चुनाव में कालेधन के इस्तेमाल रोक लगाने के लिए चुनाव आयोग और वित्त मंत्रालय आमने-सामने है। चुनाव आयोग ने वित्तीय जांच एजेंसियों (आयकर विभाग) को कहा है कि किसी भी छापेमारी से पहले आयोग को भी सूचित करें। साथ ही आयोग ने चेताया है कि एजेंसियों की कार्रवाई बिना किसी भेदभाव, निष्पक्ष और आचार संहिता के नियमों के अनुरूप ही होनी चाहिए।
इतना ही नहीं आयोग ने यह भी कहा कि यदि इस बात की पक्की जानकारी हो कि अवैध धन का इस्तेमाल चुनाव में हो रहा है तो इसकी जानकारी मुख्य चुनाव अधिकारी को भी दी जाए। यह व्यवस्था तब तक जारी रहे जब तक आदर्श आचार संहिता लागू है। वहीं चुनाव आयोग ने मंगलवार को राजस्व विभाग के तहत आने वाली सभी जांच एजेंसियों को निर्देश दिया है कि चुनाव प्रक्रिया को दूषित करने के लिए कालेधन और अन्य अवैध तरीकों का इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।
वहीं दूसरी ओर राजस्व विभाग ने चुनाव आयोग को जवाब भेजा है। जवाब से ऐसा लग रहा है कि राजस्व विभाग को चुनाव आयोग की सलाह पसंद नहीं आई है। राजस्व विभाग ने कहा कि उसे तटस्थ, पक्षपात रहित और भेदभाव रहित शब्दों अर्थ पहले से पता है और इन्हें ध्यान में रखकर ही कार्रवाई की जाती है। जब भी कोई सूचना मिलती है तो तुरंत कार्रवाई की जाती है।
वहीं इस पूरे मामले में सीबीडीटी चेयरमैन पीसी मोदी और राजस्व सचिव एबी पांडे को मुख्य चुनाव आयुक्त ने छापों पर जवाबदेही तय करने को कहा है। बता दें कि इससे पहले भी रविवार को आयोग ने बाकायदा एडवाइजरी जारी कर इन एजेंसियों को निष्पक्ष कार्रवाई करने की हिदायत दी थी।
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