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डॉ कफील खान की बर्खास्तगी को प्रियंका गांधी ने बताया दुर्भावना से प्रेरित, कहा- संविधान से ऊपर नहीं है योगी सरकार

प्रियंका गांधी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा डॉ. कफील खान की बर्खास्तगी दुर्भावना से प्रेरित है। नफरती एजेंडा से प्रेरित सरकार उनको प्रताड़ित करने के लिए ये सब कर रही है। लेकिन सरकार को ध्यान रखना चाहिए कि वो संविधान से ऊपर नहीं है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा डॉ कफील खान को बर्खास्त किए जाने को लेकर अब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी यूपी सरकार पर हमला बोला है। प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा है कि सरकार को ध्यान में रखना चाहिए कि वो संविधान से ऊपर नहीं है।

प्रियंका गांधी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा डॉ. कफील खान की बर्खास्तगी दुर्भावना से प्रेरित है। नफरती एजेंडा से प्रेरित सरकार उनको प्रताड़ित करने के लिए ये सब कर रही है। लेकिन सरकार को ध्यान रखना चाहिए कि वो संविधान से ऊपर नहीं है। कांग्रेस पार्टी डॉ कफील की न्याय की लड़ाई में उनके साथ है और हमेशा रहेगी।

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रोक के बाद भी कफील खान को यूपी सरकार ने किया बर्खास्त

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने डॉ कफील खान को बर्खास्त कर दिया है। हालांकि उनकी बर्खास्तगी पर हाईकोर्ट ने रोक लगा रखी थी। उन पर 2017 में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से हुई कई बच्चों की मौत का आरोप है।

डॉ कफील की बर्खास्तगी का फैसला उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन की मंजूरी के बाद लिया गया है। उनकी बर्खास्तगी के आदेश में कोई खास वजह नहीं बताई गई है, लेकिन यूपीपीएससी ने बर्खास्तगी के आदेश बीती रात मेडिकल शिक्षा विभाग को भेज दिए।

मेडिकल शिक्षा विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी आलोक कुमार ने कहा कि डॉ कफील को बर्खास्त कर दिया गया है। जांच के बाद उन्हें दोषी पाया गया है। गौरतलब है कि गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के ऑक्सीजन केस में डॉ कफील बरी हो चुके हैं, लेकिन बाद में उन पर अन्य मामले दायर किए गए। डॉ कफील फिलहाल निलंबित चल रहे हैं और उन्हें मेडिकल शिक्षा विभाग के निदेशक के दफ्तर से संबद्ध किया गया है।

डॉ खान को 22 अगस्त 2017 को निलंबित किया गया था। उनके साथ ही 7 अन्य लोगों को भी उस वक्त निलंबित कर दिया गया जब अगस्त 2017 में गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से कम से कम 60 बच्चों की मौत हुई थी। अप्रैल 2019 में डॉ कफील को चिकित्सीय लापरवाही के मामले से बरी कर दिया गया था लेकिन 24 फरवरी को उत्तर प्रदेश सरकार ने फिर से इस मामले की जांच के आदेश दिए थे।

अप्रैल 2019 में दाखिल जांच रिपोर्ट में जांच अधिकारी हिमांशु कुमार ने निम्न बातें कही थीं

  • घटना के समय डॉ कफील सबसे जूनियर डॉक्टर थे और उन्होंने 8 अगस्त 2016 को ही बीआरडी मेडिकल कालेज में एक लेक्चरर के रूप में नौकरी शुरु की थी। घटना के समय वे प्रोबेशन पर थे।

  • 10 अगस्त 2017 में छुट्टी पर होने के बावजूद डॉ खान घटना की सूचना मिलने पर मेडिकल कालेज पहुंचे थे और उन्होंने बच्चों की जान बचाने की कोशिश की थी। उन्होंने और उनकी टीम ने उन 54 घंटों के दौरान कम से कम 500 ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतजाम किया था।

  • उन्होंने घटना वाले दिन बीआरडी मेडिकल कालेज के सभी अफसरों को कॉल किया था, इनमें गोरखपुर के जिलाधिकारी भी शामिल हैं।

  • ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे डॉ कफील पर भ्रष्टाचार करने की बात साबित होती हो

  • ऑक्सीजन सप्लाई के लिए भुगतान, टेंडर या रखरखाव के लिए डॉ कफील जिम्मेदार नहीं थे

  • वह एंसीफ्लाइटिस वार्ड के इंचार्ज नहीं थे

  • ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे पता चलता हो कि वे प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे थे

  • मेडिकल लापरवाही के आरोप बेबुनियाद हैं

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