उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने फैसला किया है कि राज्य में पीजी करने वाले डॉक्टरों को अब कम से कम 10 साल तक सरकारी नौकरी करनी पड़ेगी। स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव ने बताया कि आदेश में साफ कहा गया है कि डॉक्टरों ने अगर बीच में नौकरी छोड़ी तो उन्हें एक करोड़ रुपये का जुर्माना भरना पड़ेगा। सरकार का कहना है कि इसके अलावा नीट में छूट की व्यवस्था भी की गई है ताकि सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को पूरा किया जा सके।
Published: 12 Dec 2020, 11:14 AM IST
ध्यान रहे कि उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों के करीब 15 हजार पद हैं लेकिन 4000 से ज्यादा पद खाली हैं। सरकार कह कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी अस्पतालों में एक साल तक नौकरी करने वाले एमबीबीएस डॉक्टरों को नीट पीजी प्रवेश परीक्षा में 10 अंकों की छूट दी जाती है। दो साल सेवा देने वाले डॉक्टरों को 20 और तीन साल वालों को 30 नम्बर तक की छूट दी जाती है। ये डॉक्टर पीजी के साथ डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के दाखिला ले सकते हैं। इस छूट के चलते हर साल सरकारी अस्पतालों में तैनात सैकड़ों एमबीबीएस डॉक्टर पीजी में दाखिला लेते हैं।
Published: 12 Dec 2020, 11:14 AM IST
लेकिन अब सरकार ने फैसला लिया है कि अगर कोई डॉक्टर पीजी कोर्स बीच में ही छोड़ता है तो उसे तीन साल के लिए डिबार कर दिया जाएगा, यानी उसे इन तीन सालों में दोबारा एडमिशन नहीं मिलेगा। सरकार का आदेश है कि डॉक्टरों को पढ़ाई पूरी करते ही तुरंत सरकारी नौकरी करनी होगी, साथ ही सरकारी डॉक्टरों को सीनियर रेजिडेंसी करने के लिए एनओसी नहीं दी जाएगी।
Published: 12 Dec 2020, 11:14 AM IST
इस खबर पर उत्तर प्रदेश सरकार ने स्पष्टीकरण दिया है कि डॉक्टरों को सरकारी अस्पताल में 10 साल तक नौकरी करने का आदेश नया नहीं है, बल्कि तीन साल पुराना है। उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) ने पत्रकारों को बताया कि इस बारे में शासनादेश 3 अप्रैल 2017 को जारी किया गया था।
Published: 12 Dec 2020, 11:14 AM IST
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Published: 12 Dec 2020, 11:14 AM IST