदलाव से आने वाले दिनों में किसानों की आमदनी में 20 से 25 फीसदी की कमी हो सकती है।

सर्वेक्षण में सरकार को सलाह दी गई है कि अगर सिंचाई सुविधाओं में ‘नाटकीय’ बदलाव नहीं किए गए, तो हालात काबू में रखना मुश्किल हो जाएगा। सर्वे में कहा गया है कि अगर 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुना करने के लक्ष्य को हासिल करना है तो सरकार को मजबूत कदम उठाते हुए कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए जीएसटी काउंसि‍ल जैसा एक तंत्र बनाना होगा।

आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि सिंचाई की सुविधाओं में विस्तार और बिजली और खाद के लिए सब्सिडी के बदले प्रत्यक्ष यानी सीधे आमदनी की मदद देकर मौसम में होने वाले बदलाव के असर को कम किया जा सकता है। लेकिन चेताया गया है कि खेती से मौजूदा वर्तमान आय स्तर पर किसानों की औसत आय में 3,600 रुपये प्रति व्यक्ति की कमी आ सकती है।

यहां यह ध्यान रखना होगा कि देश की जीडीपी में कृषि की 16 फीसदी हिस्सेदारी है। साथ ही, इस क्षेत्र में 49 फीसदी लोगों को रोजगार मिल रहा है। सर्वेक्षण के मुताबिक, खेती की उपज घटने से महंगाई बढ़ सकती है और किसानों को तबाही का सामना करना पड़ सकता है।

नोटबंदी से हुई बचत से नहीं बढ़ी विकास की रफ्तार

आर्थिक सर्वेक्षण ने इशारों-इशारों में मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले की भी आलोचना की है। आपको याद होगा कि नोटबंदी होने के बाद देश जितनी भी नकदी चलन में थी, वह सारी बैंकों में चली गई। इसे मोदी सरकार ने बचत का बड़ा उदाहरण बनाकर पेश किया था। सरकार की तरफ से दावे किए गए थे कि जो पैसा घरों में-गुल्लकों में पड़ा रहता था, वह औपचारिक सिस्टम में आने से इस पैसे का इस्तेमाल विकास के पहिए की रफ्तार बढ़ाने में किया जाएगा। लेकिन आर्थिक सर्वेक्षण ने इस दावे पर भी मोदी सरकार की बत्ती गुल की है। सर्वेक्षण में कहा गया कि बचत से आर्थिक विकास को कोई मजबूती नहीं मिली और न ही इसके कारण विकास के पहिए ने रफ्तार पकड़ी। सर्वे के मुताबिक, जीडीपी यानी विकास दर और बचत का अनुपात वर्ष 2003 के 29.2 फीसदी से बढ़कर वर्ष 2007 में 38.3 फीसदी के उच्च स्तर पर पहुंच गया था। हालांकि, इसके बाद यह अनुपात वर्ष 2016 में घटकर 29 फीसदी के स्‍तर पर आ गया। सर्वे में कहा गया है कि बचत से विकास नहीं बढ़ता, बल्कि निवेश से बढ़ता है। ऐसे में पैसे को बैंक में रखने के बजाय सर्कुलेशन में लाया जाए यानी निवेश को बढ़ाया जाए, तो विकास होगा।

पढ़ तो रहा है, लेकिन शिक्षित नहीं हो रहा इंडिया

एक और मोर्चा है जिसकी मोदी सरकार जोर-शोर से प्रचार करती रही है। वह है स्किल इंडिया यानी कौशल विकास। लेकिन वह बात अलग है कि जब से मंत्रिमंडल फेरबदल कर राजीव प्रताप रूडी को कौशल विकास मंत्रालय से हटाया गया है, तब से इस विभाग की चर्चा होना ही बंद हो गई है। इसके अलावाप प्रधानमंत्री मोदी अपने भाषणों में, और खास तौर से विदेशों में यह कहते रहे हैं कि भारत नॉलेज हब बन गया है। लेकिन आर्थिक सर्वेक्षण अलग ही तस्वीर पेश करता है। सर्वे कहता है कि भारत अभी तक नॉलेज का कंज्यूमर बना हुआ, जिसे अब 'नॉलेज प्रोड्यूसर' बनने की दिशा में कदम उठाने की जरूरत है। सर्वे में कहा गया कि भारत के दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में से एक बनने की दिशा में यह बड़ी चुनौती साबित होगी। इसके लिए साइंटिफिक रिसर्च पर फोकस बढ़ाने की जरूरत है।

तेल की आग से ऊपर भागेगी महंगाई

सर्वे में भले ही यह कहा गया है कि सरकार महंगाई को काबू करने में कामयाब रही है, लेकिन एक चिंता जताई गई है जो सीधे महंगाई से जुडती है। और वह है तेल के दाम। सर्वे मुताबिक वित्त वर्ष 2018-19 में कच्चे तेल की कीमतों में 12 फीसदी तक बढ़ोत्तरी का अनुमान है। इससे साफ है कि अगर ऐसा होता है तो यह अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी मुसीबत साबित हो सकता है। देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें पहले ही अपने उच्चतम स्तर पर हैं। इस समय कच्चे तेल की कीमतें 70 से 71 डॉलर के बीच हैं। अगर इनमें 12 फीसदी का इजाफा होता है तो यह 80 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं। इसका असर पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर भी पड़ेगा, जिससे देश में महंगाई भी बढ़ सकती है।

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