हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में जलसंकट बरकरार है। यही वजह है कि सरकार ने शहर में नगर निगम के तहत आने वाले स्कूलों को एक हफ्ते के लिए बंद रखने का फैसला किया है। शिक्षा विभाग ने स्कूलों को बंद करने का निर्देश जारी करते हुए कहा कि शहर में प्राथमिक, माध्यमिक और उच्चतर स्कूल एक हफ्ते तक बंद रहेंगे।
शिमला के कसुम्पटी से कांग्रेस विधायक अनिरुद्ध सिंह ने नवजीवन से बात करते हुए कहा कि शहर में जलसंकट के लिए प्रदेश सरकार और नगर निगम जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा, “सभी सरकारों में पानी के टैंकर्स को लेकर टेंडर किए जाते रहे हैं। लेकिन इस बार सरकार ने सही वक्त पर टेंडर नहीं किया और यही वजह है कि आज पूरा शहर जलसंकट से जूझ रहा है।”
विधायक अनिरुद्ध सिंह ने कहा, “नगर निमग उचित ढंग से पानी की सप्लाई भी नहीं कर रहा है। पानी की सप्लाई किस इलाके में कितनी होनी चाहिए, यह गर्मी शुरू होने से एक महीने पहले ही तय किया जाता रहा है। लेकिन इस बार निगम ने ऐसा नहीं किया। शहर में इसका भी असर देखा जा रहा है।”
उन्होंने कहा, “शहर की मेयर चीन में हैं। जलसंकट को लेकर नगर निगम की बैठक बुलाई गई थी, लेकिन सत्ता पक्ष के पार्षदों ने ही वॉकआउट कर दिया। कोई अधिकारी भी बैठक में मौजूद नहीं था। सिवाय डिप्टी मेयर के। जहां लोग धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं, पानी की सप्लाई वहीं की जा रही है।”
अनिरुद्ध सिंह ने बताया, “साल 2015 में वीरभद्र सिंह की सरकार में विश्व बैंक से 725 करोड़ की कोल डैम परियोजना की मंजूरी मिली थी। लेकिन मौजूदा सरकार ने इस परियोजना को धरातल पर लाने के लिए सही कदम नहीं उठाए। विश्व बैंक में जो रिपोर्ट सरकार की ओर से पेश की गई थी उसमें कई खामियां थीं, जिसके चलते परियोजना फिलहाल स्थगित कर दी गई है।”
अनिरुद्ध सिंह कहते हैं, “पानी की परेशानी आज की नहीं है। शिमला में 34 वार्ड हैं। 12 वॉर्ड मेरे क्षेत्र में आते हैं। पहले शहर में एक टैंक हुआ करता था। अब हर वार्ड में 8 से 12 लाख लीटर के टैंक बना दिए गए हैं, जरूरत है तो सरकार और नगर निगम को सूझबूझ से कदम उठाने की।”
सरकार दावा कर रही है कि शहर का जलसंकट दूर हो जाएगा, इसके लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। लेकिन शहर के लोगों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है। शिमला के पंथा घाटी में रहने वाली संतोष गौड़ ने नवजीवन को बताया कि पानी की काफी दिक्कत हो रही है, नहाने के लिए तो दूर घरों में खाना बनाने और बर्तन धोने तक के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा, “नगर निगम की ओर से टैंकर में पानी भेजा जा रहा है, लेकिन टैंकर्स एक किलोमीटर दूर मेन रोड पर ही रुक जाते हैं, ऐसे में मेन रोड से अंदर पानी लाने में काफी दिक्कत हो रही है। कुछ लोग अगर पानी ले जाना भी चाहते हैं तो दूरी की वजह से पानी नहीं ले जा पा रहे हैं। और अगर ले जाते भी हैं तो 1 से 2 बाल्टी ही ले जा पाते हैं। मजबूरी में पानी खरीद कर इस्तेमाल करना पड़ रहा है।” संतोष गौड़ ने कहा, “नगर निगम पानी की सप्लाई सही ढंग से नहीं कर रहा है, कुछ लोगों को हजारों लीटर पानी मिल रहा है और कुछ लोग महज 10 से 20 लीटर पानी तक के लिए तरस रहे हैं।”
Published: 03 Jun 2018, 1:06 PM IST
शिमला में जलसंकट का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि पानी की परेशानी की वहज से अंतरराष्ट्रीय शिमला फेस्टिवल तक को रद्द कर दिया गया है। इससे पहले हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने 29 मई को शहर में निर्माण गतिविधियों और कार की धुलाई पर एक हफ्ते के लिए रोक लगा दी थी। करीब 10 दिनों से शिमला जलसंकट से जूझ रहा है। लोग पानी की मांग को लेकर जगह-जगह प्रदर्शन कर रहे हैं।
जलसंकट को देखते हुए शहर में पानी की सप्लाई को 2.25 करोड़ लीटर प्रति दिन से बढ़ाकर 2.8 करोड़ लीटर प्रति दिन कर दिया गया है। इसके बावजूद लोगों को जरूरत के हिसाब से पानी नहीं मिल पा रहा है, और यही वजह है कि लोग जगह-जगह प्रदर्शन कर रहे हैं।
शिमला की आबादी करीब 1.72 लाख है, जिनके लिए 2.25 करोड़ लीटर प्रति दिन पानी की सप्लाई की जाती है। लेकिन गर्मियों के दिनों में शहर में सैलानियों की संख्या बढ़ जाती है। एक अनुमान के मुताबिक शहर में गर्मियों में पर्यटकों की संख्या करीब 1 लाख तक बढ़ जाती है। इस वजह से भी लोगों को पानी की दिक्कत हो रही है।
Published: 03 Jun 2018, 1:06 PM IST
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Published: 03 Jun 2018, 1:06 PM IST