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क्या कोरोना वायरस सिर्फ अंग्रेजी जानने वालों को होता है! मोदी सरकार तो यही मानती नजर आ रही है

भारत सरकार के विभाग किसी आपदा को भी अंग्रेजी के विस्तार और विकास के मौके की तरह इस्तेमाल करते हैं। इस संंबंध में एक महिला ने स्वास्थ्य विभाग को पत्र में कहा है कि सरकार के संवेदना शून्य अधिकारी अंग्रेजी की गुलामी में इतने मस्त हैं कि भयावह रोग से नागरिकों के बचाव में भी भाषाई भेदभाव कर रहे हैं।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

कोरोना वायरस से भारत में भी लोगों की मौत और उसके चपेट में आने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। किसी भी साधारण इंसान को सावधानी बरतने के लिए लगता है कि उसे भी कोरोना वायरस और उसके चपेट में आने के लक्षणों को जान लेना चाहिए। लेकिन वह इसके लिए कहां जाए?

सीधा सा जवाब मिलता है कि स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाईट पर अवश्य जवाब मिलेगा। विधि जैन मध्यम वर्ग की एक महिला हैं। उन्होंने भी भरोसा किया कि भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाईट पर जाकर कोरोना वायरस के बारे में और उसके खतरे के बारे में जरूर जानकारी मिलेगी। लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी। उन्होंने पूरी वेबसाईट खंगाल मारी ताकि उन्हें कोरोना वायरस के खतरों के बारे मे पढ़ने और सुनने को मिल सके, लेकिन सिर्फ निराशा मिली।

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दरअसल विधि जैन केवल हिंदी ही पढ़ना जानती हैं। जब उन्होंने वेबसाईट खंगाला तो उन्हें वहां हिंदी में कोई जानकारियां नहीं मिली। हालांकि, कहने को हिंदी भारत सरकार की राजभाषा है। इस अनुभव के बाद विधि जैन ने भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्री से पूछा कि क्या कोरोना वायरस केवल अंग्रेजी जानने वालों को होता है? क्या भारत में कोरोना वायरस उन्हें चपेट में नहीं लेता है, जो अपने देश की भाषाओं को जानते हैं?

विधि जैन ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव को एक पत्र लिखकर ये सवाल पूछे हैं। उसमें उन्होने संयुक्त सचिव को यह जानकारी दी है कि स्वास्थ्य मंत्रालय की बेवसाईट पर कोरोना विषाणु के संबंध में नागरिकों को जो भी सुझाव, सलाह और निर्देश दिए गए हैं, वे केवल अंग्रेजी में ही हैं। आखिर ऐसा क्यों? विधि जैन ने वेबसाईट पर कोरोना से संबंधी जितने भी लिंक दिए गए हैं, वो भी मंत्रालय को भेजा है।

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इनमें केवल एक पोस्टर है जिसमें बताया गया कि कोरोना विषाणु से बचाव के लिए क्या करें और क्या नहीं करना चहिए। वे लिखती हैं कि, “मंत्रालय की वेबसाइट पर कोरोना विषाणु से संबंधित जानकारी केवल अंग्रेजी में दी गई है, मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्तियां और दस्तावेज केवल अंग्रेजी में जारी किए जा रहे हैं। यात्रा परामर्श अंग्रेजी में जारी किए जा रहे हैं। क्या जिनको अंग्रेजी नहीं आती है, वे लोग कोरोना विषाणु से संक्रमित नहीं होंगे, इसलिए मंत्रालय के अधिकारी केवल अंग्रेजी में सूचनाएं जारी कर रहे हैं?

कोरोना विषाणु के चपेट में आने वालों की संख्या ज्यों ज्यों बढ़ रही है, भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालय और विभाग लोगों को एहतेयात बरतने की सलाह दे रहे हैं। लेकिन हैरानी है कि वे तमाम संदेश अंग्रेजी में ही दिए जा रहे हैं। महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड के एक उपभोक्ता ने बताया कि 7 मार्च से 9 मार्च के बीच उन्हें कोरोना विषाणु के संबंध में चार एसएमएस मिले। लेकिन उनमें क्या लिखा है उन्हें समझना मुश्किल है क्योंकि वे सभी के सभी अंग्रेजी में हैं, जो कि उन्हें अच्छी तरह नहीं आती है। किसी ऐसे संदेश को समझ लेना तो असंभव है। भारत सरकार के ही एक अन्य विभाग ने VD-DOT की पहचान के साथ एक संदेश भेजा है। वह भी अंग्रेजी में है।

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दरअसल भारत सरकार के विभाग किसी आपदा को भी अंग्रेजी के विस्तार और विकास के मौके की तरह इस्तेमाल करते हैं। विधि जैन ने अपने पत्र में लिखा है, “भारत सरकार के संवेदना शून्य अधिकारी अंग्रेजी की गुलामी में इतने मस्त हैं कि इस भयावह रोग से नागरिकों के बचाव में भी भाषाई भेदभाव कर रहे हैं, सारी मशीनरी अंग्रेजी जानने वाले संभ्रांत लोगों के लिए काम कर रही है, यह शर्मनाक है।”

भारत में कोरोना विषाणु के तेजी से फैलने की लगातार खबरें आ रही हैं, लेकिन हिन्दी के अलावा अन्य भारतीय भाषाओं में भी कोरोना विषाणु से संबंधित जानकारियों और चेतावनी का घोर अभाव हैं। केवल भारत सरकार का स्वास्थ्य मंत्रालय ही नहीं बल्कि राज्य सरकारों की तरफ से भी लोगों को उनकी भाषाओं में कोरोना से जुड़ी सलाह और जानकारियां नहीं मिल रही हैं।

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